Monday, August 4, 2025

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‘अगर सच्चे भारतीय होते तो…’, राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, की सख्त टिप्पणी

Desk. कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना को लेकर दिए गए कथित बयान पर दर्ज मानहानि केस को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। कोर्ट ने जहां एक ओर कार्यवाही पर अस्थायी रोक लगा दी, वहीं राहुल गांधी से तीखे सवाल भी पूछे।

क्या है मामला?

राहुल गांधी ने अपनी 2023 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दावा किया था कि उन्हें एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने बताया कि चीन ने 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। इस बयान को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ और राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया।

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?

सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने राहुल गांधी से सवाल किया कि “आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2,000 वर्ग किलोमीटर जमीन हड़प ली? अगर आप सच्चे भारतीय होते, तो ऐसा नहीं कहते।” कोर्ट ने यह भी पूछा कि अगर उनके पास ऐसी जानकारी थी तो उन्होंने इसे संसद में क्यों नहीं उठाया, बजाय सोशल मीडिया या जनसभा में कहने के।

राहुल गांधी की तरफ से क्या कहा गया?

वहीं राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि विपक्ष का कर्तव्य है कि वह जनता से जुड़े मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा कि “अगर विपक्षी नेता प्रेस में छपी बातों को नहीं कह सकते, तो यह लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।” सिंघवी ने यह भी कहा कि राहुल गांधी ने संसद में बोलने के लिए नहीं, बल्कि लोगों की आवाज उठाने के लिए चुनाव लड़ा है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का हवाला देते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात कही।

कोर्ट की आपत्ति

जस्टिस दत्ता ने कहा कि ऐसे गंभीर आरोपों के लिए सबूत जरूरी हैं। कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि जब सीमा विवाद जैसे मुद्दे संसद में उठाए जा सकते हैं, तो फिर सार्वजनिक मंच पर बयान देने का क्या औचित्य है? वहीं सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगा दी है। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया गया है। अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी।

सिंघवी की दलीलें

सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राहुल गांधी को प्राकृतिक न्याय का अवसर नहीं दिया गया। शिकायतकर्ता ‘पीड़ित व्यक्ति’ नहीं है, तो वह मुकदमा कैसे दायर कर सकता है? हाई कोर्ट में तकनीकी पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया।

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