जमशेदपुर: सीतानाला चेकडैम – शहर से 20 किलोमीटर दूर छोटा बांकी पहाड़ी गांव में
दो पहाड़ियों के बीच स्थित सीतानाला चेक डैम देखरेख के अभाव मे
जर्जर होने के कगार पर है. पहाड़ियों के बीच रमणीक स्थल
चेकडैम लोगों को बरबस ही आकर्शित करता है. इस चेकडैम की
प्राकृतिक सुंदरता देखने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं.
लेकिन किसी तरह की कोई सुविधा ना रहने पर निराशा हाथ लगती है.
इस चेक डैम के आसपास ना ही पीने का पानी है और ना ही
किसी तरह की कोई बिजली की व्यवस्था. देखरेख के अभाव में
चेकडैम पर बनाए गए रेलिंग जर्जर हो चुके हैं. जिससे
कभी भी दुर्घटना घटने की संभावना बनी हुई है.
चांडिल डैम से जुड़ा हुआ है सीतानाला चेकडैम
सीतानाला चेक डैम , चांडिल चेकडैम से जुड़ा हुआ है और इसी सीतानाला डैंम के माध्यम से चांडिल नहर का पानी घाटशिला बहरागोड़ा होते हुए बंगाल के सीमावर्ती इलाकों तक किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराता है. गांव के उप मुखिया ने बताया कि कई बार ग्रामीणों ने श्रमदान से इस चेक डैम के रखरखाव की पहल की है लेकिन सरकार या सुवर्णरेखा विभाग की ओर से अब कोई पहल नहीं की गई.
बरबस ही आकर्शित करती है सीतानाल की खूबसूरती
चेकडैम घूमने आये जमशेदपुर निवासी ने बताया कि यहां का प्राकृतिक नजारा देखने लायक है. पहाड़ों के बीच चेकडैम की सुंदरता भव्य है , लेकिन यहां ना पीने का पानी है ना ही शौचालय और ना ही किसी तरह की कोई सुरक्षा की व्यवस्था. जिससे डर बना हुआ रहता है.
सुवर्णरेखा विभाग की ओर से एक गार्ड की नियुक्ति की गई है जो समय पर चेक डैम के फाटक को खोलने का काम करते हैं इसके अलावा यहां और किसी तरह की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. शौचालय , पानी , बिजली समेत कई ऐसी समस्या इस चेकडैम के पास बना हुआ है. अगर इस चेकडैम का सौंदर्यीकरण किया जाये कर किया जाए तो पर्यटन के दृष्टिकोण से काफी फायदा होगा.