Saturday, October 25, 2025
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Kairo : पुल क्षतिग्रस्त होने से आवागमन बाधित, ग्रामीणों में भारी आक्रोश

Kairo : जिला अंतर्गत कैरो थाना क्षेत्र के खरता पुल के क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है। पुल के टूट जाने से क्षेत्र का आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है, जिससे आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।Kairo : पुल क्षतिग्रस्त होने से आवागमन बाधित ग्रामीणों ने बताया कि यह पुल कैरो प्रखंड को कई गांवों से जोड़ने वाला प्रमुख संपर्क मार्ग है। इसके क्षतिग्रस्त होने से स्कूली बच्चे, मरीज, किसान और व्यापारी सभी प्रभावित हैं। वाहन तो दूर, अब पैदल पार करना भी जोखिम भरा हो गया है।Kairo : ग्रामीणों में भारी...

सतीश शाह : हँसी के जादूगर का अंत, लेकिन उनकी यादें अमर रहेंगी

मुंबई, 25 अक्टूबर 2025: भारतीय सिनेमा और टेलीविज़न की दुनिया में अपनी अनोखी हास्य-शैली से दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाले दिग्गज अभिनेता सतीश शाह अब हमारे बीच नहीं रहे। 74 वर्ष की आयु में उन्होंने मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में अंतिम साँस ली। बताया जा रहा है कि वे कुछ समय से किडनी से जुड़ी जटिलताओं से जूझ रहे थे। उनके निधन की खबर ने पूरे मनोरंजन जगत और प्रशंसकों को स्तब्ध कर दिया। हास्य कलाकारों की नई पीढ़ी के लिए सतीश शाह एक जीवित प्रेरणा थे — जिन्होंने कॉमेडी को क्लास में बदल दिया।सतीश शाह का अभिनय...

नीतीश में गृह जिले में गरजे शाह, कहा- आपने 20 साल तक आशीर्वाद दिया है, एक और 5 साल आशीर्वाद दीजिए

नालंदा : बिहार विधानसभा चुनाव के सिलसिले से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खगड़िया और मुंगेर के बाद सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में चुनावी सभा में गरज रहे हैं। उन्होंने कहा कि नालंदा की पावापुरी में ही 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने निर्वाण की प्राप्त की थी। यहीं पर नालंदा का विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय कुमारगुप्त ने बनाया था। जिसको 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने जला दिया था। जब बख्तियार खिलजी ने नालंदा विद्यापीठ जलाई, तब इसके पुस्तकालय से छह माह तक पुस्तकों के जलने का धुआं उड़ता रहा था। ये विनाश का काम बख्तियार खिलजी...

Big Decision : योगी सरकार ने यूपी में पारित किया नजूल भूमि पर विधेयक, पुराने मनमाने आवंटन पर लगेगा अंकुश

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जनार्दन सिंह  की  रिपोर्ट

डिजीटल डेस्क : Big Decisionयोगी सरकार ने यूपी में पारित किया नजूल भूमि पर विधेयक, पुराने मनमाने आवंटन पर लगेगा अंकुश। यूपी विधानसभा में जारी मानसून सत्र के तीसरे दिन फिर सत्तारूढ़ सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार नया विधेयक सदन में पेश कर उसे भारी शोरशराबे और हंगामे के बीच ध्वनिमत से पारित कराया। यह विधेयक नजूल भूमि के प्रबंधन और उपयोग संबंधी है। करीब 14 पेज के इस विधेयक को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से सदन में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने पेश किया। इस पर नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय से पहले कुंडा विधायक राजा भैया के अलावा सत्ताधारी दल भाजपा के ही विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी और सिद्धार्थनाथ सिंह ने भी ऐतराज जताया लेकिन सबसे बुलंद तरीके से विधेयक की खामियों और गोलमोल बातों पर राजा भैया ने सदन में बातें रखीं।

सुरेश खन्ना बोले – अभी तक नहीं थी नजूल संपत्ति की परिभाषा

सदन में नजूल भूमि विधेयक को पेश करते हुए वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि यह विधेयक काफी सीमित पन्नों का है लेकिन व्यापक लोकहित में है। अभी तक नजूल भूमि को लेकर सरकारी तौर पर कोई स्पष्ट परिभाषा या व्याख्या उपलब्ध नहीं है लेकिन इस विधेयक से इस बारे में सभी बातें साफ हो जाती हैं। विधेयक को बनाने के क्रम में पता चला कि अंग्रेजों के जमाने में स्वतंत्रता सेनानियों से जब्त की गई संपत्तियां, भूभाग आदि ही नजूल की श्रेणी में हैं। इसके आवंटन, उपयोग आदि के बारे में अभी तक कोई न तो विधि सम्मत नीति बनी है और ना है। समय-समय पर उसके आवंटन आदि होते रहे हैं। लेकिन अब नए विधेयक से सब परिभाषित है और नजूल भूभाग अब से पूरी तरह सरकारी होगा एवं इस पर किसी व्यक्ति या इकाई का को एकाधिकार या कब्जा नहीं रहेगा।

नजूल भूमि संबंधी विधेयक का उद्देश्य भी सरकार ने स्पष्ट किया

विधानसभा में पेश और पारित नजूल भूमि संबंधी विधेयक पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में कहा कि इसके पीछे एक ही उद्देश्य है कि सार्वजनिक कार्य और विकास कार्य के लिए इस सरकारी भूभाग का इस्तेमाल करना एवं उसी क्रम में समय और धन दोनों की बचत करना। अब तक किसी भी नए विकास कार्य के लिए परियोजना बनने के बाद भूभाग के अधिग्रहण करने में समय लगता है और उसे अर्जन करने के क्रम में सरकार को वित्तीय भुगतान करना होता है। लेकिन इस विधेयक के होने से अब संबंधित क्षेत्रों में सरकार अपने उपलब्ध नजूल भूभाग का उपयोग विकास और सार्वजनिक काम में कर सकेगी। इसमें राजस्व, सिंचाई और वन विभाग के भूभाग शामिल नहीं होंगे या हैं।

खन्ना बोले – आवंटित नजूल भूभाग को मुआवजा देकर वापस अर्जित करेगी सरकार

सदन में विधेयक पेश करते हुए संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि अब तक आवंटित हो चुके नजूल की श्रेणी वाले भूभागों को सरकार वापस अर्जित करेगी और उसके लिए बाकायदा आवंटी को उचित मुआवजा भी देगी। उसका भी ब्योरा विधेयक में विस्तार से उल्लेखित है। जिन्होंने लीज पर नजूल का भूभाग लिया हुआ है और उसके लिए लीज में वर्णित राशि का कुछ किश्त जमा कर दिया है तो उस राशि का एसबीआई के फिक्स डिपाजिट रेट के आधार पर मय ब्याज पूरी राशि आवंटी को सरकार लौटा देगी। जिनके लीज की अवधि समाप्त होने वाली है या हो चुकी है, तो लीज अवधि के समाप्ति वाले तिथि से उस नजूल भूभाग का स्वामित्व जिला मजिस्ट्रेट के पास होगा और आवंटी को तिथि की समाप्ति पर भूभाग सरेंडर करना होगा। नहीं करने की स्थिति पर जिला मजिस्ट्रेट वैसे आवंटी से अपने यहां के लिए तय सर्किल रेट के आधार पर परिसर को खाली कराए जाने तक का किराया वसूलेंगे। इसी क्रम में सुरेश खन्ना ने स्पष्ट किया कि जिन आवंटियों ने नजूल के भूभाग पर कोई निर्माण करा लिया है भवन इत्यादि के रूप में उसका मुआवजा भी अर्जन करते समय सरकार द्वारा संबंधित आवंटी को दिया जाएगा। ऐसे सभी आवंटियों के मामलों की सुनवाई जिला मजिस्ट्रेट अपने यहां करेंगे और हर आवंटी को अपना पक्ष रखने का मौका देंगे। आवंटी की ओर से रखे गए पक्ष को सुनने के बाद भी विधिसम्मत निर्णय लेते हुए नजूल भूभाग पर अग्रिम कार्रवाई के लिए जिला मजिस्ट्रेट अपनी संस्तुति सरकार को प्रेषित करेंगे। जिला मजिस्ट्रेट के निर्णय से असंतुष्ट होने की दशा में संबंधित आवंटी उसके खिलाफ 30 दिनों के भीतर सरकार के पास अपना पक्ष रख सकते हैं ताकि पूरे मामले पर सरकार विस्तार से विमर्श कर फैसला ले सके और आवंटी के साथ कोई अन्याय ना हो।

यूपी विधानसभा में नजूल विधेयक का विरोध करते राजा भैया
यूपी विधानसभा में नजूल विधेयक का विरोध करते राजा भैया

राजा भैया बोले – इस विधेयक से लोग सड़कों पर आ जाएंगे, क्रांति हो जाएगी

नजूल भूभाग के इस्तेमाल संबंधी पेश विधेयक पर कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने सदन में कहा कि ये कौन सा विकास हो रहा है। लाखों लोगों को सड़क पर लाने की कोशिश की जा रही है। इससे क्रांति हो जाएगी। इस व्यवस्था से अव्यवस्था पैदा होगी। विधेयक आकार में छोटा है लेकिन इसके नतीजे काफी व्यापक और गंभीर होंगे। इस विधेयक से न तो सत्ता पक्ष को लाभ होने वाला है और ना ही प्रतिपक्ष को। इस विधेयक को बनाने के लिए जानकारी किन अधिकारियों ने दी है, ये समझ से परे है। काशी, अयोध्या, मेरठ, लखनऊ, बरेली, मेरठ, गोड्डा, बलरामपुर समेत तमाम जिलों में नजूल के भूभाग हैं। ऐसे भूभागों पर अब गांव भी बसे हुए हैं। आबादी वाले उस भूभाग से भूमिधरी कैसे खारिज कर सकते हैं या खत्म कर सकते हैं? बड़ी संख्या में लोग बेघर हो जाएंगे और क्या सरकार लोगों को सड़कों पर लाना चाहती है? इलाहाबाद की बात करें तो वहां सिविल लाइंस में अंग्रेजों के जमाने में वहां सिर्फ वे ही रह सकते थे, कोई सिंधी या अन्य नहीं। लेकिन अंग्रेजों ने अपने लिए उसी इलाके में धोबी, माली, खानसामा आदि को बसाया और वे बरसों से वहीं रहते आ रहे हैं तो क्या उन्हें इस विधेयक को लागू कर उजाड़ देंगे? इलाहाबाद हाईकोर्ट भी नजूल की भूमि पर बना है तो क्या उसे भी खाली करा देंगे? अगर अंग्रेज फ्री होल्ड कर सकते हैं तो ये जनहितकारी सरकार क्यों नहीं कर सकती है?

भाजपा विधायकों ने भी अपनी ही सरकार को घेरा

यूपी विधानसभा में नजूल भूमि विधेयक को लेकर बुधवार को अजब नजारा दिखा। भाजपा विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी और सिद्धार्थनाथ सिंह ने नजूल भूमि विधेयक को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल उठा दिया। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने जब उन्हें टोंका तो विपक्ष ने भी बयानबाजी की। वाजपेयी ने कहा कि आजादी के 75 साल पहले से सौ-सौ वर्षों से लोग यहां रह रहे हैं। पीएम मोदी लोगों को आवास देकर बसा रहे हैं और आप उनके घर गिरा देंगे। उन्होंने कहा कि जो लोग नजूल भूमि पर पहले से रह रहे हैं उसको फ्री होल्ड किया जाए। उन्होंने कहा कि राजा भैया और सिद्धार्थ नाथ सिंह के घर के आसपास 100 मीटर के दायरे में लोग रहते हैं। अधिकारियों ने गलत फीडबैक दिया है।

नजूल भूभाग विधेयक पर बोलते भाजपा विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी
नजूल भूभाग विधेयक पर बोलते भाजपा विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय, आरके वर्मा, अनिल त्रिपाठी आदि ने किया विरोध

नजूल भूमि संबंधी पेश विधेयक के विरोध में सत्ता पक्ष के विधायक की ओर से सवाल उठाए जाने पर और राजा भैया के तीखे अंदाज वाले संबोधन के बाद सपा विधायकों ने भी सधे अंदाज में इसी मुद्दे पर सरकार का विरोध किया। नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय से लेकर आरके वर्मा, अनिल त्रिपाठी, विजमा यादव आदि ने इस पेश विधेयक को पास होने से पहले प्रवर समिति को भेजने की बात की। लेकिन स्पीकर के आसन से इस संबंधी प्रस्ताव मत विभाजन के दौरान ध्वनि मत से खारिज हो गया।

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