बैंक मैनेजर ही निकला मास्टरमाइंड, निष्क्रिय खातों की फर्जी केवाईसी कर रकम ट्रांसफर करता था, आयकर विभाग ने बैंक प्रबंधन और खुफिया विभाग को दी जानकारी
22 Scope News Desk : भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक आंफ इंडिया पर अब जालसाजों की ही नहीं बल्कि बैक मैनेजर्स की भी लग गई है। मामले का भंडाफोड़ होने पर खुफिया विभाग भी एक्शन में आ गई है।
दरअसल मामले का भंड़ाफोड़ दरभंगा एयरपोर्ट पर दस लाख रूपये की जब्ती के बाद सामने आया। वह पैसा अघोषित था। बाद की पड़ताल में यह बात सामने आयी की अघोषित नकदी का यह मामला एसबीआई में चल रहे एक नए तरह के स्कैम से जुड़ा है। इनकम टैक्स ने जो पैसे जब्त किए थे वह मुंबई में एसबीआई के मीरा इंडस्ट्रीयल एस्टेट ब्रांच में पूजा ब्यूटी पार्लर नाम के एक निष्क्रिय खाते से निकाले गए थे। केवाईसी को फर्जी तरीके से अपडेट कर फर्जीवाड़ा किया गया था।
एसबीआई के मैनेजर का नया मोडस ऑपरेंडी
इनकम टैक्स की टीम ने दरभंगा एयरपोर्ट पर रौशन कुमार नाम के एक व्यक्ति के पास से 10 लाख रुपए जब्त किए थे। रौशन इस नकदी का वैध स्रोत नहीं बता पाया था। पूछने पर पता चला कि वह मुंबई से पैसा लेकर आ रहा है और उसे एसबीआई मीरा इंडस्ट्रीयल एस्टेट ब्रांच के मैनेजर आनंद कुमार गुप्ता ने यह रकम दी थी। आनंद कुमार पटना के रहने वाले हैं और रौशन दरभंगा का निवासी है। इनकम टैक्स की टीम ने मुंबई में आनंद से पूछताछ की तो नए तरह के मोडस ऑपरेंडी का खुलासा हुआ। पता चला कि मैनेजर केवाईसी में गड़बड़ी कर किसी अन्य खाताधारी के निष्क्रिय एकाउंट से लाखों रुपए निकाल रहा था।
खाता किसी और का केवाईसी किसी और के नाम का
बैंकों में वैसे अकाउंट जिस पर कोई लोन हो और एनपीए घोषित कर दिया जाता है, वैसे खातों को टार्गेट किया जाता है। खासकर वैसे खाते जो वर्षों से इनएक्टिव हों। मैनेजर आनंद कुमार के ही ब्रांच में पूजा ब्यूटी पार्लर के नाम से खाता है जो इनएक्टिव है। मैनेजर को इसकी जानकारी थी। उसने दरभंगा के रहने वाले अपने सहयोगी रौशन का खाता दरभंगा से मुंबई ट्रांसफर कराया। उसके नाम से 30 अगस्त 2025 को पार्लर का केवाइसी अपडेट किया और 66.38 लाख रुपए रौशन के खाते में ट्रांसफर कर दिया। उसके मोबाइल फोन और बैंक के रिकार्ड में इसके प्रमाण मिले हैं।
सीबीआई कर सकती है जांच
इस मामले की जानकारी आयकर विभाग ने एसबीआई प्रबंधन और सीबीआई से साझा की है। मामला अब सीबीआई को सौंपने की तैयारी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि किस पैमाने पर यह स्कैम चल रहा है। आशंका है कि इस फर्जीवाड़े का इस्तेमाल मनी लॉड्रिग में हो सकता है।
क्या है डोरमैट अकाउंट
जब खाता में एक दो साल तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं होता, तो बैंक उस खाते को डोरमैट अकाउंट यानी निष्क्रिय खाता घोषित कर देता है। इसे सक्रिय कराना पड़ता है ताकि पैसा चोरी या गलत इस्तेमाल न हो। वैसे खातों की जानकारी मैनेजर्स को होती है। जालसाजों द्वारा 8-10 वर्षों से निष्क्रिय खातों को टारगेट किया जाता है। इसमें ऐसे खाता धारकों के भी पैसे पड़े रहते हैं जिनकी मृत्यु हो जाती है और जिसका कोई वारिस या दावेदार नहीं होता है। कभी कभी यह दावेदारी के आपसी विवाद के कारण भी फंस जाता है। ऐसे खातों में हेराफेरी करना बैक मैनेजर के लिये आसान होता है और कोई पूछने वाला भी नहीं होता है।
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