डिजीटल डेस्क : Twist In UP Politics – कल प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक से पहले यूपी भाजपा में घमासान, मौज में अखिलेश ने कसे तंज। देश में संपन्न हुए आम चुनाव में यूपी में लगे करारे झटके से अभी पूरी तरह भाजपा उबर भी नहीं पाई है और पार्टी में अंदरखाने संगठन और सरकार के नेतृत्व के खिलाफ विरोध के सुर को लेकर अंदरखाने जबरदस्त घमासान की स्थिति बन गई है। सबसे अहम तथ्य यह है कि पार्टी के भीतर मचा घमासान तब सार्वजनिक रूप से सामने आ रहा है जब रविवार 14 जुलाई को यूपी भाजपा कार्यकारिणी की अहम बैठक होने वाली है। सत्ता पक्ष के दल में इस खींचतान पर सपा मुखिया अखिलेश यादव खासे खुश हैं और मजे लेते हुए तंज कसने का मौका भी नहीं छोड़ रहे। भाजपा में मचे घमासान पर चुटकियां लेते हुए अखिलेश यादव ने यह तक कह दिया है कि भाजपा में भगदड़ मची है और उनके बीच जारी लड़ाई सड़क पर आ चुकी है।
यूपी भाजपा के संगठन और सरकार में कुछ न कुछ तो खटपट है
भाजपा के संबंध में यूपी में हाल के दिनों में जो तस्वीर और बयान सामने आए हैं, उनसे साफ है कि संगठन और सरकार लेकर पार्टी के भीतर सब ठीकठाक नहीं है और कुछ न कुछ खटपट तो है। पार्टी के कई नेता अपनी ही सरकार के खिलाफ अब खुल कर बोलने लगे हैं तो कई नेता बस बंद कमरों में ही इस पर चर्चा कर रहे हैं या फिर टिप्पणी करते दिख रहे हैं। सबसे अहम तस्वीर यह है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बीते कई हफ्तों से प्रदेश सरकार की कैबिनेट मीटिंग में नहीं शामिल हो रहे। इसी के साथ लोकसभा चुनाव में हार का सामना करने वाले पार्टी के दिग्गज उम्मीदवार विधायकों को बुरा भला कहते हुए निशाने पर ले रहे हैं जबकि निशाने पर आए ऐसे पार्टी विधायकों ने उन हारे हुए उम्मीदवारों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे अधिक उम्मीदें यूपी से थीं, लेकिन पार्टी की 29 सीटें यहां कम हो गईं। उसके बाद से संगठन और सरकार में हार की समीक्षा का दौर जारी है कि आखिर पार्टी का प्रदर्शन इतना खराब क्यों रहा ? इसके कारण तलाशे जा रहे हैं। अब रविवार 14 जुलाई को लखनऊ में होने वाली प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में इस पर होने वाली चर्चा से पहले खुलकर नाराजगी वाले सुर इतने तेज हुए हैं कि बाहर सुनाई पड़े हैं।
प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में हार के कारणों और नई रणनीति पर होगा मंथन
लोकसभा चुनाव में निराशा जनक प्रदर्शन के बाद हार के कराणों की तलाश की जिम्मेवाली संभालने वाले भाजपा के 40 नेताओं के टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट बंद लिफाफे में शीर्ष नेतृत्व को सौंप दी है। सीएम योगी आदित्यनाथ भी लगातार विधायकों से फीडबैक से रहे हैं, लेकिन अब तक किसी की जवाबदेही तय नहीं हुई है। माना जा रहा है कि बीच रविवार को लखनऊ में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में इस पर तस्वीर साफ हो सकती है। राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष पिछले हफ्ते लखनऊ के दौरे पर थे और तभी प्रदेश कार्यकारिणी का एजेंडा तय हो गया था। पहले तय था कि बैठक में मंडल अध्यक्षों को भी बुलाया जाएगा (यूपी में 1918 मंडल अध्यक्ष हैं), लेकिन बाद में ये फैसला बदल दिया गया। अब तय कार्यक्रम के मुताबिक, प्रदेश कार्यकारिणी में मंडल अध्यक्ष नहीं बुलाए जाएंगे। बैठक में सभी सांसदों, विधायकों और लोकसभा उम्मीदवारों के साथ ही पार्टी पदाधिकारियों को बुलाया गया है।
जौनपुर के बदलापुर विधायक रमेशचंद मिश्रा ने जारी किया नाराजगी भरा वीडियो संदेश
उत्तर प्रदेश में भाजपा के दो नेताओं के नाराजगी वाले सुर में दिए गए बयान से पूरा मामला अचानक सुर्खियों में आया है। जौनपुर की बदलापुर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक रमेशचंद्र मिश्रा के वीडियो संदेश ने राजनीति में हलचल बढ़ा दी है। इसी बयान पर सियासी भूचाल आ गया है। भाजपा विधायक के वीडियो संदेश के बाद राजनीति शुरू हो गई है। बदलापुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक रमेशचंद्र मिश्रा ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि केंद्र सरकार को कुछ बड़े फैसले लेने होंगे, तभी 2027 में भाजपा की यूपी में सरकार बन सकेगी। पीडीए ने जो भ्रम फैलाया है, उससे भाजपा की स्थिति खराब है। सपा ने पीडीए के जरिये जो भ्रम फैलाया है, उसकी काट अभी से ढूंढनी होगी। सीएम को मंत्रियों के साथ बैठक करके इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए। यह वीडियो चार दिन पुराना बताया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं था। जौनपुर की बदलापुर विधानसभा सीट पर भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। अब दो बार के विधायक रमेश मिश्रा का वीडियो सामने आया है। विधायक ने कहा कि – ‘यूपी के अधिकारी मनबढ़ हो गए हैं। वे जनता की नहीं सुन रहे हैं। जनप्रतिनिधियों का सम्मान भी नहीं बचा है। सब मनमानी पर उतारू हैं, इसलिए वीडियो संदेश के जरिये अपनी बात कहनी पड़ी है। अधिकारियों का मनोबल तोड़ने की जरूरत है’। विधायक रमेश चंद के अतीत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक और मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह आदि के साथ अलग-अलग निजी या सियासी कार्यक्रमोें में फोटो और वीडियो खूब सुर्खियों में रहे हैं। वह अपने तीखे तेवरों के लिए जाने जाते हैं और जनहित में कई बार एसडीएम और पुलिस वालों की सरेआम क्लास लगाने से नहीं चूकते।
जिला प्रभारी कौशलेंद्र सिंह की मौजूदगी में जमकर बरसे पूर्व मंत्री मोती सिंह
इसी क्रम में वरिष्ठ भाजपा और पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह का भी नाराजगी भरा बयान प्रतापगढ़ के पट्टी से सामने आया है। वाराणसी के पूर्व मेयर और जिला प्रभारी कौशलेंद्र सिंह पटेल की मौजूदगी में पूर्व मंत्री ने सरेआम पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच अपनी ही सरकार में अफसरों के काम-काज पर नाराजगी जताई। बोले कि- ‘मुझे कहने में ये संकोच भी नहीं है कि मेरे राजनीतिक जीवन के 42 सालों में तहसील और थानों में ऐसा भ्रष्टाचार न सोच सकते थे…न देख सकते थे, वो अकल्पनीय है। जिलों में बिजली थाने खुल गए हैं, एक बल्ब हमने घर में ज्यादा जला लिया, तुरंत बिजली थाने वाले पहुंच जा रहे हैं। मुकदमा लिखने की धमकी देकर वसूली कर रहे हैं। क्या हम अपराधी हैं। कार्रवाई कर दे रहे हैं।‘ प्रतापगढ़ से पूर्व मंत्री का अपनी ही पार्टी के शासन काल में अधिकारियों के मनमानेपन वाले रवैए पर जाहिर नाराजगी जहां भाजपा नेतृत्व को जिला से लेकर प्रदेश और केंद्रीय स्तर पर असहज करने वाला है, वहीं प्रतिपक्षी सपा के लिए सकून देने वाला है। बीते मार्च माह में एक कार्यक्रम के दौरान सपा मुखिया अखिलेश यादव संग इन्हीं पूर्व मंत्री मोती सिंह के शामिल होकर साथ में फोटो शूट कराने को लेकर भी सियासत गरमाई थी कि भगवा खेमे में समाजवादी सेंधमारी की तैयारी है लेकिन वैसा कुछ हुआ नहीं।
अखिलेश बोले – ‘यूपी में भाजपा की हालत खराब, नहीं पीडीए की रणनीति का जवाब’
भाजपा में जारी झगड़े का मजा लेते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने दमदार अंदाज में बयान जारी किया है। कहा है – ‘भाजपा की आम जनता का शोषण करने वाली, समाज को तोड़ने वाली नकारात्मक राजनीति के पास पीडीए की पॉजिटिव पॉलिटिक्स का कोई जवाब नहीं है। इसीलिए भाजपा के अपने ही लोगों में हड़बड़ाहट है। पीडीए ही भाजपा के अंदर-बाहर भगदड़ का कारण बन रहा है। भाजपा के तथाकथित सहयोगी भी या तो किसी बहाने से भाजपा से बाहर आना चाहते हैं या वैचारिक दूरी दिखाना चाहते हैं। कोई चिट्ठी को माध्यम बना रहा है, कोई अपनी नाराजगी भरे बयान को और कोई अंदरूनी जनप्रतिनिधि ऐसे किसी वीडियो को। भाजपाई खेमे की चिंता सिर्फ यूपी के 2027 के चुनाव हारने की ही नहीं है, बल्कि भविष्य का हर चुनाव हारने की है। पीडीए एक नव जागरण है। आज की जागरूक जनता में जो नयी सामाजिक-आर्थिक चेतना आ गयी है, उसी का नाम पीडीए है। पीडीए वर्तमान के पटल पर सामाजिक अखंडता के नये भविष्य का उद्घोष है’।
सपा मुखिया बोले – ‘सौहार्द का नया इतिहास रचेगी पीडीए, भाजपा में मची भगदड़’
सोशल मीडिया पर वायरल पूर्व मंत्री के बयान पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने ट्वीट कर तंज भी कसा है। अखिलेश यादव ने इसी में कहा कि ‘भाजपा राज में तहसील व थाने के अभूतपूर्व रिकार्ड तोड़ भ्रष्टाचार पर भाजपा के लोग ही जब प्रमाण पत्र बांट रहे हैं तो इस अकल्पनीय भाजपाई भ्रष्टाचार पर कार्रवाई के लिए और कोई सुबूत चाहिए। अब देखते हैं बुलडोजर किस ओर मुड़ता है।‘ इसे लेकर सियासी माहौल गरमा गया है। सोशल मीडिया पर सपा मुखिया ने आगे लिखा है कि पीडीए के कारण भाजपा में भगदड़ मची है। अब तक तो भाजपा के अंदर की बातें बाहर नहीं निकलती थीं लेकिन अब उनकी लड़ाई सड़क पर आ गई है। पीडीए सकारात्मक सौहार्द का नया इतिहास लिखने वाली है। इसी क्रम में अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की पीडीए वाली नीति की खूबियों को जिक्र करते हुए लिखा है – ‘पीडीए आम जनता को उसका हक़ दिलवानेवाली, आम जनता का कल्याण करने वाली, शोषण-उत्पीड़न से आम जनता की रक्षा करने वाली, संविधान व आरक्षण को बचाने वाली, पिछड़े-दलितों-अल्पसंख्यकों-आदिवासियों-आधी आबादी और अगड़ों में भी उत्पीड़ितों को प्रभुत्ववादियों के अत्याचार से बचाने वाली, किसान, मज़दूर, महिला, युवा, कारोबारी, नौकरीपेशा, दुकानदारों और बाक़ी सबका भी ख़्याल रखनेवाली, समाज के हर वर्ग और तबके को जोड़ने वाली, सामुदायिक राजनीति का नया युग शुरू करने वाली, सामाजिक सौहार्द, एकता, भाईचारे को एक सूत्र पिरोने वाली एवं सकारात्मक राजनीति का नया इतिहास लिखने वाली नीति है’।