रांची झारखड़ मे चिकित्सकों की कमी लगातार एक समस्या बनी हुई है. राज्य सरकार लगातार कोशिश कर रही है लेकिन इस समस्या का समाधन नहीं हो पा रहा है. इस समस्या का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की लगभग 5 साल पहले स्वास्थ विभाग की ओर से 200 बच्चों के डॉक्टरों की नियुक्त का प्रयास किया गया था.लेकिन मात्र 36 डॉक्टर ही झारखंड को मिल पाया था. लेकिन इन 36 डॉक्टरों मे से वर्तमान मे 7 डॉक्टर ही काम कर रहें है.
इस सबंध मे झारखंड चिकित्सक संघ की ओर से जानकारी देते हुए डॉ. मृत्युंजय कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बाताया कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग के द्वारा राज्य मे चिकित्सको की कमी को दूर करने के लिए जो भी प्रयास किया जा रहा है वह सभी प्रयास केवल कागजो पर ही दिखता है.
वर्तमान मे झारखंड के सरकारी चिकित्सको के सामने सबसे बड़ी समस्या है वेतन मान की विंसगती. सरकार की तरफ से इस विसंगती को दूर करने के लिए काम तो किया गया है. लेकिन ये पर्याप्त नहीं है.
निजी चिकित्सक संस्थानों के द्वारा अभी के समय मे चिकित्सकों को दिजाने वाले वेतन और सरकारी चिकित्सको को मिलने वाले वेतन मे अभी भी काफी अंतर है जिसे अब तक कम या फिर दूर नहीं किया गया है.
ग्रमिण क्षेत्र मे कार्यरत चिकित्को को समय पर नहीं मिल रहा है इन्सेन्टिव
ग्रामिण क्षेत्र मे चिकित्सको की कमी की समस्या काफी विक्राल रूप ले रही है. ग्रामिण क्षेत्र के अधिकतर चिकित्सक के पोस्ट अभी खाली है. जिन पोस्ट पर चिकित्सकों की नियुक्ति हुई थी वह भी खाली हो रहें है. स्वास्थ विभाग के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र मे काम मरने वाले चिकित्सको को इंनसेन्टवी देने की योजना लायी गई थी.
जिसके बाद ग्रामिण क्षेत्र मे भी चिकित्सको की संख्या मे इजाफा हुआ था लेकिन मौजूदा वक्त मे सभी चिकित्सको को इन्सेन्टिव नहीं दिया जा रहा है..जिसे लेकर चिकित्सको मे भी रोष है.
राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजो मे है चिकित्सको की कमी
राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों मे चिकित्सको की कफी कमी है. केवल रिम्स की बात की जाए तो रिम्स के कई विभागों मे चिकित्सको के कई पोस्ट खाली है जिस से विभाग की मान्यता को खतरा है. वहीं धनबाद मेडिकल कॉलेज की मन्याता को लेकर अभी भी खिंचतान चल रहा है. बकि के बचे सरकारी मेडिकल कॉलेजो की स्थिति मे भी कोई खास अन्तर नहीं है.