गया: गया में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर अचानक हड़ताल (Strike) कर दी, जिससे बस सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। गया के सरकारी बस स्टैंड पर यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ा, लेकिन बसों का परिचालन ठप होने के कारण उन्हें भारी असुविधा झेलनी पड़ी। हड़ताल (Strike) पर गए कर्मचारियों ने बस स्टैंड पर विरोध प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
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कर्मचारियों की नाराजगी और उनकी मांगें हड़ताल (Strike) पर गए कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें पिछले कई महीनों से उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि निगम के तहत कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी वर्ष 2016 से कार्यरत हैं, जबकि बाहरी स्रोत (आउटसोर्सिंग एजेंसी) के माध्यम से जुड़े कर्मचारी 2021 से सेवा दे रहे हैं। पूर्व में 31 दिन वाले महीनों में 27 दिन और 30 दिन वाले महीनों में 26 दिनों का वेतन दिया जाता था, लेकिन नवंबर 2024 में जारी एक आदेश के बाद अब केवल 26 दिनों का ही भुगतान हो रहा है।
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सप्ताहिक विश्राम अवधि चार दिन का वेतन नहीं दिया जा रहा, जिससे उन्हें न्यूनतम पारिश्रमिक भी नहीं मिल रहा। समय पर वेतन, ईपीएफ और ईएसआईसी का भुगतान भी नहीं किया जा रहा, जिससे वे गंभीर आर्थिक संकट में हैं। बढ़ती महंगाई में पूरे महीने के वेतन के बिना घर चलाना मुश्किल हो गया है, इसलिए जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं तब तक वे हड़ताल जारी रखेंगे। प्रशासन की प्रतिक्रिया बिहार राज्य पथ परिवहन निगम, गया यात्रियों को परेशानी हो रही है और बसों का परिचालन प्रभावित हुआ है।
Strike के कारण मुश्किल में फंसे यात्री
उन्होंने बताया कि 25 फरवरी को सरकार और आउटसोर्सिंग एजेंसी के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता होगी, जिसमें हड़ताल (Strike) कर रहे कर्मचारियों की मांगों पर चर्चा की जाएगी। हड़ताल करने वाले कर्मचारी निगम के स्थायी कर्मचारी नहीं हैं बल्कि आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से काम कर रहे हैं। कर्मचारियों के बकाए वेतन का भुगतान चार से पांच दिनों के अंदर कर दिया जाएगा। यात्रियों की परेशानी चरम पर हड़ताल के कारण सबसे ज्यादा मुश्किलें यात्रियों को उठानी पड़ीं। गया बस स्टैंड से लंबी दूरी की बसें न चलने से यात्री इधर-उधर भटकते रहे।
कई लोग ऑटो और निजी वाहनों का सहारा लेने को मजबूर हुए, जिससे उनका खर्च भी बढ़ गया। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक वे हड़ताल से पीछे नहीं हटेंगे। अब सबकी नजरें 25 फरवरी को होने वाली वार्ता पर टिकी हैं, जिससे इस संकट का कोई समाधान निकल सके।
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गया से आशीष कुमार की रिपोर्ट