डिजीटल डेस्क : Loksabha में बोले विदेश मंत्री – सीमा पर हालात सामान्य होने पर ही चीन से हुई बातचीत। Loksabha में मंगलवार को में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भारत-चीन सीमा विवाद पर जानकारी दी। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने Loksabha में कहा कि – सीमा पर हालात सामान्य होने के बाद ही चीन से बातचीत की गई है।
डॉ. एस. जयशंकर बोले – एलएसी पर हालात सामान्य
Loksabha में मंगलवार को विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि – ‘एलएसी पर हालात सामान्य है। फिलहाल शांति बहाली की कोशिश जारी है। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि, सीमा पर हालात सुधारने के लिए दोनों देश प्रतिबद्ध हैं। …कोई भी पक्ष स्थिति से छेड़छाड़ नहीं करेगा और सहमति से ही सभी मसलों का समाधान किया जाएगा। एलएसी पर बहाली का पूरा श्रेय सेना को जाता है’।

बोले विदेश मंत्री – सीमा पर शांति के बिना भारत-चीन के संबंध सामान्य नहीं रह सकते
Loksabha में मंगलवार को विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने आगे कहा कि – ‘कूटनीतिक पहल से सीमा पर हालात सामान्य हुए हैं। भारत और चीन के बीच सहमति बनी है कि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं किया जाएगा और साथ ही दोनों देशों के बीच पुराने समझौतों का पालन किया जाएगा। सीमा पर शांति के बिना भारत-चीन के संबंध सामान्य नहीं रह सकते।
…मैं सदन को भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में हाल के कुछ घटनाक्रमों और हमारे समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर उनके प्रभावों से अवगत कराना चाहता हूं। सदन को पता है कि 2020 से हमारे संबंध असामान्य रहे हैं, जब चीनी कार्रवाइयों के बाद सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द भंग हुआ था।
…हाल के घटनाक्रम जो तब से हमारे निरंतर कूटनीतिक जुड़ाव को दर्शाते हैं, ने हमारे संबंधों को कुछ सुधार की दिशा में स्थापित किया है’।

डॉ. एस. जयशंकर बोले – सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए कई दशकों तक की बातचीत…
Loksabha में मंगलवार को विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने आगे कहा कि – ‘भारत और चीन ने सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए कई दशकों तक बातचीत की है। सीमा विवाद के समाधान के लिए निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य रूपरेखा पर पहुंचने के लिए द्विपक्षीय चर्चा की गई।
सदस्यों को याद होगा कि अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन की तरफ से बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करने के बाद कई बिंदुओं पर हमारी सेनाओं के साथ आमना-सामना हुआ। इस स्थिति के कारण गश्ती गतिविधियों में भी बाधा पैदा हुई।
…यह हमारे सशस्त्र बलों के लिए श्रेय की बात है कि रसद संबंधी चुनौतियों और तत्कालीन कोविड स्थिति के बावजूद, वे तेजी से और प्रभावी ढंग से जवाबी तैनाती करने में सक्षम थे’।
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