Jamshedpur: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि झारखंड में आदिवासियों की जमीन और पहचान पर संकट गहराता जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि “विशेष समुदाय” के लोग आदिवासियों की भूमि पर कब्जा कर रहे हैं और कई जिलों में जनसंख्या संतुलन (डेमोग्राफी) तेजी से बदल रहा है। उन्होंने कहा कि यह सरकार आदिवासियों की नहीं, बल्कि आदिवासी विरोधी सरकार है। साहिबगंज, दुमका, गोड्डा और जामताड़ा जैसे जिलों में विशेष समुदाय की जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि अब आदिवासी लोग खुद को अल्पसंख्यक महसूस कर रहे हैं। यहां तक कि सिद्धू-कानू के भोगनाडीह में भी डेमोग्राफी बदल चुकी है।
शिक्षा व्यवस्था पर भी निशानाः
पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को पूर्ण रूप से विफल बताया। उन्होंने कहा कि घाटशिला में स्कूल है, लेकिन शिक्षक नहीं हैं। झांटी झरना स्कूल में कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाई होती है, मगर वहां केवल एक शिक्षक है। झारखंड में सरकार नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। उन्होंने दावा किया कि राज्य में पिछले छह वर्षों में न तो कोई बहाली हुई, न सड़क बनी, और न ही ग्रामीण इलाकों में जल आपूर्ति की व्यवस्था सुधरी।
धर्मांतरण और जनसंख्या परिवर्तन का मुद्दा उठायाः
चंपई सोरेन ने कहा कि “विशेष समुदाय” के लोगों द्वारा धर्मांतरण और जनसंख्या वृद्धि से झारखंड की जनसांख्यिकी बदल रही है। उन्होंने कहा — डेमोग्राफी बदलने और धर्मांतरण को रोकने के लिए सभी लोगों को एकजुट होना होगा। यह कार्य केवल भारतीय जनता पार्टी ही कर सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही। पाकुड़ से बांग्लादेश की दूरी मात्र 60 किलोमीटर है। वहां से लोग पत्थर उद्योग में आकर काम करने लगते हैं, और फिर वोटर कार्ड, आधार कार्ड, लाइसेंस बनवा लेते हैं।
सुरजू टुडू का बयानः
इस मौके पर पाकुड़ के साम परगना निवासी सुरजू टुडू, जो 1855 के संथाल विद्रोह सेनानी सुरजू टुडू के वंशज हैं, ने भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा बांग्लादेश से आने वाले लोग सरकारी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं और आदिवासी महिलाओं से विवाह कर अपनी जनसंख्या बढ़ा रहे हैं। लालमटिया में सूर्य हांसदा की हत्या इसका उदाहरण है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को पत्र भेजा गया था, जिसके बाद आदेश कमिश्नर को भेजा जा चुका है।
रिपोर्टः लाला जबीन
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