इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए धनबाद में मेढ़क-मेढ़की की कराई गई शादी

धनबाद : इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए धनबाद में मेढक-मेढकी की शादी पूरे रश्म के साथ की गई.

मेढक पक्ष से महेंद्र डोम अभिभावक बने. जबकि मेढकी के पक्ष से पांचू रजवार थे.

ढोल बजा के साथ सैकड़ों महिला-पुरुष सहित बच्चों के साथ बरात निकली गई.

जो चुंगी के कुम्हार बस्ती से ऊपर कुल्ही मंदिर होते हुए डोम कूल्ही पहुंची.

विधिवत हुई शादी

यहां मेढ़क व मेढ़की को पीढ़ा पर बैठाया गया.

चादर स्वरूप पूजा में प्रयोग होने वाला लाल सलूक पीढ़ा पर बिछाया गया था.

दोनों जलचर को फूल का माला के बीच रखकर विधिवत सिंदूर दान की रस्म पूरी की गई.

इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए महिलाओं ने गीत गायी. सूखे खेत में हरियाली, जानवरों के लिए चारा, तालाब – कुंआ में जल भर देने की कामना की.

ग्रामीणों को सरकार नहीं कर रही सहयोग- भाजपा

इस अनोखे विवाह में मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष (ग्रामीण) राजेश चौधरी उपस्थित थे. इन्होंने कहा कि ग्रामीणों को सरकार सहयोग नहीं कर रही है. लोग कृषि पर निर्भर है. मजदूर भी प्रभावित हो रहा है. कारण कृषि के लिए मजदूरों को काम में लगाया जाता है. ग्रामीण सक्षम नहीं है कि सुखाड़ को झेल पाए. इस कारण इंद्र देव को खुश करने के लिए मेढक और मेढ़की की विवाह संपन्न कराया गया.

क्या है मान्यता

इस अनूठे विवाह का तर्क यह है कि मेढ़क और मेढ़की जल में रहती है. इसलिए जलचर को पानी की जरूरत होती है. शादी की रश्म होने के बाद अपने आवाज लगाकर अपना जीवन रक्षा के लिए ईश्वर से पानी बरसाने को कहेंगे. जानकारों के अनुसार इसके पहले बारिश के लिए पूर्वजों ने भी जलचरों का विवाह कराया था. यह प्रथा लोक प्रचलन माना जाता है.

कोयलांचल में सुखाड़, सूख गया धान का बिचड़ा

बारिश नहीं होने के कारण कोयलांचल में सुखाड़ की स्थिति बन गई है. धान का बिचड़ा सूख गया है. पानी के अभाव के कारण कई खेतों में हल तक नहीं चलाया गया है. भारत की आत्मा गांवों में निवास करती है. ग्रामीणों की जीविका कृषि पर निर्भर है. अगर बारिश नहीं हुई तो मुख्य फसल धान की खेती नहीं होगी. बारिश के देवता इंद्र को खुश करने के लिए एक अनोखा विवाह संपन्न कराया गया. राजगंज के चुंगी गांव में किसानों ने मेढ़क और मेढ़की की शादी कराई. इसे अंधविश्वास कहा जाय या कुछ और. लेकिन कृषकों के लिए यह रस्म डूबते को तिनके का सहारा है.

रिपोर्ट: राजकुमार जायसवाल

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