रांची: रात के अंधेरे में अगर कोई नाम सबसे ज्यादा खौफ पैदा करता था, तो वह था अनुज कनौजिया। मुख्तार अंसारी गैंग का यह शार्प शूटर कानून से लुका-छिपी का खेल खेलते हुए हर बार बच निकलता था। लेकिन कहते हैं कि अपराध की दुनिया में जितनी अहमियत एक खूंखार अपराधी की होती है, उतनी ही उसकी हमसफर की भी। अनुज अकेला नहीं था, उसके काले कारनामों में उसकी पत्नी भी किसी से कम नहीं थी। दोनों ने मिलकर ऐसा आतंक फैलाया कि बाजारों से लोगों ने अपने दुकान के साइनबोर्ड से मोबाइल नंबर तक हटा दिए थे।
अपराध की दुनिया में ब्रेक ऑफ राज
अनुज और उसकी पत्नी का नाम सुनते ही लोग खौफ से कांप जाते थे। दोनों ने मिलकर अपराध की दुनिया में ऐसा वर्चस्व कायम किया कि पुलिस भी उन्हें पकड़ने में नाकाम रही। लेकिन कहते हैं कि वक्त का पहिया हमेशा एक जैसा नहीं घूमता। योगी सरकार के आने के बाद कानून का शिकंजा कसना शुरू हुआ, और उनके दिन बदलने लगे।
शादी के बाद और भी निडर हुआ अनुज
शादी से पहले ही अनुज अपने खौफ की वजह से पुलिस की हिट लिस्ट में था। लेकिन शादी के बाद उसकी ताकत और भी बढ़ गई। उसकी पत्नी उससे भी ज्यादा तेज दिमाग और निडर थी। जब अनुज पुलिस से भागता, तो वही उसकी ढाल बनती। वह हर योजना में उसका साथ देती और पुलिस के हर मूवमेंट की खबर रखती। वह न सिर्फ अनुज की मददगार थी, बल्कि जरूरत पड़ने पर खुद भी हथियार उठा लेती।
हीरो होंडा एजेंसी संचालक की हत्या और बढ़ता आतंक
अनुज कनौजिया का डर ऐसा था कि कोई भी उसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं करता था। उसने होली से पहले ही चिरैयाकोट में हीरो होंडा एजेंसी के संचालक को दिनदहाड़े गोली मार दी। पुलिस चाहकर भी उसे पकड़ नहीं सकी। उसकी पत्नी ही उसके ठिकाने बदलने की योजना बनाती और पुलिस को चकमा देने के लिए कई बार खुद सामने आकर बातें घुमाने लगती।
गिरफ्तारी और जेल की साजिश
2009 में अनुज ने एक इंजीनियर की हत्या कर दी थी, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन जेल की सलाखों के पीछे रहते हुए भी उसकी ताकत कम नहीं हुई। वह गोरखपुर जेल में 2016 तक रहा और फिर मेरठ भेज दिया गया, जहां से उसे जमानत मिल गई। उसके बाहर आते ही हत्या, लूट और डकैती का सिलसिला फिर से शुरू हो गया।
आना पड़ा उत्तर प्रदेश से झारखंड
योगी सरकार के आने के बाद अपराधियों पर नकेल कसनी शुरू हुई। अनुज की संपत्ति 2021 में कुर्क कर ली गई, लेकिन वह कानून के शिकंजे से बचता रहा। जब उत्तर प्रदेश में पांव जलने लगे, तो उसने झारखंड में शरण ली। लेकिन अपराध की दुनिया में ज्यादा दिन तक छुपकर रहना संभव नहीं होता। पुलिस को जैसे ही खबर मिली, उसने झारखंड में एसटीएफ के साथ मिलकर ऑपरेशन चलाया और अनुज को मुठभेड़ में ढेर कर दिया।
पत्नी सावा शेर, लेकिन अब सलाखों के पीछे
अनुज की मौत के बाद उसकी पत्नी के इरादे अब भी अधूरे थे। लेकिन पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया। वह अब जेल में है और उसके साथ उसके दो छोटे बच्चे भी हैं। अपराध की दुनिया में कभी राज करने वाला यह जोड़ा अब खत्म हो चुका है। कहते हैं, “बंदर कितना भी छलांग मार ले, अंत में पेड़ से गिर ही जाता है।” अनुज का अंत हो चुका है और उसकी पत्नी भी अब कानून के शिकंजे में है।
अपराध का अंत, लेकिन सीख बाकी
अनुज और उसकी पत्नी की कहानी अपराध की दुनिया का एक बड़ा सबक है। अपराध चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, अंततः कानून का शिकंजा उसे जकड़ ही लेता है। अब यह देखना बाकी है कि उसकी पत्नी जेल में रहकर अपने किए पर पछताती है या फिर किसी नई साजिश की बुनियाद रखती है।
Highlights