Bettiah- वाल्मीकी टाईगर रिज़र्व में एक बार फिर से संदिग्ध अवस्था में एक बाघिन की मौत हो गई. अक्टूबर 2020 से अब तक यह तीसरी बाधिन की मौत है.
बताया जा रहा है कि ग्रामीणों ने मानपुर थाना क्षेत्र का वीटीआर के जंगल में चक्रसन गांव के पास पहली बार बाधिन का शव देखा. ग्रामीणों ने तत्काल इसकी सूचना वन विभाग को दी. ग्रामीणों की सूचना पर टाईगर रिजर्व के निदेशक हेमकांत राय के साथ वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मृत बाधिन को मंगुराहा ले जाकर पोस्टमार्टम किया. मौत के वास्तविक कारणों की जानकारी के लिए बाघिन का बेसरा फोरेंसिग लैब देहरादून भेजा जाएगा.
निदेशक हेमकांत राय ने कहना है कि बाघिन की मौत दो दिन पहले ही हुई है. अब यह जानने की कोशिश की जा रही है कि जब वन विभाग के कर्मी लगातार पेट्रोलिंग कर रहे है, तब फिर दो दिनों के बाद भी वन विभाग को मौत की जानकारी क्यों नहीं मिली. बाधिन की मौत की सूचना तो ग्रामीणों द्वारा दी गई.
बाधिन की संदेहास्पद मौत पर निदेशक हेमाकान्त राय का कहना है कि बाघिन की मौत या तो जहरीले सांप के काटने से या फिर जहरीला खाद्द पदार्थ खाने से. शरीर पर जख्म को कोई निशान नहीं हैं और उसके सारे पार्ट्स सुरक्षित है. इसकी उम्र लगभग 9 से 10 साल के बीच की है. दो बार बच्चों को जन्म दे चुकी है. बाघिन का फोटो कैमरा में ट्रैप हो गया है. इसके आधार पर छानबीन की जा रही हैं. वीटीआर के रघिया, मंगुराहा और गोवर्धना वन क्षेत्र में वनकर्मी और पदाधिकारी मौत के कारणों की छानबीन कर रहे है.
बता दें कि 13 अक्टूबर को इसी क्षेत्र में एक बाघिन की मौत हो गई थी. जिसके शरीर पर जख्म के निशान थें, फरवरी महीने में भी एक बाघिन की मौत हो गई थी. लिहाजा एक के बाद एक बाघिन की मौत होने से वन विभाग भी सकते है. बिहार के इस इकलौते वाल्मीकी टाईगर रिज़र्व में बाघों के रख-रखाव, अधिवास और हैबिटेट का बेहतर प्रबंधन का दावा किया जाता रहा है. दावा किया गया था कि कुशल प्रशासक और बेहतर प्रबन्धन में बाधों की संख्या 50 पार कर जाएगी. लेकिन एक बार फ़िर 9 से 10 वर्ष आयु वर्ग वाले बाघिन की मौत के बाद वन विभाग की व्यवस्था और कुशल प्रबंधन के दावों पर सवाल खड़े होने लगे है.