रांची. झारखंड में बीजेपी ने अपने सभी उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है, लेकिन ऐसा लग रहा जैसे इंडिया महागठबंधन बीजेपी को वॉकओवर देता दिखाई दे रहा है। बीजेपी ने सभी सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है, लेकिन इंडिया महागठबंधन में अभी तक उहापोह की स्थिति दिखाई दे रही है।
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खूंटी और चाईबासा में बीजेपी के सामने महागठबंधन से कौन?
आलम ये है कि जिस खूंटी सीट को कांग्रेस ने 1445 वोटों के मामूली अंतर से गंवाया था, उस सीट पर भी काग्रेेस अभी तक अपने उम्मीदवार कालीचरण मुंडा के नाम की घोषणा नहीं कर पायी है। नतीजा ये है कि कालीचरण मुंडा अभी तक प्रचार में पूरी ताकत झोक नहीं पा रहे हैं। कुछ यही हाल चाईबासा सीट पर भी देखने को मिल रहा है। चाईबासा सीट दशकों से कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है, जहां पिछली बार गीता कोड़ा ने काग्रेंस से चुनाव लड़ते हुये बीजेपी के लक्षमण गिलुवा को मात दी थी।
अब इस बार बीजेपी ने पासा पलटते हुये गीता कोड़ा को अपने पाले में कर लिया है। गीता कोड़ा चूंकी पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी है, जो कोल्हान के हो समुदाय से आते है, और हो समुदाय के वोर्टस हर हाल में मधु कोड़ा का साथ देते है। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी के टिकट पर गीता कोड़ा का चुनाव लड़ना और हो समुदाय का साथ होना ही जीत की गारंटी के तौर पर देखा जा रहा है। इसके बावजूद वो सीट जेएमएम लड़ेगी या कांग्रेस अभी तक तय नहीं हो पा रहा है क्योंकि गीता कोड़ा के कांग्रेस छोड़ने के साथ ही जेएमएम ने चाईबासा सीट लड़ने की इच्छा जगजाहिर कर दी है।
कोडरमा सीट पर महागठबंधन में रार!
कुछ ऐसा ही हाल कोडरमा सीट पर भी देखने को मिल रहा है, जहां पिछली बार बीजेपी के टिकट के पर लड़ते हुये अन्नपूर्णा देवी ने सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का रिकार्ड बना दिया था। अब कोडरमा सीट को लेकर अभी तक तय नहीं हो पा रहा है कि काग्रेंस जेएमएम या फिर उस सीट पर महागठबंधन की तरफ से लेफ्ट को मौका दिया जाएगा या नहीं, जिस कारण कोडरमा सीट लेफ्ट के उम्मीदवार के तौर पर कभी विनोद सिहं का नाम आ रहा है तो राजकुमार यादव का नाम आ रहा है, लेकिन घोषणा नहीं होने के कारण इन दोनों में से कोई भी अभी तक पूरी ताकत लगाकर प्रचार में भी नहीं उतर पा रहे हैं।
चतरा सीट पर भी महागठबंधन में नहीं बनी सहमति
वहीं चतरा सीट को लेकर भी बीजेपी ने बड़ा दांव खेलते हुये पहली बार स्थानीय प्रत्याशी कालीचरण सिंह को मैदान में उतार दिया है, लेकिन सीट पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी या फिर राजद को समझौते में सीट जाएगी, ये अभी तक तय नहीं हो पा रहा है। देरी का आलम ये है कि सरकार में राजद के मंत्री सत्यानंद भोक्ता खुद को राजद प्रत्याशी घोषित कर चुनाव प्रचार में उतर गये हैं। वहीं दूसरी तरफ काग्रेस भी इस सीट पर दावा ठोंकती नजर आ रही है। ऐसे में महागठबंधन की रार का बड़ा फायदा बीजेपी को मिलता हुआ दिखे तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
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22Scope के पॉलिटिकल एडिटर उदय शंकर का विशेष लेख