Saturday, August 2, 2025

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डुमरी में दो जंगली हाथियों ने दो घरों को किया क्षतिग्रस्त, वन विभाग के खिलाफ ग्रामीणों में आक्रोश

डुमरी. डुमरी थाना क्षेत्र के खेतली पंचायत अंतर्गत सिरमी ग्राम में शुक्रवार रात्रि को दो जंगली हाथियों ने प्रभा देवी पति रामकिशुन चीक बड़ाईक एवं हेमावती देवी पति चंद्रु कवर के घर को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है साथ ही रामकिशुन चीक बड़ाइक के बारी में लगे मकई की फसल को भी रौंद कर पूरी तरह बरबाद कर दिया है।

डुमरी में जंगली हाथियों ने घरों को किया क्षतिग्रस्त

इसकी सूचना पर मुखिया आरती देवी एवं उपमुखिया जवाहर कवर मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को दो टॉर्च देते हुए उनके सहयोग से देर रात्रि तक हाथी को भगाने में ग्रामीणों के सहयोग किए। इस संबंध में खेतली मुखिया आरती देवी ने कहा कि रात आठ बजे मुझे सिरमी गांव में हाथी आने की सूचना मिली तो मैं तत्काल उपमुखिया एवं ग्रामीणों के सहयोग से सिरमी गई, जहां देखा कि दो हाथी घरों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर रहे हैं। मैं मौके से ही वन विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दी और आकर हाथी को भगाने में हमारी मदद करने की अपील की परंतु उनके द्वारा कोई पहल नहीं की गई।

उन्होंने कहा है कि वे ग्रामीणों को दो टार्च उपलब्ध कराई। हमलोग हड़ताल में होने के बावजूद भी देर रात तक ग्रामीणों के सहयोग हेतु सदा तत्पर रहते हैं, लेकिन जिनकी ये जिम्मेवारी है वो क्षेत्र में झांकने तक नहीं आते। वहीं मुखिया ने सरकार द्वारा मिलने वाले क्षतिपूर्ति दिलाने हेतु पहल करने का पीड़ितों को भरोसा दिलाया है। वहीं गांव में हाथी के आने एवं उत्पात मचाने की सूचना तत्काल रात्रि नौ बजे के करीब चैनपुर वन विभाग के रेंजर जगदीश राम एवं अन्य वन कर्मियों को दूरभाष के माध्यम से दी गई, जिस पर रेंजर के द्वारा फौरन हाथी भगाने वाली टीम को भेजने का आश्वासन दिया गया, लेकिन उनका आश्वासन झूठा साबित हुआ और वन विभाग के द्वारा किसी भी प्रकार की कोई पहल नहीं की गई।

डुमरी में जंगली हाथियों का अतंक

इससे एक सप्ताह पूर्व भी इसी पंचायत में इन्हीं हाथियों ने तीन घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया था। इसके बावजूद भी वन विभाग के इस निराशाजनक रवैए से क्षेत्र के ग्रामीणों में आक्रोश का भाव है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार के द्वारा वन विभाग के माध्यम से हाथी भगाने हेतु टॉर्च, पटाखे एवं टीम की पूरी व्यवस्था दी जाती है, लेकिन यहां सब कागजी प्रक्रिया तक ही सिमट कर रह जाती है और ग्रामीण भय के वातावरण में रात रात भर जागकर अपने जानलमाल की सुरक्षा स्वयं करने को विवश है।

सुंदरम केशरी की रिपोर्ट

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