Gaya : Rainy Season : गया के एक गांव के लोग बारिश के वक्त खेतों में बह कर आये मोती चुन कर मालामाल हो रहे हैं। खेतों में मोती और मूंगा बारिश के दिनों में पास के पहाड़ से बह कर आता है। यह अनोखा पहाड़ है गया के वजीरगंज में स्थित हंसराज और सोमनाथ पहाड़ी। दोनों पहाड़ी के तलहटी में बसा है हसरा गांव जहां के किसानों को अक्सर खेत की जुताई करने के दौरान मोती और मूंगा मिलता है। इन मोती और मूंगा को बेच कर यहां के किसान अब मालामाल हो रहे हैं।
स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले जब लोगों को जानकारी नहीं थी तो मोती 5 से 10 हजार रूपये में बेच देते थे लेकिन अब जानकारी हो गई है तो लोग इन मोतियों को एक एक लाख या इससे भी अधिक मूल्य में बेच कर मालामाल होते हैं। कहते हैं कि इन पहाड़ियों का जिक्र विष्णुपुराण में भी है और कनिंघम ने भी बौद्ध स्थलों की खोज के दौरान इस पहाड़ का जिक्र किया है। पहाड़ी के आसपास कई राजाओं के महलों का भी अवशेष मिला है। कहा जाता है कि यह पहाड़ी में कई बहुमूल्य प्राकृतिक संपदा मौजूद हैं।
Rainy Season में खेतों में मिलता है मोती
लोगों ने बताया कि गांव के लोग काफी बेसब्री से बारिश का इंतजार करते हैं क्योंकि बारिश के दौरान खेतों में मोती बह कर आता है जिसे लोग खोज कर बेचते हैं। हालांकि यह मोती इतनी आसानी से भी लोगों के हाथ नहीं आता, इसके लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ती है और तब जा कर मोती मिलता है। ज्यादातर बच्चों और युवाओं के हाथ ही यह मोती लगता है।
मोती बेच लोग हो रहे अमीर
लोगों ने बताया कि इस पहाड़ से निकलने वाला यह मोती काफी अनमोल है। कुछ वर्षों पहले लोग महज 5 से 10 हजार में इन मोतियों को बेच दिया करते थे लेकिन अब जौहरी खुद गांव में आते हैं और एक लाख रूपये तक का मूल्य चुका कर मोती खरीदते हैं। गांव के कई ऐसे लोग हैं जो पहले काफी गरीब थे लेकिन इन मोतियों ने उनकी किस्मत बदल दी है। इतना ही नहीं, गांव के अधिकांश युवाओं के गले में मोती लटका हुआ देखा जा सकता है।
कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि पास के विशुनपुर गांव के पीएचडी उपाधि प्राप्त डॉक्टर अमर सिंह सिरमौर ने हंसराज और सोमनाथ की पहाड़ी पर काफी शोध किया है और उन्होंने बताया कि यह पहाड़ी प्राकृतिक संपदाओं से पूर्ण है। लोगों ने कहा कि विष्णुपुराण में में भी मोतियों वाले इस पहाड़ का जिक्र है। वहीं कनिंघम ने भी बौद्ध स्थलों की खोज के दौरान अपनी किताब में इस पहाड़ का जिक्र किया है। अनुमान है कि पहाड़ पर काफी संख्या में मूर्तियां भी मौजूद हैं।
ग्रामीण नरेश यादव, राकेश कुमार, श्रवण राज बताते हैं, कि यहां जब बारिश आती है, तो पहाड़ से मोती गिरता है। पहाड़ का मोती गांव की ओर और खेतों में चला जाता है। किसान जब खेत में हल चलाते हैं, तो मोती मिलती है। काफी मेहनत के साथ ग्रामीण भी ढूंढते हैं, तो मूसलाधार बारिश के दिनों में मोती मिल जाती है। मूसलाधार बारिश होती है तो मोतियां निश्चित तौर पर निकलती है।
यह बताते हैं, कि पिछले 35 सालों से लोगों ने मोतियां बेचनी शुरू की है। पहले कम जानकारी थी, तो हजार रुपए में ही बेच देते थे, लेकिन अब यह लाख तक में बिक रहा है। नवादा, गया, बोधगया आदि जगहों से जौहरी आते हैं। ग्रामीण यह भी बताते हैं, कि यह काफी ऐतिहासिक स्थान है।
https://www.youtube.com/@22scopebihar
यह भी पढ़ें- पश्चिम बंगाल में Doctor हत्याकांड के विरोध में DMCH में ओपीडी सेवा बंद, परेशान हैं मरीज
गया से आशीष कुमार की रिपोर्ट