Saturday, October 25, 2025
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Jharkhand High Court News: पलामू की पूर्व DEO मीना कुमारी राय की बर्खास्तगी रद्द 

झारखंड हाईकोर्ट ने पलामू की पूर्व डीईओ मीना कुमारी राय की बर्खास्तगी रद्द करने के एकलपीठ के फैसले को बरकरार रखते हुए सरकार की अपील खारिज की।Jharkhand High Court News रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने पलामू की तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) मीना कुमारी राय की बर्खास्तगी से जुड़े मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी रद्द करने के एकलपीठ के आदेश को सही ठहराते हुए सरकार की अपील को खारिज कर दिया। यह फैसला जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने सुनाया। अदालत ने कहा कि काम में लापरवाही, प्रक्रियात्मक गलती या अधीनस्थ कर्मचारियों से सख्ती जैसे...

GST Scam Jharkhand: विक्की भालोटिया केस में High Court ने बढ़ाई रोक 

झारखंड हाईकोर्ट ने ₹800 करोड़ GST घोटाले में आरोपी विक्की भालोटिया की जब्त संपत्ति पर आदेश जारी करने पर लगी रोक को 6 नवंबर तक बढ़ा दिया है।GST Scam Jharkhand: रांची: झारखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को जमशेदपुर के चर्चित ₹800 करोड़ से अधिक के जीएसटी घोटाले से जुड़े मामले में आरोपी कारोबारी विक्की भालोटिया उर्फ अमित अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई हुई। प्रार्थी की ओर से अदालत से आग्रह किया गया कि उनकी जब्त संपत्ति के अटैचमेंट पर एडजुकेटिंग अथॉरिटी (निर्णायक प्राधिकरण) द्वारा जारी होने वाले फाइनल आदेश पर रोक लगाई जाए। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर...

Chhath Puja 2025: नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व

छठ पूजा 2025 की शुरुआत शनिवार से नहाय-खाय के साथ हुई। रांची में बाजारों में भीड़ उमड़ी, सब्जियों और पूजा सामग्री के दामों में आई भारी तेजी।Chhath Puja 2025 रांची: लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा 2025 शनिवार से नहाय-खाय के साथ आरंभ हो गया। इस दिन व्रती शुद्धता, नियम और निष्ठा के साथ दिन की शुरुआत करते हुए स्नान कर घर को पवित्र बनाते हैं और प्रसाद स्वरूप कद्दू-भात का सेवन करते हैं। इसी के साथ छठ व्रत की पवित्र शुरुआत होती है, जो सूर्य उपासना और लोक संस्कृति का प्रतीक है। रविवार को व्रती पूरे दिन...

‘बिहार राज्य की जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्‍सर्जन विकास रणनीति’ Project के तहत भागलपुर में कार्यशाला आयोजित

“Efficient supply chain and cargo logistics service in Bihar and Jharkhand”
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Project

भागलपुर: बुधवार को भागलपुर समाहरणालय में कार्बन न्यूट्रल राज्य बनाने की दिशा में ‘बिहार राज्य की जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्सर्जन विकास रणनीति’ के क्रियान्वयन संबंधित क्षमता विकास कार्यक्रम अंतर्गत प्रमंडलीय स्तर प्रसार कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ भागलपुर के उप-विकास आयुक्त कुमार अनुराग की अध्यक्षता में किया गया।

कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि एक विकासशील देश के रूप में हमारी विकास की गति विकसित देशों की तुलना में अधिक होगी, लेकिन कार्बन और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन जैसे पहलुओं को भी ध्यान में रखना होगा। सभी हितधारक विभागों को सड़क और भवन निर्माण जैसे कार्यों में जलवायु अनुकूलन शैली को अपनाना चाहिए, ताकि विकास सतत रूप से हो। उन्होंने प्लास्टिक के उपयोग को रोकने और नवकरणीय ऊर्जा व अन्य पर्यावरण अनुकूल शैलियों को बढ़ावा देने का आग्रह किया।

वरीय उप-समाहर्ता, भागलपुर कृष्ण मुरारी ने स्वागत उद्बोधन में जलवायु परिवर्तन, इसके प्रतिकूल प्रभावों और सुधारात्मक क़दमों बारे में बताया । इस साल ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक तापमान की स्थिति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार अत्यधिक मौसमी घटनाओं और आपदाओं के प्रति अति-संवेदनशील है। उन्होंने आगे कहा कि यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम बिहार को नेट ज़ीरो राज्य बनाने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से सभी आवश्यक प्रयास करें।

कार्यशाला की विस्तृत जानकारी डब्लूआरआई इंडिया के प्रोग्राम प्रबन्धक डॉ शशिधर कुमार झा एवं श्री मणि भूषण कुमार झा द्वारा दिया गया । श्री मणि भूषण ने कहा कि पिछले ढाई वर्षों के दौरान बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) तथा शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन और डब्‍ल्‍यूआरआई इंडिया व अन्य संगठनों की तकनीकी सहायता से बिहार राज्य के उक्त संकल्प को पूर्ण करने हेतु राज्य स्तरीय दीर्घकालीन रणनीति में अनुकूलन और शमन दोनों ही उपायों को जोड़कर राज्य में जलवायु संरक्षण से संबंधित रणनीति प्रस्तावित की है।

इस कार्यशाला का उद्देश्य रणनीति का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन हेतु स्थानीय हितधारकों को इसके बारे में संवेदित करना, क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों की पहचान करना तथा उनके समाधान के रास्तों पर विचार विमर्श करना है। डॉ शशिधर ने अपने सम्बोधन में कहा कि बिहार में पिछले 50 सालों में तापमान में 0.8 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है और 2030 तक तापमान में 0.8- 1.3 डिग्री सेल्सियस, 2050 तक 1.4- 1.7 डिग्री सेल्सियस और 2070 तक 1.8-2.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने का अनुमान है।

इसके अलावा, मानसून की शुरुआत में देरी हो रही है। जलवायु परिवर्तन अनुकूलन उपायों के बारे में बताते हुए उन्होंने फसल एवं कृषि प्रणाली में विविधता, सतही और भूजल का एकीकृत प्रबंधन, वन पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा, संरक्षण और पुनर्जनन, निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना और आपदा के समय आजीविका की सुरक्षा और संवर्द्धन का उल्लेख किया।

डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स के प्रोग्राम ऑफिसर श्री अविनाश कुमार ने बिहार में उद्योग की भूमिका पर ज़ोर देते हुए कहा कि बिहार के उद्योगों से कुल उत्सर्जन 14% है, जिसमें ईंट निर्माण क्षेत्र औद्योगिक उत्सर्जन का 80% योगदान देता है। बिहार में लगभग 6,500 ईंट भट्टे हैं, जिनमें से 85% क्लीनर ज़िगज़ैग तकनीक का उपयोग करते हैं, लेकिन खराब निर्माण और तकनीकी विशेषज्ञता की कमी के कारण लाभ सीमित हैं।

अविनाश ने भट्ठा मालिकों और श्रमिकों के लिए ज़मीनी स्तर पर प्रशिक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला । इसके अतिरिक्त, 600 फ्लाई ऐश ईंट इकाइयाँ जो बिहार की ईंट की ज़रूरत को 50% पूरा करती है, उत्सर्जन को कम करने में मदद करती है, और उत्सर्जन को आधा कर देती है। डॉ स्वर्णा चौधरी, असिस्टेंट प्रोफेसर, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर ने विशेषज्ञ के रूप में संबोधित करते हुए विभिन्न फसलों से होने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के बारे में जानकारी दी और दावा किया कि दाल और बाजरा की फसलों से उत्सर्जन कम होता है और उनकी खेती को बढ़ावा देने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि तापमान में वृद्धि से फसलें जल्दी पक जाती हैं और उपज में कमी आती है। उन्होंने उर्वरक प्रबंधन और छत पर बागवानी जैसी प्रथाओं पर भी जोर दिया। कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न विभागों के अधिकारीगण एवं अन्य हितधारकों ने भी अपने विचार साझा किये। शम्भू नाथ झा, क्षेत्रीय पदाधिकारी, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद, भागलपुर ने पर्यावरण संरक्षण के लिए परिषद द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में चर्चा की, जिसमें राज्य में लगभग 7000 ईंट भट्टों को स्वच्छ इकाइयों में परिवर्तित करना तथा कोयला आधारित उद्योगों को कंप्रेस्ड प्राकृतिक गैस और पाइप्ड प्राकृतिक गैस में क्रमिक रूप से परिवर्तित करना शामिल है।

कार्यशाला का संचालन बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के वैज्ञानिक श्री नलिनी मोहन सिंह ने किया। यह कार्यशालाएं बिहार के सभी 09 प्रमंडलों में आयोजित की जा रही हैं। अगली प्रमंडलीय स्तर कार्यशाला 08 अगस्त को मुंगेर में आयोजित की जा रही है।

यह भी पढ़ें-  सनातन संस्कृति और साधना: Guinness Book of World Records में नाम दर्ज कराने के लिए निर्जला उपवास पर बैठा एक संत

https://www.youtube.com/@22scopebihar/videos

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