रांची: सुगंधित उत्पादों का उपयोग आमतौर पर आनंद और ताजगी के लिए किया जाता है, लेकिन हालिया रिपोर्टों के अनुसार, इनसे सेहत को भी गंभीर खतरे हो सकते हैं। सिंथेटिक परफ्यूम, डिटर्जेंट, रूम स्प्रे और शैम्पू में प्रयुक्त रसायनों से एलर्जी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है।
इसको लेकर सुगंध व स्वाद विकास केंद्र, कन्नौज के निदेशक वीवी शुक्ला ने जो जानकारी मीडिया को दी है उसके अनुसार “सिंथेटिक सुगंध में छह हजार से अधिक कार्बनिक रसायनों का उपयोग होता है। इन रसायनों का स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।” विशेषज्ञों का कहना है कि इन रसायनों से सिरदर्द, अस्थमा, हृदय और तंत्रिका संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
सिंथेटिक सुगंध वाले उत्पादों के लगातार संपर्क से एलर्जी के साथ-साथ प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी नकारात्मक असर हो सकता है। कई रसायन शरीर के हार्मोनल सिस्टम को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। इसके अतिरिक्त, त्वचा पर स्प्रे किए गए सुगंधित रसायन रक्त में मिल सकते हैं, जिससे इनके दुष्प्रभाव और बढ़ जाते हैं।
साफ-सफाई के उत्पादों, डिटर्जेंट, रूम स्प्रे, डियोडरेंट और शैम्पू में भी सिंथेटिक सुगंध का उपयोग बढ़ता जा रहा है। इनमें प्रयुक्त रसायन एलर्जन्स, हार्मोन डिसरप्टर, अस्थमा ट्रिगर और न्यूरोटॉक्सिन के रूप में पहचाने गए हैं।
केंद्र सरकार के एमएसएमई मंत्रालय के एक अध्ययन के अनुसार, वैश्विक सुगंध बाजार की मूल्य लगभग 2 लाख करोड़ रुपए है, जिसमें भारत का योगदान 2 हजार करोड़ रुपए है। यह आंकड़ा 2030 तक बढ़कर साढ़े पांच हजार करोड़ रुपए तक पहुँचने की उम्मीद है।
इससे साफ है कि सुगंधित उत्पादों का उपयोग करते समय सावधानी बरतना आवश्यक है। संतुलित और नियंत्रित उपयोग से स्वास्थ्य पर संभावित नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।