रांची: झारखंड की सियासी पृष्ठभूमि पर चल रहा ड्रामा अब एक नई फिल्म की तरह हो गया है—”इंडिया गठबंधन: एक अबूझ पहेली।” पहले तो ये गठबंधन एकदम “सुपरहिट” लग रहा था, लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि दर्शक चकित हैं और फिल्म में क्या होगा, यह जानने के लिए बेचैन हैं।
विश्रामपुर में कांग्रेस और राजद के बीच की खींचतान ने इस सियासी फिल्म में टर्निंग पॉइंट बना दिया है। जहां एक तरफ कांग्रेस ने सुधीर चंद्रवंशी को उतार दिया, वहीं राजद ने राम नरेश सिंह को मैदान में उतारकर एक और नया ड्रामा जोड़ दिया। अब दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं, जैसे दो सुपरस्टार एक ही फ्रेम में नकारात्मक किरदार निभा रहे हों।
इसी बीच माले ने भी अपनी भूमिका में उत्सुकता बढ़ा दी है। राजधनवार पर माले की जिद इस बात का सबूत है कि सियासत में कुछ भी “फ्रेंडली” नहीं रह गया। अगर माले ने अपना उम्मीदवार जमुआ से उतारा, तो समझिए कि इंडिया गठबंधन की कहानी पूरी तरह बदल जाएगी। ये तो वही बात हो गई, जैसे फिल्म में एक नई मोड़ पर सभी किरदार एक-दूसरे को धोखा देने में लगे हों।
कांग्रेस की दूसरी सूची ने तो इस फिल्म में हंगामा खड़ा कर दिया है। उमाशंकर अकेला का टिकट काटकर नए चेहरे अरुण साहू को मौका देकर पार्टी ने दर्शकों को चौंका दिया। यह एक ऐसा ट्विस्ट है, जिसे देखने के लिए सब बेताब हैं। क्या ये नया चेहरा दर्शकों का दिल जीत पाएगा, या कहानी की धारा को पलट देगा?
इंडिया गठबंधन का यह ड्रामा अब एक बड़े सवाल का सामना कर रहा है—क्या यह फिल्म “सुपरहिट” साबित होगी, या अपने ही दर्शकों को “फ्लॉप” कर देगी? झारखंड की राजनीति में अगले कुछ हफ्तों में होने वाली हलचलें इसे तय करेंगी। सियासी रंगमंच पर अब देखना ये है कि कौन किसका किरदार निभाएगा और अंत में क्या कोई असली हीरो उभरकर सामने आएगा!