आज हम बात करेंगें बिहार में रामविलास पासवान की गढ़ मानी जाने वाली हॉट सीट हाजीपुर लोकसभा सीट की , हाजीपुर में 2024 का चुनाव खास होने वाला है, हाजीपुर में चिराग अपनी पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए वापसी करने वाले हैं.
हाजीपुर लोकसभा वैशाली जिले के अंतर्गत आती है. और यह लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है इस सीट की पहचान पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व सांसद दिवंगत रामविलास पासवान से है. रामविलास पासवान लगातार 8 बार हाजीपुर से सांसद रहे और साथ ही उन्होंने यहां से सर्वाधिक वोट से जीत दर्ज करने का रिकॉर्ड भी गिनीज बुक में दर्ज करवाया था.
2024 के लोकसभा चुनाव में इस सीट की चर्चाएं तेज है .इस सीट पर अबकी बार बिहार के यूथ सेंसेशन और दिवंगत रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान एनडीए गठबंधन की ओर से चुनाव लड़ने वाले हैं.
बीते कुछ महिनों में बिहार की राजनीति में हाजीपुर सीट को लेकर सुर्खियां बनती रही, यहां से चाचा-भतीजा को लेकर सीट का विवाद लंबा चला. बीते चुनाव यानी 2019 में हाजीपुर सीट से रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस लड़े और जीत हासिल की. लेकिन पशुपति का टिकट उनके भतीजे चिराग ने काट दिया. जिसके बाद विवादों का सिलसिला शुरु हुआ ,स्थिति यहां तक आ गई कि पशुपति पारस एनडीए से अलग हो गए, मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. पर कुछ ही दिनों के बाद पशुपति पारस चिराग को सीट देने के लिए राजी हो गए और उन्होंने ऐलान किया कि वे एनडीए का हिस्सा बने रहेंगे.
चिराग पासवान बीते दो टर्म से सांसद रह चुके हैं लेकिन 2014 और 2019 में उन्होंने बिहार के जमुई लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया. अब चिराग जमुई सीट छोड़कर अपने पिता की पारंपरिक सीट हाजीपुर में वापसी करने की तैयारी में हैं.
अब देखना ये है कि हाजीपुर की जनता ने जो प्यार वोटों की शक्ल में रामविलास पासवान को दिया था वैसे ही प्यार उनके बेटे चिराग पासवान को देती है या नहीं ये भी दिलचस्पी बनी हुई है कि चिराग पासवान के खिलाफ हाजीपुर लोकसभा में महागठबंधन की ओर से राजद किसे प्रत्याशी बनाता है.
हाजीपुर एससी आरक्षित सीट है और यहां के जातीय समीकरण की बात करें तो इस क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी अन्य धर्मों की अपेक्षा अधिक है. यहां यादव जाति के वोटरों की बहुलता है यहां लगभग 3 लाख वोटर यादव जाति के हैं. वहीं करीब ढाई लाख वोटर पासवान हैं और ढाई लाख वोटर राजपूत हैं. डेढ़ लाख वोटर भूमिहार ,सवा लाख कुशवाहा,सवा लाख ब्राह्मण और लगभग 1 लाख रविदास हैं. करीब 2 लाख वोटर वैश्य और अन्य जातियां हैं.
हाजीपुर लोकसभा में विधानसभा की 6 सीटें है. जिसमें हाजीपुर, लालगंज, महुआ, राजा पाकर, राघोपुर और महनार की सीटें शामिल हैं. इन 6 सीटों में 2 पर भाजपा, 3 पर राजद और 1 कांग्रेस का कब्जा है.
हाजीपुर में भाजपा के अवधेश सिंह ,लालगंज में भाजपा से संजय कुमार सिंह विधायक हैं.
महुआ में राजद का कब्जा है और यहां से मुकेश रौशन विधायक हैं.
राघोपुर में राजद से पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और महनार में भी राजद के टिकट से बीना सिंह विधायक बनी हैं.
राजा पाकर एससी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित विधानसभा है और यहां से कांग्रेस की एकमात्र विधायक प्रतिमा कुमारी हैं.
हाजीपुर लोकसभा के इतिहास पर एक नजर डालें तो, यह सीट 1957 में अस्तित्व में आया और 1977तक यहां कांग्रेस का बोलबाला रहा. 1977 में रामविलास पासवान के हाजीपुर लोकसभा में एंट्री के बाद इस सीट पर उनका ही दबदबा दिखा.इस सीट से भाजपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई.
1957 में हाजीपुर में लोकसभा का पहला चुनाव हुआ और राजेश्वर पटेल कांग्रेस के टिकट से जीते.
राजेश्वर पटेल ने 1962 के चुनाव में दूसरी बार भी इस सीट को कांग्रेस की झोली में डाली.
1967 में हाजीपुर सीट पर कांग्रेस का बोलबाला रहा लेकिन इस बार सांसद वाल्मिकी चौधरी बने.
1971 में दिग्विजय नारायण सिंह कांग्रेस के टिकट से जीते.
1977 के लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान जनता पार्टी के टिकट से सांसद बने.
दूसरी बार रामविलास 1980 में जनता पार्टी सेक्यूलर से जीते.
1984 में कांग्रस ने एक बार फिर वापसी की और रामरतन राम सांसद बने.
1989 में रामविलास पासवान जनता दल के टिकट से जीते.
वहीं 1991 में जनता दल के टिकट से राम सुंदर राम ने जीत हासिल की.
जिसके बाद अगले 4 चुनावों में राम विलास पासवान ने अपनी जीत का परचम लहराया.
1996 में रामविलास जनता दल के टिकट से जीते.
1998 में भी जनता दल के टिकट से रामविलास जीते.
1999 में राम विलास पासवान जनता दल यूनाइटेड के टिकट से जीते.
और 2004 में राम विलास पासवान ने अपनी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी से जीत दर्ज की.
2009 में राम सुंदर राम ने रामविलास के विजय रथ को रोका और जदयू के टिकट से जीते.
2014 में रामविलास पासवान ने आखिरी बार लोजपा से जीत हासिल की.
2019 के चुनाव में हाजीपुर सीट से रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस ने लोजपा के टिकट से चुनाव लड़ा और जीता.
अब 2024 के चुनाव में लोजपा से चिराग पासवान अपने पिता के गढ़ में वापसी करने जा रहे हैं. चिराग को उनके पिता के जुटाए जनाधार का फायदा हो सकता है.
लेकिन जब इसके नतीजे अब 4 जून को जारी होंगे तभी पता चलेगा कि चिराग हाजीपुर से दिल्ली पहुंचने में सफल होते हैं या नहीं.