मुजफ्फरपुर: Muzaffarpur के लोक आस्था का महाकेंद्र देवाधिदेव शिव जी का मंदिर बाबा गरीबनाथ मंदिर के नाम से विख्यात है। इन्हें हम मनोकामना सिद्ध स्थल के रूप में भी जानते हैं। बिहार के देवघर के नाम से प्रसिद्ध मुजफ्फरपुर जिला का गरीबनाथ मन्दिर के मुख्य पुजारी विनय पाठक ने बताया कि इस मंदिर के बारे में यह कथा प्रचलित है कि पुराने गरीबनाथ का मंदिर वर्तमान में जहां अवस्थित है, उस जमीन के मालिक ने आर्थिक तंगी की वजह से अपनी जमीन किसी जमींदार के हाथ बेच दी।
उसी जमीन में एक बरगद का पेड़ भी था, जो अभी भी प्रांगण में मौजूद है। जमीन के नए मालिक ने कुछ मजदूरों को बुलाकर उस बरगद के पेड़ को कटवाना शुरू किया। तभी बरगद के पेड़ से रक्त जैसा तरल रिसने लगा। जमींदार ने आगे का काम बंद करवा दिया। इसके अलावे जो भी भक्त श्रद्धालु मनोकामना लेकर आते हैं उनकी मनोकामना की पूर्ति होती है इसलिए इन्हें मनोकामना सिद्ध धाम के नाम से भी जानते हैं।
वही बाबा गरीब नाथ धाम नामक पत्रिका की लेखिका और शोधार्थी डॉ संगीता साह ने बताया कि 18 वीं सदी के पूर्व में सेठ शिवदत्त राय चाचा नामक व्यक्ति ने इस भूखंड के जंगल और जमीन को खरीदा था। सफाई के क्रम में मजदूर का कुदाल भूमिगत पत्थर से टकराया जो शिवलिंग नुमा था। शिवदत्त राय ने अपनी जमीन पर मंदिर निर्माण करवाया जो कालांतर में श्रद्धालुओं का केंद्र बन गया।
मनोकामना लिंग के रूप में भक्तों के बीच विख्यात बाबा गरीबनाथ की महिमा समय के साथ निरंतर बढ़ती जा रही है। सावन के महीने में, विशेषकर सोमवार को सोनपुर के पहलेजा घाट से 70 किलोमीटर की दूरी तय कर कांवड़िए लाखों की संख्या में पवित्र गंगा जल से बाबा गरीबनाथ का जलाभिषेक करते हैं। देवघर की तर्ज पर बाबा गरीबनाथ धाम में भी ‘डाक बम’ द्वारा गंगा जल लेकर महज 12 घंटे में बाबा का जलाभिषेक करने की परम्परा रही है। बाबा की महिमा ऐसी है कि उनका जलाभिषेक करने के लिए हर साल कांवड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही हैं।
मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन बताया कि प्रत्येक सावन माह में जिला प्रशासन मुजफ्फरपुर के द्वारा श्रद्धालु भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पेयजल, टेंट, सुरक्षा समेत सभी व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इसे राजकीय दर्जा देने के लिए प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
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मुजफ्फरपुर से संतोष कुमार की रिपोर्ट
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