पटना: जदयू के प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक राजधानी पटना के जदयू प्रदेश कार्यालय में जारी है। बैठक में CM Nitish Kumar, जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा समेत लगभग सभी बड़े नेता मौजूद हैं। हालांकि बैठक में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह अब तक बैठक में नजर नहीं आए हैं। बैठक से पहले जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने यह साफ किया था कि बैठक आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर है और बैठक के दौरान हमारे नेता नीतीश कुमार कार्यकर्ताओं को जैसा निर्देश देंगे उसके अनुरूप राज्य में पार्टी चुनाव की तैयारियों में लग जाएगी। राज्य कार्यकारिणी की बैठक में कई अहम् प्रस्ताव भी पेश किये गए।
नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनाने का संकल्प
राज्य कार्यकारिणी की बैठक में नेताओं ने कहा कि सीएम नीतीश के विशेष आग्रह पर नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र की सरकार ने राज्य को विशेष पैकेज देना शुरू कर दिया है। इससे बिहार के विकास की रफ्तार और भी तेज होगी। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया हम इस फैसले का भी स्वागत करते हैं और प्रसन्नता व्यक्त करते हैं।
राज्य कार्यकारिणी की यह बैठक 2025 विधानसभा चुनाव को लक्ष्य बना कर आयोजित की गई है। कार्यकारिणी विधानसभा चुनाव में हर स्तर पर प्रभावकारी रणनीति और कार्यक्रम बनाने का समर्थन करती है। हम अपने नेता नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करेंगे और एक बार फिर राज्य में एनडीए की सरकार बनाएंगे।
सांगठनिक और राजनैतिक प्रस्ताव
जदयू राज्य कार्यकारिणी की बैठक में राजनैतिक प्रस्ताव भी पेश किया गया। प्रस्ताव में कहा गया कि बिहार में नौकरी और रोजगार का मतलब ही नीतीश कुमार हैं। वर्ष 2005 में एनडीए के सत्ता में आने के बाद से बिहार का चौतरफा विकास शुरू हुआ और विकास की रफ्तार आज दहाई अंक में पहुंच गई। यदि बिहार को पहले ही विशेष राज्य का दर्जा मिला होता तो आज बिहार एक विकसित और समृद्ध राज्य होता।
‘सम्मान संवाद’ और ‘संगत पंगत’ अभियान
राज्य कार्यकारिणी की बैठक में सम्मान संवाद और संगत पंगत का प्रस्ताव पेश किया गया। नेताओं ने कहा कि समता काल के कई नेता अब भी कहीं न कहीं जदयू से जुड़े हुए हैं लेकिन वे किसी न किसी कारणवश सक्रिय नहीं हैं। ऐसे नेताओं से संवाद करने के लिए सम्मान संवाद कार्यक्रम चलाया जाए और ऐसे नेताओं से एक बार फिर से जुड़ा जाए। यह हमारे संगठन के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
वहीं बैठक में कहा गया कि एनडीए के महत्वपूर्ण घटक दल होने के नाते हमारी सहयोगी दलों के साथ समन्वय जरुरी है। घटक दलों के नेताओं के बीच संबंध और बातचीत तो होती है लेकिन स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं को भी एक साथ बैठना, विमर्श करना आवश्यक है। इससे घटक दलों के बीच निकटता बढ़ेगी और संवाद होने से आपसी परस्पर सहयोग में वृद्धि होगी।
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पटना से विवेक रंजन की रिपोर्ट
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