रांची : सिविल कोर्ट के अधिवक्ता रामप्रवेश सिंह हत्याकांड में दोषी करार पांच अभियुक्तों को
अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है.
अभियुक्तों पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है.
अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत में सोमवार को दोषी अभियुक्तों को उम्र कैद की सजा सुनाई.
अदालत ने 12 जुलाई को अभियुक्त राम पाहन, शिवम कुमार,
सतीश कुमार पाठक, राजा कुमार साहू और सतीश मुंडा को दोषी ठहराया था.
इनलोगों के खिलाफ 19 दिसंबर 2020 को आरोप तय किया गया था. जबकि कोविड काल में भी गवाही जारी रही.
2019 में हुई थी अधिवक्ता की हत्या
अभियोजन साक्ष्य पूरी होने के बाद 29 नवंबर 2021 को आरोपियों का बयान अदालत ने दर्ज किया. अधिवक्ता की हत्या 9 दिसंबर 2019 की रात्रि 8 बजे कर दी गई थी. दो आरोपी रोहित कुमार एवं शंकर राम को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है.
जमीन विवाद में हुई थी हत्या
पुलिस के मुताबिक हत्या के पीछे की मुख्य वजह गोंदा थाना क्षेत्र में स्थित दो एकड़ 96 डिसमिल जमीन थी. पुलिस ने हत्याकांड में शामिल सात अपराधियों को गिरफ्तार किया. इनके पास से हत्या में प्रयुक्त पिस्टल, कारतूस, मोबाइल और बाइक बरामद किये गये थे. रांची के तत्कालीन ग्रामीण एसपी ऋषभ झा ने बताया था कि जमीन को लेकर बिरसा उरांव और राम पाहन के बीच विवाद था. वर्ष 2009 में रामप्रवेश सिंह ने बिरसा उरांव से जमीन अपने परिचितों को बेचवा दिया था. इसके बाद से ही राम पाहन उनका दुश्मन बन गया था.
हत्या के लिए इनको दी थी हत्या
उसने रामप्रवेश सिंह की हत्या के लिए सतीश मुंडा और शिवम कुमार को सात लाख रुपये की सुपारी दी. राम पाहन से सात लाख लेने के बाद सतीश मुंडा और शिवम कुमार ने हजारीबाग के सतीश पाठक और रोहित को अधिवक्ता की हत्या के लिए सुपारी दी थी.
रिपोर्ट: प्रोजेश दास