डिजीटल़ डेस्क : Breaking – कोलकाता निर्भया कांड के खिलाफ उतरा आरजी कर अस्पताल का संस्थापक परिवार, दोषियों के ऐसी सजा मांगी जो नजीर बने। कोलकाता निर्भया कांड के सुर्खियों में आने के बाद लगातार चर्चा के केंद्र बने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के संस्थापक का परिवार भी पूरे मामले में पहली बार सामने आया है। इस परिवार के सदस्यों ने बुधवार आधी रात को मेडिकल छात्रा के साथ रेप और मर्डर की घटना के विरोध में आहूत हुई ‘रात हमारी है’ आंदोलन को समर्थन दिया है। साथ ही गुरूवार को कहा कि छात्रा के साथ हुई घटना में शामिल रहे दोषियों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि वह आने वाले दिनों के लिए नजीर बने। मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थान में मेधावियों के साथ ऐसी घटना दुर्भाग्यतम है और जघन्यतम कृत्य की पराकाष्ठा है। साथ ही टिप्पणी की कि इस पूरे मामले में बतौर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पल्ला नहीं झाड़ सकतीं।
डॉ. आरजी कर के वंशजों ने कहा – घटना से परिसर की गरिमा धूमिल हुई, जिम्मेदारी सीएम ममता को लेनी चाहिए
इस परिवार के पूर्व डॉ. राधा गोविंद कर के नाम इस मेडिकल कॉलेज का नामकरण है और यह परिवार छात्रा के साथ हुई घटना को लेकर गहरी पीड़ा में है। परिवार के मौजूदा पीढ़ी के सदस्य पार्थ कर ने मीडिया से कहा कि वर्ष 1886 में उनके पूर्वज राधा गोविंद कर स्कॉटलैंड के एडिनबरा विश्वविद्यालय से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी और स्वदेश लौट आए थे। उसी वर्ष यहां उन्होंने तत्काली ब्रिटीश हुकूमत से सहयोग लिया एवं एशिया का पहला गैरसरकारी यानी निजी अस्पताल की नींव रखी। तब इसका नाम कलकत्ता मेडिकल स्कूल रखा गया था। बाद के वर्षों में इसका नाम डॉ. राधा गोविंद के नाम पर ही रखना तय हुआ और फिर नाम पड़ा आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हास्पिटल। चिकित्सा विधा की पढ़ाई और सम्यक उपचार विधि में निरंतर चिकित्सकों की नई पीढ़ी तैयार करने के उद्देश्य से बने इस संस्थान में गत शुक्रवार तड़के हुई घटना के बाद पर पूरा संस्थापक परिवार मायूस है। परिवार की सदस्या स्वागता घोष ने कहा कि इस घटना से प्रतिष्ठान की गरिमा एकदम से धूमिल ही नहीं धूल-धूसरित हो गई है। इसी क्रम में स्वागता घोष ने आगे कहा कि इस तरह के मामलों में मुख्यमंत्री को ही घटना की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और यदि कहीं कोई चूक रही है तो उसे सुधारते हुए राज्य के लोगों की भावनाओं के साथ उन्हें खड़ा होना चाहिए और उसी अनुरूप कार्यव्यवहार भी दिखे ताकि जनाक्रोश ना फैले और दोषियों को कठोरतम सजा मिले।
मुख्यमंत्री ममता की बोलीं – अस्पताल में तोड़फोड़ के पीछे विरोधी दल, स्टूडेंट और आम लोग नहीं
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीते आधी रात को आरजी कर अस्पता पर हुए हमले को लेकर मुंह खोला है। गुरुवार को राजभवन में एक चाय पार्टी के लिए जाते समय उन्होंने पत्रकारों से कहा कि ‘यह (अस्पताल में तांडव) छात्रों का काम नहीं है। उन पर कोई गुस्सा नहीं। हमारा उनको समर्थन है लेकिन हमारा गुस्सा उन लोगों पर है, जिन्होंने इस आंदोलन के नाम पर हमला किया और तोड़फोड़ की। जहां तक मुझे जानकारी मिली है, उसमें कतिपय सियासी दलों के लोगों का हाथ हो सकता है। जांच जारी है।मैं छात्रों को दोष नहीं दूंगी। यह घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। हम अभी भी कहते हैं कि फांसी होनी चाहिए। हमने सारे दस्तावेज सीबीआई को दे दिए हैं। जो भी बात लीक हो रही है तो उसमें हमारा कुछ नहीं।जब तक हमारी पुलिस जांच कर रही थी, तब तक कुछ भी लीक नहीं हुआ। मेरी और बंगाल के लोगों की संवेदनाएं पीड़ित परिवार के साथ हैं। यह बहुत बड़ा अपराध है। इसकी एकमात्र सजा फांसी है। अगर अपराधी को फांसी होगी तभी लोगों को इससे सबक मिलेगा लेकिन किसी निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए’।
सीबीआई के समक्ष हाजिर हुए आरजी कर अस्पताल के पदाधिकारी
कोलकाता के सीजीओ कांप्लेक्स में सीबीआई के दफ्तर में गुरूवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पूर्व सुपरिंटेंडेंट डॉ. संजय वशिष्ठ, चेस्ट रोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. अरुणाभ दत्त चौधरी और फॉरेंसिंक मेडिसिन विभाग की एक प्राध्यापिका भी पूछताछ के लिए हाजिर हुए। इनसे पूछताछ शुरू हो चुकी है। पूछताछ के लिए सीबीआई दफ्तर में कोलकाता पुलिस के उस टाला थाना के प्रभारी हाजिर हुए हैं जिसके क्षेत्र में आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल आता है। थाना प्रभारी अपने साथ रेप और मर्डर की घटना से संबंधित कुछ दस्तावेज भी अपने साथ लेकर सीबीआई अधिकारियों के पास पहुंचे हैं।
सीबीआई के सवालों से छूटे अस्पताल पदाधिकारियों के माथे से पसीने, जवाब देने में हकलाए
अस्पताल से पहुंचे पूर्व एवं मौजूदा पदाधिकारियों से पूछताछ जारी है कि घटना के समय, पहले और बाद में कहां थे, घटना के संबंध में उनकी ओर से क्या-क्या कदम उठाए गए, घटना के संबंध में उन पर उठ रही उंगलियों की कुछ तो वजह होगी, घटना के संबंध में उनकी अपनी सफाई क्या है, घटना के लिए वे किसे दोषी मानते हैं एवं घटना के संबंध में शुरू में अस्पताल प्रशासन की ओर से क्यों आत्महत्या की बात कही गई एवं क्यों मृतका के माता-पिता को तब तक परिसर में बैठाए रखा गया जब तक सीएम ममता बनर्जी ने सीधे हस्तक्षेप नहीं किया। बताया जा रहा है कि सीबीआई अधिकारियों के एक के बाद एक पूछे जा रहे सवालों से अस्पताल प्रशासन से जुड़े अधिकारियों के माथे पर पसीने आ गए और जवाब देने के क्रम में वे हकलाने की स्थिति में थे। सीबीआई अधिकारियों ने उन्हें संयत होकर शांत चित्त से पूछे जा रहे सवालों का जवाब रिकार्ड करवाने को कहा। समाचार लिखे जाने तक पूछताछ का क्रम जारी रहने की सूचना है।
सीबीआई ने मृत छात्रा के चार साथी चिकित्सकों से भी की पूछताछ
सीजीओ कांप्लेक्स में सीबीआई के बुलाए जाने पर पूछताछ के लिए मृत मेडिकल छात्रा के चार सहपाठी चिकित्सक भी हाजिर हुए। इन सभी से अलग-अलग सीबीआई अधिकारियों ने पूरे घटनाक्रम के बारे में उनकी ओर से जानकारी प्राप्त करने के साथ की अपनी ओर से कई बिंदुओं पर जाहिर की गई शंका पर भी उनके विचारों को रिकार्ड किया। पूरी घटना के पीछे चारो सहपाठियों से यह भी जानने का प्रयास सीबीआई अधिकारियों का रहा कि पूरे प्रकरण के पीछे कहीं कोई साजिश या साजिशकर्ताओं की चाल रही तो वह कैसे एवं उस संबंधी क्या -क्या क्लू हो सकते हैं, आदि।