1932 खतियान: लोबिन हेंब्रम ने बोरियो में निकाला जुलूस

साहिबगंज : 1932 का खतियान लागू – झारखंड कैबिनेट में 1932 खतियान प्रस्ताव पारित

होने के बाद झामुमो विधायक

लोबिन हेंब्रम ने अपने विधानसभा क्षेत्र बोरियो में जुलूस निकाला.

इस दौरान विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि हमने सदन के भीतर एवं सदन के बाहर भी 1932 खतियान को

लागू करने के लिए अपने सरकार को आईना दिखाने का काम करते आए.

1932 का खतियान लागू करने के लिए खाई थी सौगंध

उन्होंने कहा कि हमने 3 अप्रैल को अपने विधानसभा क्षेत्र में जनसभा का आयोजन करते हुए

हजारों की संख्या में उपस्थित आदिवासी मूलवासी लोगों के साथ सौगंध खाई थी कि

जब तक 1932 का खतियान लागू नहीं होता है हमारा आंदोलन जारी रहेगा.

मैंने राज्य के कई विधानसभा क्षेत्रों में भी जाकर लोगों को जगाने का काम किया.

अंततः हमारे मुख्यमंत्री ने दरिया दिल दिखाते हुए सदन में उन्हें 1932 के खतियान को

लागू करते हुए स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति के प्रस्ताव को पारित कर दिया है.

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उन्होंने यह भी कहा कि 22 वर्ष झारखंड के अलग राज बनने को हो गया है.

इस 22 वर्ष में सबसे अधिक वर्ष भारतीय जनता पार्टी ने राज किया है.

उसके बावजूद उन्होंने 1932 की खतियान को लागू नहीं होने दिया था.

अंततः झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार ने ही 1932 की खतियान को विधानसभा में पारित करते हुए इसे लागू करने का प्रस्ताव लिया है, यह अत्यंत खुशी की बात है.

पूर्व में हमारे विधायक साथी एवं कार्यकर्ता नहीं दे रहे थे साथ

विधायक लोबिन हेंब्रम ने पत्रकारों को बताया कि 1932 खतियान को लागू करने के लिए 3 अप्रैल 2022 को हमने बोरियो में उलगुलान किया था. हमारे आंदोलन में शामिल नहीं होने के लिए हमारे ही पार्टी के कई विधायक एवं वरीय कार्यकर्ता भोले-भाले आदिवासी एवं मूलवासी को बरगलाने का काम किया था. लोगों को डराते हुए कहा था कि लोबिन हेंब्रम के कार्यक्रम में मत जाओ वहां बम और गोली चलेगी. इसके बावजूद हजारों की संख्या में आदिवासी मूलवासी हमारे कार्यक्रम में शिरकत की. आज हमारी जीत हुई है अभी और आंदोलन बांकी है. जब तक धरातल पर हमारी मांग पूर्ण नहीं होती है यह आंदोलन जारी रहेगा.

अब सीएनटी-एसपीटी एक्ट की लड़ाई

लोबिन हेंब्रम ने कहा कि 1932 का खतियान तो लागू हो गया, परंतु अभी लंबी लड़ाई बांकी है. सीएनटी, एसपीटी एक्ट, पेशा कानून को भी जल्द लागू करना पड़ेगा. साथ ही लोगों ने यह भी कहा कि यहां के जल, जंगल, जमीन की भी रक्षा करनी पड़ेगी, इसकी भी लड़ाई जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि हमारे आंदोलन को हमारे ही पार्टी के कई विधायक और वरीय कार्यकर्ता विफल करने के लिए एड़ी चोटी एक कर दिए थे. अंततः हमारी जीत हुई. 1932 खतियान विधानसभा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पारित कर ही दिया है, लेकिन अभी लड़ाई और बांकी है.

रिपोर्ट: अमन राय

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