डिजीटल डेस्क : Supreme Decision – बुलडोजर एक्शन कानून के खिलाफ, सुप्रीम कोर्ट बनाएगा दिशानिर्देश। तीन राज्यों में बुलडोजर एक्शन के मामले में सोमवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने सवाल उठाया है कि आपराधिक कानून में किसी आरोपी के खिलाफ बुलडोजर एक्शन कैसे लिया जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कानून के खिलाफ है। पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई अगले सोमवार को होगी और सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में दिशानिर्देश जारी करेगा जिसे सभी राज्यों को मानना होगा।
सॉलिसिटर जनरल बोले – दोषी करार देने के बाद भी नहीं हो सकता बुलडोजर एक्शन
सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि सिर्फ म्यूनिसिपल कानून में ही बुलडोजर एक्शन का प्रावधान है। कोर्ट ने सवाल किया कि क्या आपराधिक कानून के तहत किसी आरोपी के खिलाफ बुलडोजर एक्शन लिया जा सकता है?
इस पर जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि आपराधिक कानून में दोषी करार देने के बाद भी बुलडोजर एक्शन नहीं लिया जा सकता है। उन्होंने कोर्ट से वक्त मांगा, जिसके बाद बेंच ने कहा कि वो मामले की सुनवाई अगले सोमवार करेंगे।
इससे पहले कोर्ट ने उनसे सवाल किया कि अगर कोई आरोपी है, महज़ इस आधार पर बुलडोजर एक्शन कैसे लिया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कानून के खिलाफ है और हम इसे लेकर निर्देश जारी करेंगे साथ ही तमाम राज्यों को नोटिस भी जारी करेंगे।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है याचिका
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने हाल ही में यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई घटनाओं का हवाला देते हुए बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। जमीयत ने अपनी इस याचिका में अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया है।
याचिका में आरोपियों के घरों पर सरकारों द्वारा बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने की मांग की गई और कहा गया कि गत मई में मध्य प्रदेश में एक आरोपी के पिता की संपत्ति पर बुलडोजर चलवाया गया और वह भी घटना के कुछ घंटे के भीतर। इस तरह कानूनी प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही सरकार ने उसे सजा दे दी।
जमीयत की ओर से पेश हुए वकील दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि बुलडोजर एक्शन के जरिए सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ही निशाना बनाया जा रहा है, लिहाजा इन मामलों में तत्काल रोक लगाने की जरूरत है।
मध्यप्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और बरेली में 22 और 26 जून को दो केस में नामजद आरोपियों की 6 संपत्तियों पर बुलडोजर चला दिया गया।
वहीं, राजस्थान के उदयपुर में प्रशासन और वन विभाग की टीम ने आरोपी राशिद खान का घर गिरा दिया। राशिद के 15 साल के बेटे पर स्कूल में अपने सहपाठी को चाकू से गोदने का आरोप था।
सुप्रीम कोर्ट में इस केस में केंद्र सरकार और राज्यों को बनाया गया पक्षकार
सुप्रीम कोर्ट में दायर इस याचिका में केंद्र सरकार और राज्यों को पक्षकार बनाया गया है। कहा गया कि आरोपियों के खिलाफ वाजिब कानूनी कार्यवाही के बजाय उनके घरों को बुलडोजर से ढहाया जा रहा है।
यह पूरी तरह से गैरकानूनी और मनमाना रवैया है, जिसे अंजाम देकर अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।
बता दें कि हाल ही में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने यूपी के मैनपुरी में शहीद स्मारक स्थल पर बुलडोजर चलाने को लेकर योगी सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया था।
सपा मुखिया ने कहा था कि भाजपा की सियासत शहीदों में भी भेदभाव करने लगी है। शहीद मुनीश यादव के स्मारक स्थल को राजस्व टीम ने बुलडोजर चलवा दिया था।