महालया : सर्व पितृ अमावस्या के दिन न करें ये गलतियां

रांची : महालया के साथ ही रविवार को मां दुर्गा का आह्वान किया जाएगा.

सभी देवी मंदिर महिषासुर मर्दिनी के स्त्रोत गुंजायमान होंगे. मान्यता है कि इसी दिन

मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती के लिए प्रस्थान करती हैं. संध्या में मां पृथ्वी लोक आती हैं और

पूरे नौ दिनों तक यहां रह कर धरतीवासियों पर अपनी कृपा की अमृत बरसाती हैं.

महालया: आखिरी दिन का बहुत बड़ा महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से शुरू हुए पितृ पक्ष या

श्राद्ध अश्विन मास की सर्व पितृ अमावस्या पर खत्म होते हैं.

इसे महालया अमावस्या और पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं.

इस साल 10 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हुए थे और 25 सितंबर को खत्मे होंगे.

इस दिन पितृ अपने लोक को लौट जाते हैं. इसलिए पितृ पक्ष के इस आखिरी दिन का बहुत महत्व है.

अब तक जिन लोगों ने अपने पितरों का श्राद्ध नहीं किया है,

वे सर्व पितृ अमावस्या के दिन जरूर कर दें.

यह पिंड दान करने का आखिरी अवसर है. इसके साथ-साथ इस दिन कुछ गलतियां करने से भी बचें,

वरना बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

गलती से भी न करें ये काम

  • सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन्हीं पितरों का श्राद्ध करें जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है या
  • जिनकी मृत्यु अमावस्या के दिन ही हुई थी. वरना मृत्‍यु तिथि के दिन ही श्राद्ध करना उचित होता है.
  • वैसे तो पूरे पितृ पक्ष के दौरान ही बाल-नाखून नहीं काटना चाहिए लेकिन अमावस्या के दिन तो ऐसा करने की भूल बिल्कुल न करें. वरना इसके भयंकर परिणाम भुगतने पड़ते हैं. अमावस्या तिथि खत्मे होने के बाद ही नाखून-बाल काटें.
  • अमावस्या के दिन नॉनवेज-शराब का सेवन न करें. पितृ बुरी तरह नाराज हो सकते हैं.
  • सर्व पितृ अमावस्या के दिन अपने दरवाजे किसी गरीब या बेजुबान जानवर को खाली न लौटाएं, उन्हें भोजन दें. या सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा जरूर दें. आटा, चावल या तिल का दान करना सबसे अच्छा है.
  • किसी गरीब या असहाय का अपमान न करें. किसी बेजुबान जानवर को सताएं नहीं. बल्कि लोगों की मदद करें. वरना पितृ नाराज हो सकते हैं.
  • सर्व पितृ अमावस्या के दिन लहसुन, प्याज, मसूर की दाल, अलसी, धतूरा, कुलथी आदि का भी सेवन न करें. इस दिन सात्विक भोजन ही करें.

महालया: सुबह से ही मंदिरों में गूंजने लगते हैं मां दुर्गा के स्त्रोत

सुबह से ही महिषासुर मर्दिनी के स्त्रोत गूंजने लगते हैं. ओजस्वी स्वर में मां का स्त्रोत भक्तों को श्रद्धा और भक्ति से ओत-प्रोत कर देते हैं. मां के स्वागत में जगह-जगह आतिशबाजी की जाती है. हीरापुर हरि मंदिर सहित तमाम देवी मंदिरों में पुरोहित माता का आह्वान करते हैं.

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