डिजीटल डेस्क : Serious Allegation – यूपी में भाजपा विधायक फतेह बहादुर बोले – पुलिस मरवाना चाहती है, जुटाए हैं एक करोड़ रुपये। यूपी में भाजपा के लिए इस समय सत्ता और संगठन दोनों में कुछ न कुछ कसमकस की स्थिति बनी हुई है। एक पेंच सुझलाते ही दूसरा सामने आ रहा है और प्रतिपक्षी खेमा भी उसी का जमकर फायदा उठाने में जुटा है, हालांकि प्रतिपक्ष को अभी तक उसमें कुछ विशेष हासिल नहीं हुआ है। इसी बीच यूपी में पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह बेटे और इस समय भाजपा के विधायक फतेह बहादुर सिंह ने अपनी ही पार्टी के राज में यूपी पुलिस पर बड़ा आरोप लगाते हुए नया सियासी बम फोड़ा है।
उन्होंने कहा है कि पुलिस अपराधियों के साथ मिलकर उन्हें मरवाना चाहती है। उन्होंने आगे कहा कि उनकी जान को खतरा है, स्थानीय पुलिस वाले अपराधियों के साथ मिलकर उन्हें जान से मारना चाहते हैं और वे लोग एक करोड़ रूपये चंदा भी इसके लिए इकट्ठा कर चुके हैं।
फतेह बहादुर का दर्द – सीएम योगी को बताया तो भी कुछ नहीं तो शाह-नड्डा के लिखा खत
यही नहीं, भाजपा विधायक फतेह बहादुर सिंह ने कहा कि उन्होंने ये सारी बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी बता दी है लेकिन उसे भी 10-12 दिन हो गए और जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने फिर गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखी है कि उनके साथ कभी कोई हादसा हो सकता है। फतेह बहादुर ने एक टीवी चैनल को इस बारे में बताया कि यह पूरी साजिश यूपी पुलिस के चंद अधिकारी कुछ माफियाओं के साथ मिलकर रच रहे हैं।
बता दें कि यूपी के पूर्व सीएम वीर बहादुर के बेटे फतेह बहादुर सिंह गोरखपुर और महराजगंज के बड़े नेता हैं। वह गोरखपुर के कैम्पियरगंज से 3 बार और महराजगंज के पनियारा से 4 बार विधायक रहे हैं। वर्ष 2022 में वे कैम्पियरगंज से चुनाव जीते थे और उस चुनाव में उन्होंने सपा के काजल निषाद को करीब 42 हजार वोटों से हराया था।
योगी राज मे नहीं मिली जगह, पहले तीन सीएम के मंत्रिमंडल में रह चुके हैं फतेह बहादुर
फतेह बहादुर सिंह कैम्पियरगंज से विधायक हैं। विधायक फतेह बहादुर राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। वह पहले बसपा सुप्रीमो मायावती का करीबी भी रह चुके हैं और बसपा सरकार में वह वन मंत्री भी थे। विधानसभा सत्र के दौरान वह मायावती के दाहिनी कुर्सी पर बैठे दिखाई देते थे लेकिन वक्त के साथ हालात भी बदले तो बसपा से कैबिनेट मंत्री रहे फतेह बहादुर सिंह की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती से दूरियां बढ़ गईं।
उन्होंने साल 2012 में एनसीपी के समर्थन से निर्दल टिकट पर कैम्पियरगंज से चुनाव लड़कर अपनी ताकत का अहसास कराया। भाजपा का घर कहे जाने वाले कैम्पियरगंज में उन्होंने जीत हासिल कर अपना परचम लहराया और साल 2017 में भाजपा ने उन्हें टिकट दे दिया तो फतेह बहादुर सिंह ने जीत हासिल कर न सिर्फ भाजपा के शीर्ष नेताओं का विश्वास जीता बल्कि योगी आदित्यनाथ का मान भी रखा।
खास बात यह कि साल 2012 के चुनाव में कैंपियरगंज विधानसभा में भाजपा चौथे नंबर पर रही थी जबकि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा ने फतेह बहादुर सिंह को टिकट दिया, तब रिकॉर्ड वोटों से जीत दर्ज कर फतेह बहादुर सिंह ने चार नंबर पर रही भाजपा को एक नंबर पर ला दिया।
भाजपा में दूसरी बार उनकी एंट्री 2012 में हुई थी और वर्ष 2017 में जब योगी सरकार का गठन हुआ, तो फतेह बहादुर को मंत्री बनने की उम्मीद जगी लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। फिर वर्ष 2022 में भी उन्हें मंत्री का पद नहीं मिल पाया।
पांच साल पहले भरी सभा में योगी ने फतेह बहादुर को दी थी नसीहत
साल 2019 में गोरखपुर में एक कार्यक्रम के दौरान योगी आदित्यनाथ के सामने मंच पर बोलते हुए फतेह बहादुर ने योगी सरकार से युवाओं को रोजगार और सम्मान देने का आह्वान कर दिया। फतेह बहादुर के इस बयान से सीएम नाराज हो गए और मंच पर ही उन पर बरस पड़े थे। तब सीएम योगी ने मंच से ही भरी सभा में कहा कि गोरखपुर में विकास की वजह से ही हमें जीत मिली है और हम लोग लगातार युवाओं को जोड़ने का काम कर रहे हैं एवं कारखाना स्थापित कर रहे हैं तो क्या इन कारखानाओं से युवाओं को रोजगार नहीं मिलेगा?
इसी क्रम में सीएम योगी ने तब आगे कहा था- मंच से इस प्रकार की बातें करके अनावश्यक रूप से अपनी उपलब्धियों पर पानी फेरने का काम करने से सबको बचना चाहिए।