1971 में आज के दिन भारत ने पाकिस्तान पर की थी जीत हासिल

RANCHI: 1971 भारत-पाक युद्ध – आज विजय दिवस है. आज ही के दिन भारत ने पाकिस्तान

पर विजय हासिल किया था. वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध के

दौरान आज ही के दिन भारत ने विजय हासिल की थी.

और उसी उपलक्ष्य में यह दिन हर वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
वर्ष 1971 में हुए इस भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी सेना पराजित हुई और 16 दिसंबर 1971

को ढाका में 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था.

इस युद्ध के 12 दिनों में अनेक भारतीय जवान शहीद हुए और हजारों घायल हुए थे.

पाक सेना का नेतृत्व कर रहे ले. जनरल एके नियाजी ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के कमांडर ले.

जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण कर हार स्वीकार की थी.

दुनिया के इतिहास में इतने बड़े केवल दो ही सरेंडर हुए हैं, पहला लेनिनग्रैड में और दूसरा बांग्लादेश

में उस समय जनरल सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के प्रमुख थे. इस जंग के बाद बांग्लादेश के

रूप में विश्व मानचित्र पर नये देश का उदय हुआ. तक़रीबन 3,900 भारतीय जवान इस जंग

में शहीद हुए और 9,851 जवान घायल हुए.


1971 भारत-पाक युद्ध- झारखण्ड के लांस नायक सहित इन वीरों ने दी थी थी कुर्बानी

लांस नायक अलबर्ट एक्का 1971 के इस ऐतिहासिक भारत पाकिस्तान युद्ध में अलबर्ट एक्का ने अपनी वीरता,

शौर्य और सैनिक हुनर का प्रदर्शन करते हुए अपने इकाई के सैनिकों की रक्षा की.

भारत सरकार ने इनके अदम्य साहस और बलिदान को देखते हुए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया.

सेनाध्यक्ष सैम मानेकशॉः सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ उस समय भारतीय सेना के अध्यक्ष

थे जिनके नेतृत्व में भारत ने सन् 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ा और इसमें विजय हासिल की.

और बांग्लादेश का जन्म हुआ.

कमांडर ले. जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा जगजीत सिंह अरोड़ा भारतीय सेना के कमांडर थे.

वो जगजीत सिंह अरोड़ा ही थे जिनके साहस और युद्ध कौशल ने पाकिस्तान की सेना को समर्पण के

लिए मजबूर किया. ढाका में उस समय तक़रीबन 30, 000 पाकिस्तानी सैनिक मौजूद थे और

लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह के पास ढाका से बाहर करीब 4000 सैनिक ही थे. दूसरी सैनिक

टुकड़ियों का अभी पहुंचना बाकी था. लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह ढाका में पाकिस्तान के

सेनानायक लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी से मिलने पहुंचे और उस पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालकर

उन्होंने उसे आत्मसमर्पण के लिए बाध्य कर दिया.

1971 भारत-पाक युद्ध – और इस तरह पूरी पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.

मेजर होशियार सिंहः मेजर होशियार सिंह को भारत पाकिस्तान युद्ध में अपना पराक्रम दिखाने

के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.

फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों निर्मलजीत सिंह सेखों 1971 मे पाकिस्तान के विरुद्ध

लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए. उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.

लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपालको अपने युद्ध कौशल और पराक्रम के

बल पर दुश्मन के छक्के छुड़ाने के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.

चेवांग रिनचौन चेवांग रिनचौन की वीरता और शौर्य को देखते हुए इन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

महेन्द्र नाथ मुल्ला 1971 भारत-पाक युद्द के समय महेन्द्र नाथ मुल्ला भारतीय नेवी में तैनात थे।

महेन्द्र नाथ मुल्ला को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.

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