डिजिटल डेस्क : वन नेशन वन इलेक्शन का बिल आज होगा लोकसभा में पेश, भाजपा का अपने सांसदों के लिए व्हिप जारीलोकसभा में आज मंगलवार के एजेंडा की संशोधित कार्यसूची सामने आने के बाद बिल को लेकर तस्वीर साफ हो गई है। केंद्र सरकार आज मंगलवार को लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल पेश करेगी।
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भाजपा ने लोकसभा के अपने सांसदों के लिए तीन लाइन का एक व्हिप भी जारी किया है। भाजपा ने अपने सभी सांसदों को आज अनिवार्य रूप से सदन में मौजूद रहने का निर्देश दिया है।
एक दिन के लिए यह बिल संसद में पेश होना टल गया था…
बता दें कि पहले यह तय था कि सरकार बीते दिन यानी सोमवार को वन नेशन वन इलेक्शन का बिल केंद्र सरकार लोकसभा में पेश करेगी। लेकिन अपरिहार्य कारणों की वजह से टाल दिया गया।
उसके लिए बीते शुक्रवार को लोकसभा के जारी कार्यसूची में इस बिल को शामिल किया गया था और उसी दिन सभी सांसदों को बिल की कॉपी भी वितरित कर दी गई थी। लेकिन बाद में लोकसभा केसंशोधित कार्यसूची से बिल को हटा दिया गया था।

वन नेशन वन इलेक्शन बिल पेश होने के बाद गठित हो स कती है जेपीसी….
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, वन नेशन वन इलेक्शन लोकसभा में पेश होने और विस्तृत चर्चा और सहमति बनाने के लिए बिल को जेपीसी (संयुक् संसदीय समिति) में भेजा जा सकता है। बिल को जेपीसी में भेजने की मांग होती है तो सरकार को इस बिल को संसदीय समिति को भेजने में कोई एतराज नहीं है।
बताया जा रहा है कि कल ही जेपीसी का गठन भी हो जाएगा जिसमें बीजेपी-कांग्रेस समेत तमान दलों के सदस्यों के नाम का ऐलान भी होगा। मिली जानकारी के मुताबिक, वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर NDA के सभी घटक दलो से चर्चा हो चुकी है और सभी दल इसके पक्ष में हैं। सरकार के समर्थक सांसदों के मुताबिक विपक्षी दल इसका विरोध सिर्फ राजनैतिक कारणों से कर रहे हैं।

वन नेशन वन इलेक्शन बिल से जुड़ी अहम बातें एकनजर में….
देश में सभी चुनाव एक साथ कराने की चर्चा चल रही है। केंद्र की मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार इसके पक्ष में है। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव भी कराए जाएं। इसके अलावा स्थानीय निकायों, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों के चुनाव भी एक साथ हों।
माना जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी खुद इसके पक्ष में हैं और कई मौकों पर वो इसकी वकालत भी कर चुके हैं। आजादी मिलने के बाद देश में शुरुआती के कई चुनाव वन नेशन वन इलेक्शन के तर्ज पर ही हुए थे।
वर्ष 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी साथ हुए थे। हालांकि, बीच में कुछ राज्यों में सियासी घटनाक्रम बदले और धीरे-धीरे चीजें बदल गईं।
कई राज्यों में सराकर गिरने के बाद मध्यावधि चुनाव भी हुए जिसकी वजह से बीच में अंतराल आ गया। अब स्थिति ऐसी है कि लोकसभा के चुनाव अलग होते हैं और राज्य विधानसभा के चुनाव अलग होते हैं।