250 वर्षो से नहीं मनाई जाती होली, रंग लगाते ही आता है बड़ा संकट

मुंगेर : जिले भर में 15 मार्च को होली का पर्व मनाई जाएगी। इसको लेकर जिलेवासियों के अंदर फगुआ का रंग अभी से चढ़ने लगा है। हालांकि मुंगेर जिले में एक ऐसा भी गांव है, जहां पिछले 250 वर्षों से होली नहीं खेली जा रही है। इस गांव में यदि कोई होली मनाना भी चाहता है, तो अनहोनी हो जाती है। यह गांव मुंगेर जिले के असरगंज प्रखंड स्थित सजुआ पंचायत का है। जिसका नाम सती स्थान है। होली नहीं मानाने के पीछे जो कारण पता चला है, वह हैरान करने वाला है।

250 वर्ष पूर्व इस गांव में कुछ दांगी समाज के लोग रहते थे

इस गांव के बुजुर्गों से बात करने पर पता चला कि लगभग 250 वर्ष पूर्व इस गांव में कुछ दांगी समाज के लोग रहते थे। जहां उस वक्त होली के दौरान एक महिला के पति की मृत्यु हो गई थी और जैसे उस व्यक्ति की अर्थी उठी और गांव के उस स्थान तक आते-आते महिला ने भी प्राण त्याग का ठान लिया। महिला इतनी दैविक शक्ति वाली थी कि उसके शरीर में स्वयं अग्नि ने उत्पन्न ले लिया। प्राण त्याग के अंतिम समय पर महिला ने गांव वालों को दो बातें कही। जिसमें पहली कि इस गांव में अब कभी होली नहीं मनाई जाएगी। दूसरी अपनी पुत्री के बारे में कहा कि कोई जूठे बर्तन या किसी प्रकार के गलत काम नहीं कराएंगे। लेकिन उस महिला के मरने के कुछ ही दिन बाद उसकी पुत्री से लोग झूठे बर्तन और काम करवाने लगे। यह देख महिला ने उत्पन्न लिया और उसे भी अपने साथ अग्नि में समा ले गई। जहां दोनों मां-बेटी की समाधि आज भी मौजूद है। उसी स्थान को सती स्थान मंदिर के नाम से लोग जानते हैं जो काफी शक्तिशाली भी है।

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होली मनाने की कोशिश करने वालों के घर हो जाती है बड़ी दुर्घटना

गांव की बुजुर्ग महिला और ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें याद भी नहीं है कि इस गांव में कभी होली मनाई गई थी। हमारे पूर्वजों ने भी बताया कि कभी इस गांव में होली नहीं मनाई गई है। हालांकि कुछ साल पूर्व गांव के ही एक व्यक्ति ने होली के दिन मालपुआ और पूरी बनाने के लिए कढ़ाई में जैसे ही तेल डालकर उसमें पुआ छानने के लिए मैदा डाला ही था कि कढ़ाई से तेल का इतना जबरदस्त छिड़काव हुआ कि घर के छप्पर में आग लग गई। उसी व्यक्ति के घर का छप्पर पूरी तरह जल गया। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति उस दिन होली मनाना चाहता है। उसके साथ बहुत बड़ी दुर्घटना होती है। इस गांव की बेटी दूसरे घर जाती है, तो वहां वह होली मना सकती है। इस गांव का कोई बेटा चाहे वह दिल्ली में ही क्यों न रहता हो वह होली के दिन किसी भी प्रकार का उत्सव नहीं मना सकता है। अन्य दिनों की तरह हीं लोग होली के दिन भी साधारण भोजन बनाते और खाते हैं।

इस गांव के लोग वैशाख में मनाते हैं होली 

गांव के लोग से पूछे जाने पर बताया कि हम लोग वैशाख के समय विशुआ के दिन पुआ और पकवान बनाते है और होली खेलते है।

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गौतम कुमार की रिपोर्ट

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