हजारीबाग: हजारीबाग जेल से फरार हुए कैदी शाहिद अंसारी को मंगलवार की रात गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया गया। शाहिद ने जेल से भागने के लिए एक हवलदार की हत्या की थी। उसकी गिरफ्तारी गाजियाबाद में उसके रिश्तेदार के घर से की गई है। पुलिस ने इस मामले में शमीम अंसारी नामक एक सहयोगी को भी गिरफ्तार किया है, जो गिरिडीह का निवासी है और शाहिद को फरार होने में मदद कर रहा था।
पुलिस ने बताया कि शाहिद अंसारी, जो पहले से ही हत्या और पॉक्सो एक्ट के तहत जेपी कारा में सजा काट रहा था, ने जेल से भागने की योजना पांच महीने पहले बनाई थी। जेल में उसकी दोस्ती गिरिडीह के अपराधी शमीम अंसारी से हुई थी। शमीम अंसारी की जमानत मिलने के बाद, दोनों ने योजना पर काम करना शुरू किया।
25 जुलाई को शाहिद ने खुद को बीमार बताकर हजारीबाग अस्पताल रेफर होने का बहाना बनाया। 11 अगस्त की रात, उसने हजारीबाग अस्पताल के कैदी वार्ड में तैनात हवलदार चौहान हेंब्रम की हत्या कर दी और फरार हो गया। पुलिस की जांच में पता चला कि शाहिद ने भागने से पहले और बाद में शमीम अंसारी और गिरिडीह की एक महिला से संपर्क किया था।
पुलिस ने शाहिद के कॉल डिटेल्स की जांच की, जिसके आधार पर शमीम अंसारी का पता चला। शमीम अंसारी ने शाहिद की मदद के लिए उसे मोबाइल दिया, जिसे उसने भागने के दौरान फेंक दिया था। पुलिस ने ईएमआई नंबर के जरिए मोबाइल का पता लगाया और गाजियाबाद पहुंची। इस बीच, शाहिद ने दिल्ली जाने के लिए ट्रेन पकड़ी और अपना मोबाइल नंबर बदल लिया था।
एसपी अरविंद कुमार सिंह ने इस मामले की जांच के लिए 7 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। टेक्निकल सेल की मदद से एसआईटी ने अपराधी की गिरफ्तारी सुनिश्चित की। शाहिद अंसारी ने जेल से भागने के लिए बदलापुर फिल्म का तरीका अपनाया, जिसमें हीरो जेल में पैर की बीमारी का बहाना बनाता है। शाहिद ने भी इसी तर्ज पर जेल में बीमारी का बहाना बनाकर हजारीबाग अस्पताल में एमआरआई कराई, जिसमें कोई बीमारी नहीं निकली।
इस प्रकार, शाहिद अंसारी को गाजियाबाद से पकड़कर पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है और उसे पुनः न्याय के हवाले कर दिया गया है।