डिजीटल डेस्क : वक्फ संशोधन विधेयक की समीक्षा करेगी संसद की संयुक्त समिति, इसमें ओवैसी और मसूद समेत होंगे 31 सदस्य। शुक्रवार को लोकसभा ने वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच के लिए सदनों की संयुक्त समिति में अपने 21 सदस्यों के नाम के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस समिति में राज्यसभा के 10 सदस्य भी होंगे। इस तरह समिति में कुल 31 सदस्य होंगे। इसमें एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस के सहारनपुर से सांसद इमरान मसूद को शामिल किया गया है। इस समिति को अगले संसद सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। संसदीय मामलों के मंत्री और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने प्रस्ताव रखा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को सदनों की संयुक्त समिति को भेजा जाए जिसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे।
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संशोधित वक्फ विधेयक के संबंध में सरकार के दावों से इत्तेफाक नहीं रख रहे प्रतिपक्षी दल
इससे पहले गत गुरुवार को लोकसभा में विधेयक पेश किया गया और गरमागरम बहस के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया था । सरकार ने कहा कि प्रस्तावित कानून का मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं है और विपक्ष ने इसे मुसलमानों को निशाना बनाना और संविधान पर हमला बताया।
इस बिल का समर्थन करने वालों में जेडीयू, टीडीपी जैसी सहयोगी दल सरकार के साथ हैं जबकि कांग्रेस, सपा, टीएमसी,डीएमके, लेफ्ट, एनसीपी शरद पवार गुट और ऐआईएमआईएम जैसे दलों ने विरोध जताया है। सरकार दावा कर रही है कि इन बदलावों के जरिए वो वक्फ कानून को बेहतर और बोर्ड को जवाबदेह बना रही है, जबकि विपक्ष का आरोप है कि संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
सरकार ये समझाने की कोशिश कर रही है कि इस विधेयक से मुस्लिमों का भला होगा जबकि विपक्ष मानने को तैयार नहीं। बता दें कि साल 1954 का कानून बनने के बाद इसमें पहला बदलाव 1995 में नरसिम्हा राव की सरकार ने किया था। दूसरा संशोधन 2013 में मनमोहन सिंह की सरकार ने किया।
नरसिम्हा राव की सरकार ने वक्फ बोर्डों को ज्यादा शक्तियां और जिम्मेदारियां दीं जबकि 2013 में मनमोहन सिंह की सरकार ने वक्फ बोर्ड को पूर्ण स्वायत्ता दे दी। खास बात यह कि वर्ष 1995 में वक्फ बोर्ड को जो शक्तियां दी गईं, उससे बोर्ड को इतनी ताकत मिल गई, जैसे किसी कोर्ट को हासिल होती है।
उस संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड को ये अधिकार मिल गया था कि वो किसी भी संपत्ति पर अपना हक जता सकती है। उसी संशोधन में ये भी हुआ था कि अगर आपकी संपत्ति को वक्फ की बता दी गई तो आप उसके खिलाफ कोर्ट नहीं जा सकते।
किरेन रिजिजू ने मुसलमानों के लिए नए वक्फ बिल के गिनाए हैं फायदे
संसद के संयुक्त समिति को भेजे गए गुरुवार को लोकसभा में पेश वक्फ संशोधन बिल2024 को लेकर विपक्ष की ओर से उठाए जा रहे सवालों का मोदी सरकार ने अपने स्तर पर विस्तार से जवाब दिया है कि बिल कैसे मुसलमानों के लिए फायदेमंद है। लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने ये फायदे गिनाए भी हैं।
बताया कि इस विधेयक से किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। किसी का अधिकार लेने की बात तो छोड़िए,देने के लिए यह विधेयक लाया गया है। उन लोगों को अधिकार देने के लिए बिल लाया गया है,जिन्हें कभी मिला नहीं। यह भी सुनिश्चित है कि वक्फ की इनकम का पूरा पैसा मुसलमानों पर ही खर्च होगा।
रिजीजू ने आगे कहा कि यह बिल सच्चर कमेटी (जिसमें सुधार की बात कही गई थी) की रिपोर्ट पर आधारित है जो आपने (कांग्रेस) बनाई थी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विपक्ष मुसलमानों को गुमराह कर रहा है और मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल के अलावा कई सांसदों ने सरकार को बताया है कि माफिया ने वक्फ बोर्ड पर कब्जा कर लिया है।
रिजीजू ने दावा किया कि कुछ सांसदों ने कहा है कि वे व्यक्तिगत रूप से विधेयक का समर्थन करते हैं लेकिन अपने राजनीतिक दलों के कारण ऐसा नहीं कह सकते। किरेन रिजिजू ने कहा कि वक्फ अधिनियम 1995 अपने उद्देश्य की पूर्ति में सफल नहीं रहा और हम कांग्रेस को बताना चाहते हैं कि ये संशोधन उन कार्यों को पूरा करने के लिए लाए जा रहे हैं जो आप नहीं कर सके।
संयुक्त संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि वक्फ अधिनियम 1995 का फिर से अध्ययन होना चाहिए और ऐसे में विपक्ष सिर्फ राजनीति के लिए इसका विरोध कर रहा है।