Bokaro : भाजपा द्वारा स्व दीन दयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमे मुख्य अतिथि देश के रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ शामिल हुए। बोकारो आगमन पर नया मोड़ में जिला अध्यक्ष जयदेव राय के नेतृव में भव्य स्वागत किया गया। बोकारो क्लब के सभागार में संगोष्ठी का उद्घाटन स्व दीन दयाल उपाध्याय,श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया।
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इस दौरान जिला अध्यक्ष जयदेव राय द्वारा मुख्य अतिथि को अंग वस्त्र पुष्प गुच्छ देकर स्वागत व अभिनंदन किया गया। संचालन जिला महामंत्री अनिल स्वर्णकार एवं धन्यवाद ज्ञापन संजय त्यागी ने की।
Bokaro : दीन दयाल उपाध्याय के जीवनी से हमें सीख लेने की जरूरत है-संजय सेठ
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जीवनी से हमें सीख लेने की जरूरत है। उन्होंने राष्ट्रवाद के लिए लोगों को जगरूक किया। उनका मानना था कि स्वदेशी और लघु उद्योग भारत की आर्थिक योजना की आधारशिला होनी चाहिए, जिसमें सद्भाव, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय नीति और अनुशासन का समावेश हो। स्वदेशी की प्राथमिकता रखते हुए वह विश्व स्तर पर हो रहे नवाचारों को अपनाने के भी कतई खिलाफ नहीं थे।
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पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को धनकिया नामक स्थान, जयपुर अजमेर रेलवे लाइन के पास राजस्थान में हुआ था। उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था। नागला चंद्रभान दीनदयाल जी का पैतृक गांव था, और नगला चंद्रभान (फरह, मथुरा) के निवासी थे। उनकी माता का नाम रामप्यारी था, जो धार्मिक प्रवृत्ति की थीं।
एक भारतीय राजनीतिज्ञ, एकात्म मानववाद विचारधारा के प्रस्तावक और राजनीतिक दल भारतीय जनसंघ (बीजेएस) के नेता थे, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का अग्रदूत थे।
Bokaro : 1952 में इसका प्रथम अधिवेशन कानपुर में हुआ
उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए संजय सेठ ने कहा कि संघ के माध्यम से ही उपाध्याय जी राजनीति में आये। 21 अक्टूबर 1951 को डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना हुई। गुरुजी (गोलवलकर जी) की प्रेरणा इसमें निहित थी। 1952 में इसका प्रथम अधिवेशन कानपुर में हुआ। उपाध्याय जी इस दल के महामंत्री बने। इस अधिवेशन में पारित 15 प्रस्तावों में से 7 उपाध्याय जी ने प्रस्तुत किये। डॉ० मुखर्जी ने उनकी कार्यकुशलता और क्षमता से प्रभावित होकर कहा- “यदि मुझे दो दीनदयाल मिल जाएं, तो मैं भारतीय राजनीति का नक्शा बदल दूँ।”
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1967 तक उपाध्याय जी भारतीय जनसंघ के महामंत्री रहे। 1967 में कालीकट अधिवेशन में उपाध्याय जी भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वह मात्र 43 दिन जनसंघ के अध्यक्ष रहे। 10/11 फरवरी 1968 की रात्रि में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई। 11 फरवरी को प्रातः पौने चार बजे सहायक स्टेशन मास्टर को खंभा नं० 1276 के पास कंकड़ पर पड़ी हुई लाश की सूचना मिली। शव प्लेटफार्म पर रखा गया तो लोगों की भीड़ में से चिल्लाया- “अरे, यह तो जनसंघ के अध्यक्ष दीन दयाल उपाध्याय हैं।” पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गयी?
चुमन कुमार की रिपोर्ट–
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