केंद्र सरकार से सरना धर्म कोड की मांग को लेकर प्रतिनिधि सभा की बैठक

जामताड़ा : जामताड़ा में सरना धर्म कोड लागू करने के लिये केंद्र सरकार से मांग की गई है. बता दें कि राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय पहान के आवास पर समिति के कार्यकर्ता पहुंचे. जहां सबसे पहले संथाल परगना के सरना धर्मगुरु लश्कर सोरेन के द्वारा संथाल परगना की धरती में आगमन पर स्वागत और समाज में उत्कृष्ट कार्य को देखते हुए शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया. रांची में नव मनोनीत प्रदेश उपाध्यक्ष पान हांसदा और सचिव निर्मल मरांडी को प्रभार देते हुए आगामी 31 जनवरी 2022 तक संथाल परगना के सभी 6 जिलों जामताड़ा, दुमका, साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा, देवघर में जिला समिति का पुनर्गठन हेतु जिम्मेवारी दी गई.

मौके पर रवि तिग्गा ने कहा की लगातार सरना धर्म कोड के लिए आंदोलन कर रहे हैं. हमारी माँग केंद्र सरकार से है. जल्द से जल्द सरकार सरना धर्म कोड लागू करें. आदिवासियों का विकास के लिये सरना धर्म कोड अति आवश्यक है. सरना धर्म कोड मिलने से हमारी पारंपरिक व्यवस्था, हमारी रूढ़िगत व्यवस्था के साथ अन्य व्यवस्था सुरक्षित रहेगा. जिसके लिये हमारा पूरा समाज राज्य ही नही पूरे देश में आंदोलन कर रहा है. इसी गंभीरता को समझते हुवे झारखण्ड सरकार ने विधानसभा में पारित कर केंद्र सरकार को भेजा है.

वहीं  नारायण उरांव कहा की राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा का गठन होने के बाद एक एक अगुवा अपनी प्राणों को निरक्षावर करते हुवे हमारी परंपरा को बचाने का प्रयास किया है. झारखण्ड आदिवासियों के लिये केंद्र है और यहां से जो भी आवाज उठती है वो पूरे देश में गूंजती है. सरना धर्म की चर्चा देश ही नही बल्कि विदेशों में भी है. विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी हावर्ड यूनिवर्सिटी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरना धर्म की चर्चा कर चुके है. इस देश में कई धर्म है और इसको मानने वाले लोग भी हैं जिसके चलते सभी धर्मों को मान्यता मिली हुई है. इसलिए आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड अति आवश्यक है.

वहीं प्रवक्ता संजय पहान ने कहा की दुनिया बचाने की पहल है. अभी महामारी चल रही है. जिसके कारण है प्राकृतिक से दूर हो रहे हैं. सरना धर्म नेपाल, भूटान और बांग्लादेश इन तीन देशों में भी है. पूरे देश में 15 करोड़ आदिवासी हैं. अभी वर्तमान में 50 लाख लोग सरना धर्म लिखते है, लेकिन अगले 2 वर्षों में 15 करोड़ लोग सरना धर्म लिखेंगें.

ऱिपोर्ट : निशिकान्त मिस्त्री

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