रांची: बच्चों में मोबाइल और गेमिंग की लत उनकी सुनने की क्षमता पर गंभीर असर डाल रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ‘वर्ल्ड हियरिंग डे’ (3 मार्च) के अवसर पर चेतावनी दी है कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम, तेज आवाज में गेमिंग और मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से बच्चे स्थायी रूप से सुनने की क्षमता खो सकते हैं।
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मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा कर बताया कि बच्चों में तेज आवाज और स्क्रीन से जुड़ी गतिविधियों के कारण बधिरता के मामले बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, मोबाइल, लैपटॉप और टीवी पर बढ़ते स्क्रीन टाइम के साथ तेज आवाज में गेम खेलने से श्रवण शक्ति कमजोर हो सकती है, जो आगे चलकर स्थायी बधिरता का कारण बन सकती है।
बच्चों के लिए सबसे अधिक खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों के कानों की संरचना अधिक संवेदनशील होती है, जिससे अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण से उन्हें अधिक नुकसान पहुंच सकता है। तेज आवाज में हेडफोन या ईयरफोन का उपयोग उनकी श्रवण क्षमता को धीरे-धीरे प्रभावित कर सकता है। ऐसे में, समय-समय पर कानों की जांच कराना और स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करना बेहद जरूरी हो गया है।
कैसे बचाएं बच्चों की सुनने की क्षमता?
विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों को बधिरता से बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए:
- मोबाइल और लैपटॉप के उपयोग का समय सीमित करें।
- गेमिंग के दौरान ध्वनि का स्तर कम रखें।
- बच्चों को नियमित रूप से कान की जांच के लिए डॉक्टर के पास ले जाएं।
- हेडफोन और ईयरफोन का कम से कम उपयोग करें।
सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों की आदतों पर ध्यान दें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श लें, ताकि सुनने की क्षमता को सुरक्षित रखा जा सके।