डिजीटल डेस्क : Kolkata RG Kar Case – सीबीआई के निशाने पर पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप के होने की हैं कई अहम वजहें, चलाते थे गुंडा राज और सियासी रसूख से तीन बार रुकवा चुके थे अपना ट्रांसफर। कोलकाता निर्भया कांड के रूप में देश और दुनिया में लगातार बीते 10 दिनों से भी ज्यादा समय से सुर्खियों में बने आरजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मेडिकल छात्रा के रेप और मर्डर केस में पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष बुधवार को लगतार छठें दिन सीबीआई के साल्टलेक स्थित सीजीओ कांप्लेक्स के दूसरी मंजिल पर बने पूछताछ कक्ष में हाजिर हुए तो कई सवाल लोगों के मन में कौंधे।
सीबीआई की कार्य प्रणाली को जानने वालों का मामना है कि कुछ न कुछ तो पूरे मामले में अहम सुराग पूर्व प्रिंसिपल के बारे मे इस घटना को लेकर सीबीआई के हाथ लग चुका है जिसकी लगातार डा. संदीप की ओर से सफाई दी जा रही है।
मंगलवार को लगातार पांच दिन की पूछताछ पूरी होने के बाद डॉ. संदीप के जवाबों से सीबीआई असंतुष्ट रही। छठें दिन पूछताछ में फिर अपनी सफाई के पक्ष में दस्तावेजी साक्ष्य लेकर पूर्व प्रिंसिपल हाजिर हुए हैं लेकिन इस बार तेजतर्रार महिला सीबीआई अधिकारी सीमा पाहुजा भी पूछताछ वाली टीम में हैं।
लोगों का मानना है कि जल्द ही चौंकाने वाली कार्रवाई भी सीबीआई की ओर से हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को ही पूरे मामले में अब तक की जानकारी मांगी है।
डॉ. संदीप के एक हजार पन्ने वाले काले चिट्ठे की सीबीआई को मिली भनक !
इसी बीच एक साल पहले इसी आरजी कर अस्पताल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट की ओर से पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग को सुपुर्द किए गए एक हजार पेजों वाले दस्तावेज की चर्चा काफी जोरों पर है। बताया जा रहा है कि कहीं न कहीं उसकी भनक सीबीआई को भी लगी है या उस दस्तावेज में दर्ज ब्योरे सीबीआई को हाथ लग चुके हैं और उसी कारण पूर्व प्रिंसिपल से जारी पूछताछ तनिक लंबी खिंच गई है।
बताया जाता है कि उसी दस्तावेज में एक स्थान पर सीधे तौर पर डॉ. संदीप घोष के बारे में खुलकर लिखा है कि वह आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में में गुंडों का एक गैंग संचालित करते हैं जो बड़े स्तर पर कटमनी के धंधे वाला भ्रष्टाचार करने के साथ ही जबरन वसूली का भी अवैध धंधा चला रहा है।
इसी क्रम में यह भी बात सामने आई है कि पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार में इतनी रसूख वाला हो गया था कि अलग-अलग कारणों से 3 बार जारी हुआ अपना ट्रांसफर आदेश रुकवा दिया था।
आरजी कर परिसर के साथ ही स्वास्थ्य विभाग में भी उसकी तूती बोलती थी। उसके रसूख का आलम यह था कि उसकी जुबान से निकली बात ही आरजी कर परिसर में कानून माना जाता था और उसकी बात को टालने का कोई हिम्मत नहीं जुटाता था।
राज्य सरकार की एसआईटी द्वारा डॉ. संदीप के खिलाफ शुरू जांच पर उठी उंगली
मेडिकल छात्रा के घटी घटना के उजागर होने और तूल पकड़ने के कई दिनों बाद जब पूरा मामला हाथों से बाहर निकल गया तब जाकर डॉ.संदीप घोष के खिलाफ आर्थिक मामलों की जांच के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया गया है।
आरोप लग रहे हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी सरकार और संगठन की साख बचाने को डॉ. संदीप से जुड़े कई तथ्यों को गोलमोल कर उसके खिलाफ कार्रवाई का ढोंग कर रही हैं। हालांकि इस बारे में न तो सत्ता पक्ष और ना ही विपक्ष के लोग ही खुलकर अधिकृत तौर पर कुछ कह रहे हैं। सभी को सुप्रीम कोर्ट में गुरूवार को पेश होने वाली सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट पर है।
इस बीच एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स वेस्ट बंगाल (एएचएसडीडब्ल्यूबी) के महासचिव और ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. उत्पल बंधोपाध्याय ने इस बारे में बताया है कि एक साल पहले आरजी कर अस्पताल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ने एक हजार पेजों का एक दस्तावेज स्वास्थ्य विभाग को जमा किया था।
उसी दस्तावेज में आरोप था कि आरजी कर मेडिकल में गुंडों का एक गैंग है जो बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार कर रहा है और जबरन वसूली का धंधा चला रहा है। उसी दस्तावेज में लिखा था कि यह गिरोह पार्किंग वालों से वसूली करता है और आसपास दुकानों से जबरन वसूली करता है।
अस्पताल के कचरे में भ्रष्टाचार होता है। दवाओं की खरीद-फरोख्त में जबरन वसूली की जाती है। अस्पताल में गुंडा गैंग का राज चलता था। अस्पताल का कोई भी व्यक्ति इनके डर से मुंह नहीं खोल पाता था।
केवल आरजी कर नहीं पूरे बंगाल में डॉ. संदीप के गैंग का चलता था सिक्का !
डॉ. उत्पल बंध्योपाध्याय ने बताया कि आरजी कर गुंडा गैंग पर आरोप है कि वे तय करते थे कि किस विद्यार्थी को पास करना है और किसे फेल करना है। इसके बाद गैंग के सदस्य पैसे लेकर फेल को पास करते थे।
अगर इसमें कोई सीनियर डॉक्टर उनकी बात नहीं मानता था तो पहले उसे धमकाया जाता और फिर उसको दूर-दराज के क्षेत्र में ट्रांसफर करने की धमकी दी जाती। फिर फेल विद्यार्थी को पास करने के लिए गिरोह के सदस्य पैसे लेते थे। ऐसा माहौल आरजी कर अस्पताल में पिछले कुछ वर्षों से जारी है।
डॉ. संदीप घोष के कार्यकाल में यह तेजी से फला-फूला। डॉ. बंदोपाध्याय ने कहा कि आरजी कर कॉलेज में जो यह घटना घटी है, वह इस कॉलेज के लिए कोई अनोखी घटना नहीं है। गुंडों का गैंग जो कुछ आज तक वहां करता आ रहा था, यह उसका नतीजा है। यही नहीं, गैंग केवल आरजी कर मेडिकल कॉलेज तक ही सीमित नहीं है।
गैंग पर आरोप है कि इसके भ्रष्टाचार और जबरन वसूली का दायरा पूरे प्रदेश में है। गैंग पर पश्चिम बंगाल के सारे मेडिकल कॉलेज, प्राइवेट अस्पताल, मेडिकल काउंसिल, पश्चिम बंगाल मेडिकल रेगुलेटिरी कमीशन समेत सभी प्रतिष्ठानों में भ्रष्टाचार करने, दादागिरी करने और जबरन वसूली का आरोप है। परीक्षा को लेकर भ्रष्टाचार करने का आरोप भी गैंग पर बार-बार लगा है।
एएचएसडीडब्ल्यूबी महासचिव ने डॉ. संदीप की भूमिका पर उठाए सवाल
एएचएसडीडब्ल्यूबी महासचिव डॉ. उत्पल बंधोपाध्याय आगे कहते हैं कि डा. संदीप का पूरा ब्योरा राज्य सरकार के पास साल भर से जमा पड़ा है और सभी को कारस्तानी पता है। इसी क्रम में पिछले साल कौन था आरजी कर मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल? डॉ. संदीप घोष। वे पिछले कई वर्षों से कॉलेज के प्रिंसिपल हैं।
इन सबमें संदीप घोष का रोल क्या है? डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ने राज्य सरकार को सौंपे एक हजार पेज के दस्तावेज सब बता दिया था। इसी क्रम में डॉ. उत्पल आगे कहते हैं कि आखिर मौजूदा घटना के साथ डॉ.संदीप वाले गैंग का क्या संबध है ?
गौर करिए कि जिस दिन यह घटना घटी, उस दिन क्या-क्या हुआ ? कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी पूछा था कि घटना के बाद संदीप घोष ने मामला दर्ज क्यों नहीं कराया? हाईकोर्ट के इस टिप्पणी के बड़े गूढ अर्थ है कि संदीप घोष ने पीड़ितों का सहयोग नहीं किया, पीड़िता के माता-पिता के साथ सही व्यवहार नहीं किया है।
एएचएसडीडब्ल्यूबी महसाचिव बोले – मामले में हो रही सियासत, सच्चाई अभी परदे में है, जिम्मेदारी से नहीं बच सकतीं सीएम
आरजी कर मामले में अब तक के घटनाक्रम पर एएचएसडीडब्ल्यूबी महसाचिव ने एक अहम पहलू सामने रखा। डॉ. उत्पल ने कहा कि दुनिया में ऐसा कुछ नहीं है, जो राजनीति से परे हो और आरजी कर मामला भी उससे अछूता नहीं।
इसी बात से अंदाजा लगा लीजिए कि डॉ.संदीप घोष ने घोषणा की कि वे नौकरी छोड़ रहे हैं लेकिन उसी शाम को उनको दूसरे मेडिकल कॉलेज में नियुक्ति मिल गई जिसकी घोषणा खुद स्वास्थ्य मंत्री और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ही की थी। ह
म यह नहीं कह रहे हैं कि संदीप घोष का मुख्यमंत्री के साथ कोई संबंध है लेकिन जो घटनाएं लगातार एक के बाद एक घटीं, उसमें पुलिस विभाग और स्वास्थ्य विभाग का नकारापन सीधे तौर पर सामने आया तो क्या उसकी जिम्मेदारी पुलिस मंत्री या स्वास्थ्य मंत्री का काम देख रहीं सीएम ममता बनर्जी को नहीं लेनी चाहिए ?
हमारी एसोसिएशन ने मांग की है कि स्वास्थ्य मंत्री और पुलिस मंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। एएचएसडीडब्ल्यूबी महसाचिव डॉ. उत्पल ने कहा कि हम चाहते हैं कि जितने भी आरोप संदीप घोष और उनके गैंग पर लगे हैं और जो लोग उनसे जुड़े हैं, सभी को जांच के दायरे में लाया जाए। पूरी जांच होनी चाहिए। तभी सच्चाई सामने आ पाएगी।
डॉ. उत्पल ने इसी क्रम में एक और अहम बात कही कि इस मामले में जिसे आरोपी बताकर रिमांड में लिया गया है, उसने शराब पी रखी थी और क्या शराबी या एक आदमी ऐसा कर सकता है? क्या यह संभव है ? डॉ. उत्पल ने कहा कि हमें सीबीआई, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। उम्मीद है कि जांच में सच्चाई सामने आएगी।
घटना के बाद अस्पताल घटे वारदातों पर भी एएचएसडीडब्ल्यूबी पदाधिकारी ने उठाए सवाल
एक राष्ट्रीय दैनिक से खास बातचीत में एएचएसडीडब्ल्यूबी महासचिव डॉ. उत्पल बंधोपाध्याय ने कहा कि जिस दिन यह घटना घटी, उसके बाद आरजी कर कॉलेज में बाहर से कुछ डॉक्टर आए थेजो न आरजी कर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर थे औऱ ना ही उनका हेल्थ सर्विस से कोई लेना देना था।
सवाल उठना लाजिमी है कि वे कौन थे ? उनको अस्पताल में किसने आने दिया? अब उसी पर लोग आरोप लगा रहे हैं कि उन लोगों ने सबूतों को मिटाने का काम किया। यही नहीं, जिस जगह पर छात्रा के साथ आखिरी क्षणों में सारी घटना घटी वहां मरम्मत के नाम पर उसके आस पास के कमरों की दीवारों में तोड़-फोड़ की गई।
आखिर घटनास्थल के आसपास इस तोड़-फोड़ का फैसला किसने लिया? इसे तोड़ने का आदेश राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी और कुछ डॉक्टरों ने लिया था और वे डॉक्टर वो थे जिनका आरजी कर और स्वास्थ्य विभाग का कोई लेना देना नहीं था।
ताज्जुब की बात देखिए कि अस्पताल के इंजीनियर घटनास्थल वाली दीवार को तोड़ने के पक्ष में नहीं थे लेकिन उनको तोड़वाने वाले डॉक्टरों ने बोला कि हम आदेश ले आएंगे और बाद में उस संबंधी आदेश ले भी आया गया।
डा. संदीप के गैंग पर अश्लील फिल्म शूट करवाने का भी इल्जाम, स्वास्थ्य और पुलिस विभाग पर तथ्यों को छुपाने का आरोप
एएचएसडीडब्ल्यूबी महासचिव यहीं नहीं रुके। इसी खास बातचीत में उन्होंने कहा कि एएचएसडीडब्ल्यूबी भी सवाल उठा रहा हैं कि आखिर इतनी जल्दबाजी क्यों थी ? इतना जरूरी क्या था ? अभी-अभी जब वहां पर इतनी बड़ी घटना घटी है तो क्राइम सीन के आसपास की चीजों को तो ठीक-ठाक रखना चाहिए।
आखिर इसे तोड़ने की इतनी जल्दबाजी क्यों हुई ? कितने ही सवाल खड़े होते हैं ? क्या कॉलेज के प्रिंसिपल की जानकारी के बिना यह सब कुछ हो सकता है ? इन सभी चीजों को देखकर केवल हमारे मन में ही नहीं बल्कि सारे बंगाल और देश के लोगों के मन में आ रहा है कि कुछ तो काला है और जरूर कुछ छिपाया जा रहा है।
स्वास्थ्य और पुलिस विभाग कुछ छिपाना चाहता है। लोगों को लग रहा है कि सबूतों को नष्ट किया जा रहा है। जिस तरह का रवैया अब तक देखा गया है उससे लोगों को लगने लगा है कि पुलिस विभाग, स्वास्थ्य विभाग और दूसरे विभाग इस जांच को दूसरी दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं एवं लोग इससे खुश नहीं हैं।
इसीलिए यह आंदोलन अब केवल डॉक्टरों का ही आंदोलन नहीं है बल्कि यह जनांदोलन बन चुका है। जिस तरह की घटना आरजी कर मेडिकल कॉलेज में घटी है, ऐसी घटना तो दुनिया में कभी नहीं हुई है। ड्यूटी रूम में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या कर दी गई।
पूरे मामले में एक बड़ा आरोप तो एएचएसडीडब्ल्यूबी के पदाधिकारियों तक पहुंचा है कि डॉ. संदीप और उसके गैंग के लोग अश्लील फिल्में बनाते थे जिसे सुन कर डॉक्टरी पेशे में शामिल लोग भी आश्चर्यचकित हैं और शर्मिंदगी महसूस करने लगे हैं कि मेडिकल संस्था में यह सब कुछ क्या हो रहा है।