Ranchi : सीयूजे (CUJ) में पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जन्म जयंती के उपलक्ष्य में ‘विकसित भारत: पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की प्रासंगिकता’ विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास द्वारा दीप प्रज्जवलन और पंडित दीन दयाल उपाध्याय के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करके हुई। इस अवसर पर डीन अकादमिक, प्रो. मनोज कुमार, कुलानुशासक डॉ अमरेंद्र कुमार और मुख्य वक्ता डॉ. आलोक कुमार गुप्ता भी मौजूद थे।
CUJ में विशेष व्याख्यान का आयोजन : विषय ‘विकसित भारत: पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की प्रासंगिकता’
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, डॉ. आलोक कुमार गुप्ता, डीन सामाजिक विज्ञान और मानविकी संकाय ने सभी उपस्थित विद्यार्थियों को दीन दयाल उपाध्यायजी के विस्तृत जीवन से परिचय कराया। उन्होंने दीन दयाल उपाध्याय की एकात्म मानव दर्शन (इंटीग्रल ह्यूमेनिज्म) और संगठन के आर्थिक नीतियों में उनके योगदान पर अपने विचार रखे। डॉ गुप्ता ने बताया कि उपाध्याय जी ने कैपिटलिस्ट व्यक्तिवाद और मार्क्सवाद, साम्यवाद और समाजवाद को नहीं अपनाया और व्यष्टि, समष्टि, सृष्टि, परमेष्टि के अवधारणा के अनुसार स्वदेशी विकास मॉडल देते हुए एक उत्कृष्ट मानव बनाने पर जोर दिया।
एकात्म मानववाद, अंत्योदय और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का विचार देने वाले दीन दयाल जी मानवीय गरिमा का स्तंभ बनकर राष्ट्र निर्माण की एक प्रेरणा है – कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास
कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय एक महान विचारक और मार्गदर्शक थे एवं मानवीय गरिमा का स्तंभ बनकर राष्ट्र निर्माण की एक प्रेरणा है। उन्होंने एकात्म मानववाद एवं अंत्योदय की अवधारणा के साथ देश को आगे बढ़ाने के लिए कार्य किया। कुलपति ने बताया कि भारत में इन्क्लूसिव ग्रोथ (समावेशी विकास) का विचार दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय से आया।
इस अवसर पर कुलपति ने बताया कि उपाध्याय एक महान विचारक हैं, जिन्होंने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा दी और उसकी दार्शनिक व्याख्या की। जब विकास और संस्कृति एक साथ चलती है तभी एक सतत विकास हो सकती है। उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी, उपाध्याय जी के विचारों से ही प्रेरित होकर लोक कल्याण सर्वोपरि रखते हैं।
प्रो. मनोज कुमार, डीन अकादमिक ने भी अपने विचार रखे और कहा कि दीन दयाल उपाध्याय ने भारतीय दर्शन और चिंतन की व्याख्या कर पुनः स्थापित किया जिससे प्रेरणा लेकर आज हम विकसित भारत बनने के लिए अपना योगदान दे सकते हैं। डॉ अमरेंद्र कुमार, सह प्राध्यापक एवं कुलानुशासक ने विषय प्रवेश कराया और पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जीवन और विचार से सभी का परिचय कराया।
इस अवसर पर वाणिज्य और जनसंचार विभाग के विद्यार्थियों ने ‘दिव्य ध्येय की ओर तपस्वी’ गीत गाकर सभी को जीवन में आदर्शों के साथ जीने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. शशांक दत्तात्रेय कुलकर्णी और धन्यवाद ज्ञापन शिक्षा विभागाध्यक्ष, प्रो. विमल किशोर ने किया।
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