डिजीटल डेस्क : Hathras Affect – रांची के एक संत समेत 112 संतो से अखाड़ा परिषद ने किया जवाब तलब, 13 महामंडलेश्वरों को किया बाहर। गत दिनों हुए पश्चिमी यूपी के हाथरस में सत्संग के दौरान हुए हादसे में 121 श्रद्धालुओं की हुई मौत के बाद हिंदू सनातन धर्म और साधु-संतों के सर्वोच्च संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद पूरी तरह एक्शन मोड में है। महाकुंभ 2025 के भव्य आयोजन में कहीं किसी स्तर पर अनहोनी या गड़बड़ी की आशंका न रहे और समय रहते हर आशंका को निर्मूल करने के क्रम में अखाड़ा परिषद ने काफी कड़ा कदम उठाया। साधु- संतों के लिए परिषद की ओर से तय मानकों का उल्लंघन और अनदेखी करने वाले रांची के एक संत समेत कुल देश के कुल 111 संतों से जवाब तलब किया गया है। साथ ही 13 महामंडलेश्वरों को परिषद ने बाहर का रास्ता दिखाते हुए निष्कासित कर दिया है।
30 सितंबर तक जवाब न देने वालों को महाकुंभ 2025 में नहीं मिलेगा प्रवेश
रांची समेत देश भर के जिन 112 साधु-संतों से जवाब तलब किया गया है, उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए 30 सितंबर तक की मोहलत दी गई है। संतोषजनक जवाब न दे पाने वाले साधु-संतों को वर्ष 2025 के महाकुंभ में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि रांची के एक संत के अलावा नासिक के 8, उज्जैन और हरिद्वार के 6, द्वारिका के 10, जूना अखाड़े से 54, निरंजनी से 24, निर्मोही अखाड़े से 34 संतों को नोटिस जारी किया गया है। इस नोटिस जो कोई साधु संत जवाब नहीं देगा या संतोषजनक जवाब नहीं देता है, उसके खिलाफ अखाड़ा परिषद की ओर से कार्रवाई की जाएगी। इन साधु संतों को ना केवल संत समाज से बाहर किया जाएगा, बल्कि 2025 में लगने वाले महाकुंभ में उन्हें प्रवेश भी नहीं मिलेगा।
हाथरस कांड के बाद अखाड़ा परिषद ने कराई जांच, अब 13 महामंडलेश्वरों को किया निष्कासित
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से इस बारे में जानकारी साझा करते हुए बताया गया कि हाथरस की घटना में पता चला कि भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि ने खुद को स्वयंभू घोषित कर लिया था। उस प्रकरण को परिषद ने तुरंत काफी गंभीरता से लिया और अखाड़ा परिषद ने कई संतों की गोपनीय जांच कराई। इसी जांच में कई संत मानकों पर खरे नहीं उतरते नहीं मिले और उनकी कार्यप्रणाली भी सनातन धर्म व अखाड़े की रीति-नीति के खिलाफ मिली है। उसे ही आधार मानकर अखाड़ा परिषद ने फिलहाल देश के 13 महामंडलेश्वरों का परिषद से निष्कासन करते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष व अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्र दास के मुताबिक, निष्कासित हुए महामंडलेश्वरों में जैनेंद्र दास, चेन्नई के महामंडलेश्वर हरेंद्रानंद ,अहमदाबाद के महंत रामदास, उदयपुर के महंत अवधूतानंद, कोलकाता के महंत विज्येश्वर दास और मंदाकिनी पुरी शामिल हैं।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने ये जानकारियां भी की साझा..
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद पुरी ने परिषद की ताजा कार्रवाई को रूटीन बताया लेकिन कहा कि महाकुंभ 2025 से पहले हाथरस सरीखे कांड के सामने आने पर सतत सजगतापूर्ण कार्रवाई की पहल की गई है। महंत पुरी ने आगे कहा कि अखाड़े से जुड़े संतों को दोषमुक्त रखने के लिए हर दो से तीन साल में सभी महामंडलेश्वरों, मंडलेश्वरों, महंतों, श्रीमहंतों की कार्यप्रणाली की गोपनीय जांच कराई जाती है और जांच की जिम्मेदारी भी अखाड़े के ही पदाधिकारी निभाते हैं। जिन साधु संतों की कार्यप्रणाली संदिग्ध मिलती है, उन्हें अखाड़ा परिषद की ओर से नोटिस जारी कर जवाब तलब किया जाता है। जवाब मिलने पर उसकी विवेचना कर गुण दोष के आधार पर उन्हें चेतावनी दी जाती है या फिर उन्हें अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाता है। महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि संत का काम धार्मिक तत्वों को बढ़ावा देना है, ना कि खुद को ईश्वर के समान महिमा मंडित करना। इसके अलावा यह भी देखा जाता है कि संत की सामाजिक कार्य में सक्रियता कितनी है। इसी क्रम में यह भी देखा जाता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि धनार्जन के लिए ठेकेदारी अथवा दलाली तो नहीं शुरू कर दी।