रांची: झारखंड के धनबाद, बोकारो और गिरिडीह जिलों में मंईयां सम्मान योजना के हजारों लाभुकों को इस माह सम्मान राशि नहीं मिल पाई है। प्रशासन ने इसका कारण सत्यापन प्रक्रिया को बताया है, जिसके तहत यह पता चला कि बड़ी संख्या में लाभुकों के बैंक खाते आधार से सीडेड नहीं हैं, वहीं कई के पते में गड़बड़ी पाई गई है। इसी वजह से इन महिलाओं को लाभ से वंचित कर दिया गया है।
Highlights
सत्यापन सूची सार्वजनिक करने पर विवाद
लाभुकों को अपने दस्तावेज दुरुस्त करने के लिए अलग-अलग प्रखंड कार्यालयों में सूची भेजी गई थी, लेकिन जब भारी भीड़ उमड़ने लगी, तो अधिकारियों ने इन सूची को सार्वजनिक स्थलों और कार्यालयों की दीवारों पर चिपका दिया। इस सूची में महिलाओं के नाम, मोबाइल नंबर, पता और बैंक खाते की पूरी जानकारी मौजूद है।
इस कदम का महिलाओं और सामाजिक संगठनों ने विरोध किया है। महिलाओं का कहना है कि इस सूची के सार्वजनिक होने से उनके व्यक्तिगत डेटा का गलत इस्तेमाल हो सकता है और साइबर क्राइम का खतरा बढ़ गया है।
भीड़ के कारण विवाद, महिलाओं के बीच मारपीट
इस योजना की राशि तीन महीने की लंबित थी, जिसके कारण लाभ से वंचित महिलाएं बड़ी संख्या में अपने कागजात ठीक कराने के लिए प्रखंड कार्यालयों में पहुंच रही हैं। इसी दौरान शनिवार को धनबाद अंचल कार्यालय में कतार में लगने को लेकर दो महिलाओं के बीच विवाद हो गया। यह विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों महिलाओं ने एक-दूसरे को चप्पल से पीट दिया। झड़प के कारण कार्यालय परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
सरकार और प्रशासन पर उठे सवाल
सत्यापन प्रक्रिया को लेकर सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। महिलाओं को सम्मान राशि देने की प्रक्रिया में देरी के अलावा, उनकी गोपनीय जानकारी सार्वजनिक करने से उनकी सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है। सामाजिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि इस मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए और भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो।