महाकुंभ 2025 में सनातन का भव्य-दिव्य स्वरूप देखेगी दुनिया, सीएम योगी ने कहा कि यूपी है तैयार

CM Yogi

लखनऊ : महाकुंभ 2025 में सनातन का भव्य-दिव्य स्वरूप देखेगी दुनिया, सीएम योगी ने कहा – यूपी है तैयार। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि – ‘महाकुम्भ प्रयागराज 2025 हम सभी के लिए उत्तर प्रदेश की विरासत व विकास की यात्रा तथा सनातन धर्म के भव्य और दिव्य आयोजन को पूरी दुनिया के सामने रखने का एक अवसर है।

…प्रदेश सरकार इस अवसर पर देश व दुनिया के लोगों को महाकुम्भ प्रयागराज के लिए आमंत्रित कर रही है और उनके स्वागत व सम्मान के लिए पूरा उत्तर प्रदेश वहां पर तैयार रहेगा’।

सीएम योगी बोले – यूपी में निवास करती है भारत की आत्मा

सीएम योगी ने कहा कि – ‘उत्तर प्रदेश में भारत की आत्मा निवास करती है। उत्तर प्रदेश भारत की विरासत का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि यहां भारत की सबसे अधिक विरासत की परम्पराएं मौजूद हैं। जब भी कोई व्यक्ति, समाज व राष्ट्र अपनी विरासत और मूल्यों को ढूंढ कर उससे कुछ प्रेरणा प्राप्त करके आगे बढ़ेगा, तो सफलता के नित नए प्रतिमान स्थापित करेगा।

…जो लोग अपने मूल को विस्मृत करके अपने अनुसार उत्तर प्रदेश की यात्रा को आगे बढ़ा रहे थे, उन्होंने उत्तर प्रदेश के सामने पहचान का संकट खड़ा किया था।

…प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश के मूल को ढूंढ कर प्रदेश की विरासत व विकास को इस प्रकार आगे बढ़ाने का कार्य किया, जिस पर हर भारतवासी गौरव की अनुभूति कर रहा है। काशी में श्री काशी विश्वनाथ धाम के विकास व देव दीपावली के आयोजन ने पूरे देश और दुनिया का ध्यान काशी की ओर आकर्षित किया।

…अयोध्या में दीपोत्सव, मथुरा-वृंदावन में रंगोत्सव के भव्य आयोजन ने वहां की एक नई पहचान बनायी है। यह सभी कार्यक्रम क्रमिक रूप से आगे बढ़ाए गए तथा इनसे देश और दुनिया को जोड़ने का कार्य किया गया’।

लखनऊ में सीएम योगी
लखनऊ में सीएम योगी

सीएम योगी बोले – विरासत को सम्मान दिया तो दुनिया भी पीछे-पीछे दौड़ पड़ी…

इसी क्रम में सीएम योगी ने आगे कहा कि – ‘हमने जब अपनी विरासत को सम्मान दिया उसे पहचाना, तो दुनिया भी उसके पीछे-पीछे दौड़ पड़ी। आज दुनिया हमारी विरासत को सम्मान दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से यूनेस्को ने कुम्भ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की मान्यता प्रदान की है।

…पहले हम योग से भागते थे, तो दुनिया हमसे भागती थी। हमारी योग परम्परा को दुनिया ने अपने नाम से पेटेंट कराया था। अनेक लोग भारत की ऋषि परम्परा व भारत के अमृत को अपने नाम से लिखवाते व पेटेंट करवाते थे। प्रधानमंत्री जी की पहल से 21 जून की तारीख ‘अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मान्य हो गई।

…आज दुनिया के 175 देश जब योग की विरासत के साथ जुड़ते हैं, तो लगता है कि भारत की ऋषि परम्परा, प्राचीन आध्यात्मिक धरोहर कहां तक भारत को एक नई पहचान दिला रही है। हर भारतवासी को अपनी विरासत पर गौरव की अनुभूति होती है। इसी विरासत व परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए गए हैं।

…इन्हीं प्रयासों के क्रम में प्रयागराज महाकुम्भ भी हमारी इसी विरासत का हिस्सा है। वर्ष 2017 से पूर्व अयोध्या, काशी, मथुरा-वृंदावन में जिज्ञासु लोगों़ की संख्या कम होती थी। वहां पर श्रद्धा भाव के साथ कुछ हजार लोग आते थे और दर्शन करके चले जाते थे। वहां कोई बेहतर व्यवस्था नहीं थी। प्रयागराज कुम्भ को गंदगी, भगदड़ और अव्यवस्था का पर्याय बना दिया गया था।

…आज इन स्थानों पर देश और दुनिया के लोग आकर्षित हो रहे हैं। यह इसलिए हो पा रहा है क्योंकि आज लोगों को सुरक्षा, सुव्यवस्था व बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुविधा प्राप्त हो रही है।

…साथ ही, इसके पीछे ईमानदारी व प्रतिबद्धता के साथ निरन्तर किये गये कार्य हैं। परिणामस्वरूप आज उत्तर प्रदेश के सामने पहचान का संकट नहीं है। क्योंकि राज्य सरकार ने विरासत को पहचाना और उसको सम्मान देने का कार्य किया है’।

सीएम योगी आदित्यनाथ की फाइल फोटो
सीएम योगी आदित्यनाथ की फाइल फोटो

विरासत के प्रति श्रद्धा और सम्मान की पुनर्बहाली से यूपी में पर्यटकों की संख्या टॉप पर

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि – ‘आज प्रदेश सरकार ने विरासत के प्रति श्रद्धा और सम्मान की पुनर्बहाली की है। परिणाम है कि वर्ष 2017 में पर्यटकों की संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश देश में तीसरे स्थान पर था, जबकि आज उत्तर प्रदेश नंबर एक पर है।

…काशी में 10 करोड़ श्रद्धालु प्रतिवर्ष आ रहे हैं। अयोध्या में यह संख्या 8 करोड़ तक पहुंच गई है। मथुरा-वृंदावन में 7 से 8 करोड़ तक यह संख्या पहुंच गई है। अब काशी, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन, नैमिषारण्य, मां विंध्यवासिनी धाम, शुकतीर्थ व प्रदेश में ईको टूरिज्म और हेरिटेज के विभिन्न स्थानों में आने वाले पर्यटकों, श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।

…भारत के वैदिक ज्ञान की परम्परा को लिपिबद्ध करने की सबसे बड़ी संगोष्ठी/चिन्तन का सबसे बड़ा केंद्र नैमिषारण्य था, जो पहले पहचान के संकट से जूझ रहा था। जिस प्रकार पिछली सरकारों ने उत्तर प्रदेश में युवाओं के सामने पहचान का संकट खड़ा किया था, उसी प्रकार पहचान का संकट इन पौराणिक तीर्थ स्थलों के सामने भी खड़ा किया गया।

…आज नैमिषारण्य फिर से प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में लोगों के सामने आया है। दक्षिण भारत से लोग नैमिषारण्य आकर अपनी परम्पराओं से जुड़ने का कार्य कर रहे हैं’।

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