रांची: सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा, पिछले नवंबर में उपचार संबंधी विज्ञापन न छापने के आश्वासन के बावजूद पतंजलि ने ऐसा नहीं किया।
पतंजलि ने दुस्साहस कर कोर्ट को उकसाया है। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुल्ला की बेंच ने कहा, भ्रामक विज्ञापन छापकर पतंजलि ने देश को धोखा दिया, सरकार ने दो साल तक कुछ नहीं किया।
बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसमें पूछा गया है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए।
15 आईएमए के वकील पीएस पटवालिया ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 21 नवंबर को रोक लगाई। इसके अगले दिन बाबा रामदेव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भ्रामक दावे किए। इस पर बेंच ने कहा, पतंजलि ने विज्ञापन में स्थायी राहत का दावा किया है… यह क्या है… क्या यह उपचार है? पटवालिया ने कहा, विज्ञापनों में डायबिटीज, बीपी और अस्थमा में स्थायी राहत का दावा किया है।
पतंजलि के वकील विपिन सांघी ने कहा, जहां तक बाबा रामदेव का सवाल है, वे तो संन्यासी हैं। इस पर कोर्ट ने कहा, हमें कोई मतलब नहीं कौन क्या है।
पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने कहा, हम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का इंतजार कर रहे हैं और उसके आदेशों का पालन करेंगे। उधर, समूह दूसरी कंपनी पतंजलि फूड्स ने मंगलवार को कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पतंजलि आयुर्वेद के लिए हैं, ऑयल व एफएमसीजी बनाने वाली पतंजलि फूड्स के बिजनेस पर इसका असर नहीं पड़ेगा।