रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की अदालत में
बड़ा घाघरा में अपोलो चेन्नई अस्पताल को जमीन देने के
विवाद को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज मामले में सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान अदालत ने रांची उपायुक्त की ओर से
जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई.
इसके बाद उनपर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.
अदालत ने कहा कि उक्त राशि हाई कोर्ट विधिक सेवा प्राधिकार में जमा करने का निर्देश दिया है.
उक्त राशि की जमा रसीद के बाद ही उपायुक्त की ओर से अब जवाब दाखिल किया जा सकेगा.
मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.
अदालत ने पूर्व में इस मामले में रांची नगर निगम के अपर नगर आयुक्त को नोटिस जारी किया था. उनसे पूछा था कि आपके खिलाफ क्यों नहीं विभागीय कार्रवाई शुरू किया जाए. लेकिन उनकी ओर से अदालत में समय देने का आग्रह करते हुए आइए याचिका दाखिल की गई थी. लेकिन रांची उपायुक्त की ओर से न तो कोई जवाब दाखिल किया गया और न ही आइए याचिका दाखिल की गई थी.
नगर निगम और अपोलो चेन्नई के बीच वर्ष 2018 में हुआ था एग्रीमेंट
रांची के बड़ा घाघरा में 2.83 एकड़ जमीन अस्पताल बनाने के लिए रांची नगर निगम और अपोलो चेन्नई के बीच वर्ष 2018 में एग्रीमेंट हुआ था. इसमें स्थानीय लोगों के लिए 50 प्रतिशत बेड आरक्षित रखने की शर्त पर एक रुपये में जमीन दी गई है. दिसंबर 2021 में निगम ने उक्त जमीन खाली करने के लिए नोटिस जारी किया था. मामले में एकल पीठ ने उक्त जमीन नगर निगम की मानते हुए प्रार्थियों के दावे को खारिज कर दिया था. इसके बाद मामला खंडपीठ में पहुंचा था.
कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
अदालत ने तीन सदस्यीय अधिवक्ताओं की एक प्लीडर कमिश्नर की नियुक्त की थी. उनकी रिपोर्ट पर अदालत ने कहा था कि रामनवमी के अगले दिन ही नगर निगम को ऐसी कार्रवाई करने की हड़बड़ी क्यों थी. इसके बाद कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. इस मामले में उपायुक्त को भी प्रतिवादी बनाया गया है.
रिपोर्ट : प्रोजेश दास