दारु पीने में नीचे से उपर है रांची, टॉप पर है गढ़वा

Ranchi- झारखंड में खुदरा शराब की बिक्री में प्राइवेट प्लेयरों को हटाकर सरकारी एजेंसियों के द्वारा शराब की बिक्री जा रही है. लेकिन शराब की बिक्री से सरकार को जिस रेवेन्यू की उम्मीद थी, वह पूरी होती नहीं दिख रही है.

पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इस मामले में सोशल मीडिया पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि महीना को खत्म होने में मात्र अब चार दिन ही शेष है, लेकिन अपने टारगेट को पूरा करने में झारखंड का आबकारी विभाग हांफ रहा है.

खुदरा शराब की बिक्री में नहीं पूरा हो रहा है टारगेट

बाबूलाल मरांडी न लिखा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन  इसके पहले की  दिल्ली के जैसा झारखंड में भी भांडा फेट स्पेशल आडिट करवा कर जनसामान्य को इसकी जानकारी उपलब्ध करवायें. वर्ना एक और घोटाल आपके नाम रहेगा. बाबूलाल की इस टिप्पणी पर विभिन्न तरह की प्रतिक्रियायें सामने आ रही है.

संघी लोग देखते हैं दारु में टारगेट हम आदिवासी नहीं

एक सतीश सिंह नामक एक पाठक ने लिखा है कि

झारखंड गठन के वक्त खूबसूरत राज्य खुबसुरत राज्य का सपना देखा गया था,

लेकिन हेमंत सरकार के सारे मंत्री लूटने में लगे हैं.  

वहीं क्रांति सागर  नामक एक शख्स लिखते हैं कि दारू में टार्गेट संघी लोग देखते हैं, हम आदिवासी नहीं.

बाबूलाल मरांडी ने जो आंकड़ा पेश किया है उसके अनुसार सबसे

ज्यादा उठाव गढ़वा और गुमला में किया गया है,

जबकि रांची और सिमडेगा में शराब की बिक्री सबसे कम रही है.

1743.66 करोड़ के मुकाबले सिर्फ 1006.11 का की वसुली

 झारखंड में मई 2022 से लागू नई उत्पाद नीति के तहत शराब की बिक्री में भारी गिरावट आई है.

मई से लेकर अगस्त तक चार महीने में उत्पाद विभाग ने शराब बिक्री से

1743.66 करोड़ रुपये का राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा था,

लेकिन इसके मुकाबले अब तक केवल 1006.11 करोड़ रुपये ही राजस्व के रूप में मिले हैं.

बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी कोरोना पॉजिटिव, मॉनसून सत्र में नहीं होंगे शामिल

बदलेगी राजधानी की सूरत, रेंगती सड़कों से मिलेगी मुक्ति

Share with family and friends: