रांची: विधानसभा चुनाव के दौरान झारखंड में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बार फिर से हाईकोर्ट का रुख किया है और राज्य में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत हुए कई घोटालों की सीबीआई जांच की मांग की है। ईडी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि मनरेगा, टेंडर कमीशन, जमीन, कोयला, बालू, शराब, अवैध खनन, और ग्रामीण विकास विभाग में हुए घोटालों की जांच के लिए उसने कई बार राज्य सरकार को सूचित किया, परंतु सरकार ने एफआईआर दर्ज करने या कार्रवाई करने में रुचि नहीं दिखाई।
ईडी का कहना है कि उसने मनरेगा घोटाले की जांच के दौरान 19.76 करोड़ रुपए की नकदी और आरोपियों की 82.77 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की थी। इसके अलावा, अवैध खनन मामले में पांच करोड़ नकद और बैंक खातों में 13 करोड़ रुपए के साथ दो एके-47 हथियार भी बरामद किए गए। इन सभी मामलों में ईडी ने सरकार को समय-समय पर सूचना दी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
इसके अतिरिक्त, ग्रामीण विकास विभाग के घोटाले में 39.28 करोड़ रुपए की नकदी, और जमीन घोटाले में कुल 236.03 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई। बालू और शराब घोटाले में भी करीब 14.28 करोड़ रुपए की हेराफेरी का पता चला है। ईडी ने इन सभी मामलों की जानकारी सरकार को दी, लेकिन किसी भी आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई।
ईडी का आरोप है कि इन सभी मामलों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है और राज्य सरकार का सहयोग न मिलने से मामले ठंडे बस्ते में पड़े हुए हैं। एजेंसी का कहना है कि इन घोटालों की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई से जांच आवश्यक है ताकि पूरी पारदर्शिता के साथ दोषियों पर कार्रवाई की जा सके। हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि चुनावी माहौल में इस मुद्दे पर राज्य सरकार का क्या रुख रहेगा।