अदिवासी महिला के सपने और संघर्ष की कहानी
पाकुड़ : ये कहानी एक ऐसी महिला की है जो गरीब-पिछड़े आदिवासी समाज से आती है. पिछड़े पृष्ठभूमि को पीछे छोड़ सुनहरे भविष्य का सपना लिए वो बड़ी हुई. राह आसान न था, चुनौतियां बहुत थी. फिर भी ग्रैजुएशन किया और नौकरी की तलाश शुरू की लेकिन वो मिली नहीं. तब उसने सोचा खुद का बिजनेस करूंगी और दूसरों को भी काम दूंगी. चुनौतियां तो इस बार भी कम नहीं थी परन्तु साथ में भविष्य का सपना था और उसे साकार करने का जज्बा भी. इसका नतीजा भी निकला और सामने आया ‘शिक्षित बेरोजगार लाइन होटल’ जो इन दिनों लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

शिक्षित बेरोजगार लाइन होटल – नहीं मिली नौकरी तो खोल दिया लाइन होटल
जब आप यहां रूकते हैं तो एक साथ कई बातें रोमांचित करती हैं. होटल का नाम और इसके पीछे की कहानी को लेकर ज्यादातर लोगों को जिज्ञासा होती है. पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा की रहने वाली अनीता मुर्मू भी आम लड़कियों की तरह ही नौकरी कर सेटल होना चाहती थी.
उन्होने ग्रैजुएशन किया और नौकरी की तलाश शुरू की लेकिन मिली नहीं. तब उन्होने खुद का काम शुरू करने का मन बनाया. अब सवाल ये था कि कौन सा काम शुरू किया जाए. दुविधा दूर हुई दिल्ली-चंडीगढ़ की यात्रा के दौरान.
लोगों के आकर्षण का केंद्र बना होटल का इंटीरियर
अनिता बताती हैं कि अपनी यात्रा के दौरान उन्होने बांस से बने एक खूबसूरत होटल को देखा और तय कर लिया कि क्या करना है. वापस लौटकर उन्होने योजना बनाई और काम शुरू कर दिया.
बाहर से भी कारीगर बुलाए. करीब सत्तर दिन और तीन लाख रुपये लगे और बनकर तैयार हो गया ‘शिक्षित बेरोजगार लाइन होटल’.
इंटीरियर ऐसा है कि कई यात्री यहां रूकने के बाद सेल्फी क्लिक भी नहीं भूलते हैं. अनिता मुर्मू का कहना है वो चाहती थी कि उनके काम में उनकी संस्कृति की भी झलक मिले इसलिए बांस के इंटीरियर का आइडिया उन्हे तुरंत जंच गया.
अनिता मुर्मू आज सफलतापूर्वक अपना होटल व्यवसाय चला रही हैं. वो चाहती हैं कि
अदिवासी समाज की दूसरी लड़कियां और महिलाएं भी इसी तरह से आगे आएं और आत्मनिर्भर बनें.
रिपोर्ट : संजय