धनबाद: झारखंड के कई जिले से कोयला देश के अन्य राज्यों में भेजा जाता है. उनमें से एक है कोयलांचल धनबाद. जिसे भारत के सर्वाधिक कोयला उत्खनन के श्रोत के रूप में भी जाना जाता है. धनबाद को देश के कोयला की राजधानी भी कही जाती है. धनबाद जिले से देश के अलग-अलग कारखानों और पावर प्लांट को कोयला भेजा जाता है. खासकर धनबाद के निरसा, झरिया और बाघमारा क्षेत्र से कोयले की ढुलाई आम बात है. लेकिन खबर है कि पिछले कई सालों से धनबाद के अलग-अलग खदानों से काले हीरे का अवैध कारोबार जारी है. इस चोरी में कोल कंपनियों के पदाधिकारियों, स्थानीय प्रशासनिक पदाधिकारियों के सांठ-गांठ की महक कोयला चोरों के साथ नजर आ रही है.
करोड़ों के काले हीरे का काला कारोबार धनबाद जिले के कई थानाक्षेत्र में आने वाले खदानों के लिए आम बात हो गयी है. जिसमें निरसा, बलियापुर, झरिया, बाघमारा, जोड़ापोखर समेत कई थानों के पदाधिकारी और एसएचओ सहित आला अधिकारियों की मिलीभगत की बात सामने आयी है. जो कि सिर्फ कोयला की तसीली नहीं करते, बल्कि कोयला चोरों से टोकन के रूप में मोटी रकम की वसूली भी किया करते हैं.
अगर सिर्फ निरसा और झरिया के बात करें, तो इस क्षेत्र में पिछले कई सालों से ECL और बीसीसीएल के कई खदान बंद पड़े हैं. लेकिन इन खदानों ने लगातार कोयले का उठाव किया जा रहा है. पुलिस प्रशासन के नाक के नीचे से स्थानीय कोयला कारोबारी इस खेल को अंजाम दे रहे हैं. लेकिन स्थानीय खाकी और खादी वर्दीधारी को कोयला चोर मैनेज कर नियमित काम कर रहे हैं.
ऐसा नहीं है कि पुलिस खदानों में छापेमारी नहीं करती, छापेमारी भी होती है, कोयला चोरों पर प्राथमिकी भी दर्ज की जाती है. लेकिन ऐसी प्राथमिकियों से नामचीन कोयला कारोबारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता और काले हीरे का काला कारोबार अनवरत चलता चला जा रहा है.
इनमें से कुछ नामचीन कोयला चोरों की बात करें, तो निरसा के सिंडिकेट का सरदार गोप, मुन्ना और सिंह नामक कई कोयला कारोबारी सामने आएंगे. जो कि विभिन्न व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के संचालन के नाम पर कोयला चोरी का कारोबार कर कर रहे हैं. वहीं झरिया में यादव,चौहान और सिंह जी की भी धाक है. ऐसे सैंकड़ों कोयला चोर नियमित रूप से बंद पड़े कोयला खदान से ट्रक, ट्रैक्टर, साइकिल, मोटरसाइकिल सहित ढुलाई वाले वाहनों से कोयले की अवैध ढुलाई की जा रही है.
कोयला चोरी के मामले पर उपायुक्त धनबाद से बात की गयी. तो उन्होंने बताया कि खनन कार्य में लगे कंपनियों के संचालकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन से सहयोग लेकर ऐसे मामले पर अंकुश लगाए.
बहरहाल अभी आलम यह है कि कोयलांचल धनबाद में कोरोड़ों रूपए के कोयले का काला कारोबार जरूरी है. जिससे केन्द्र और राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है.
रिपोर्ट: संदीप, अनिल मुंडा, सूरज के साथ राजकुमार जायसवाल