Desk. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच से बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान, उनकी मां शर्मिला टैगोर और पटौदी परिवार को भोपाल नवाब की संपत्ति विवाद के मामले में बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा वर्ष 2000 में दिए गए फैसले को खारिज करते हुए इस मामले की दोबारा सुनवाई के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट ने सभी कानूनी पहलुओं की गहराई से समीक्षा किए बिना, केवल इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक पूर्व निर्णय के आधार पर याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘भोपाल सिंहासन उत्तराधिकार अधिनियम, 1947’ को राज्य विलय के बाद खारिज कर दिया था, ऐसे में ट्रायल कोर्ट का फैसला अधूरा और कानून के लिहाज से त्रुटिपूर्ण है।
नवाब की संपत्ति का विवाद
यह विवाद नवाब मोहम्मद हमीदुल्लाह खान की मृत्यु (4 फरवरी 1960) के बाद उनकी निजी संपत्ति के उत्तराधिकार से जुड़ा है। भारत सरकार ने 10 जनवरी 1962 को एक पत्र जारी कर, संविधान के अनुच्छेद 366(22) के तहत नवाब की संपत्ति को ‘निजी संपत्ति’ के रूप में मान्यता दी थी। उल्लेखनीय है कि भोपाल रियासत का भारत में विलय 30 अप्रैल 1949 को हुआ था।
वादीगण, जिनमें बेगम सुरैया रशीद, बेगम मैहर ताज, नवाबजादी कमर ताज राबिया सुल्तान सहित अन्य उत्तराधिकारी शामिल हैं, ने दावा किया कि नवाब की संपत्ति का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने ट्रायल कोर्ट में बंटवारे की मांग की थी, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
फिर से शुरू होगी सुनवाई
वादीगण द्वारा ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में वर्ष 2000 में अपील की गई थी। अब हाई कोर्ट ने इन अपीलों पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया है कि ट्रायल कोर्ट सभी पक्षों की दलीलों को सुनते हुए मामले की नए सिरे से जांच और सुनवाई करे। हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि एक वर्ष के भीतर इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली जाए।
इस मामले में नवाब मंसूर अली खान पटौदी (पूर्व क्रिकेटर), उनकी पत्नी शर्मिला टैगोर, बेटा सैफ अली खान, और बेटियां सबा सुल्तान तथा सोहा अली खान को अनावेदक बनाया गया है। इस मामले की सुनवाई अब सभी पक्षों की उपस्थिति और दलीलों के साथ ट्रायल कोर्ट में होगी।
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