मंजेश कुमार40 Days 40 Days 40 Days
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पटना: एक तरफ बिहार की सरकार राज्य में क्राइम कंट्रोल और आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ विपक्ष लगातार सरकार पर क्राइम को लेकर हमलावर है। बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव तो समय समय पर बिहार में क्राइम बुलेटिन भी जारी करते रहते हैं।
बिहार में लूट, हत्या समेत अन्य आपराधिक घटनाओं को लेकर पक्ष विपक्ष एक दूसरे के आमने सामने है। एक तरफ एनडीए के नेता विपक्षी नेताओं को 1990 से 2005 के दौर की याद दिलाते हैं तो दूसरी तरफ विपक्ष के नेता लालू-राबड़ी शासनकाल से अधिक क्राइम का दावा कर रहे हैं। बिहार की वर्तमान स्थिति की बात करें तो लगभग प्रत्येक दिन राज्य के लगभग सभी जिलों में कुछ न कुछ आपराधिक घटनाएं घट रही है। पुलिस मामलों में कार्रवाई का दावा भी करती है और अपराधियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भी भेजती है लेकिन क्राइम की घटनाओं में कमी नहीं देखी जा रही है।
कहा जाता है कि देश में सबसे अधिक सुरक्षित अगर कोई होता है तो वह हैं राजनीतिक दलों से जुड़े लोग यानि नेता। लेकिन एक अगस्त से लेकर 9 सितंबर तक 40 दिनों में राज्य 7 राजनीतिक व्यक्ति की हत्या हो चुकी है जबकि तीन सांसदों को धमकी भी मिली है। अब ऐसे में विपक्ष का सरकार पर हमलावर होना लाजिमी है।
ट्रिपल सी से समझौता नहीं
वर्ष 2005 में सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि वे राज्य में सुशासन की स्थापना करेंगे और जंगलराज को खत्म करेंगे। उन्होंने सीधे तौर पर कहा था कि हम कभी भी तीन ‘C’ से समझौता नहीं करेंगे। नीतीश कुमार के तीन ‘C’ का मतलब था, क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज़्म। हालांकि नीतीश कुमार के घोषणाओं का असर भी बिहार में दिखा और अपराध में कमी जरूर आई। लेकिन पिछले कुछ दिनों से बिहार में आपराधिक घटनाओं को देख कर एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली कटघरे में दिखाई देती है।
40 दिन और 7 नेताओं की हत्या
बात करें पिछले चालीस दिनों की यानि एक अगस्त से 9 सितंबर तक की तो बिहार में राजनीतिक दलों से जुड़े 7 नेताओं की हत्या हो चुकी है जबकि तीन सांसदों को जान से मारने की धमकी भी मिली है। इन चालीस दिनों में भाजपा के तीन, जदयू के दो, राजद और सीपीआई एमएल के एक नेता की हत्या अपराधियों ने कर दी जबकि तीन राजद, लोजपा(रा) और भाजपा के एक एक सांसदों को जान से मारने की धमकी मिली है।
पटना में दो नेताओं की हत्या
राजधानी पटना में भाजपा नेता अजय साव की अपराधियों ने उनके दुकान में घुस कर 13 अगस्त को हत्या कर दी थी। मामले में परिजनों ने पुलिस पर असहयोग का भी आरोप लगाया है और कहा कि अभी तक पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक नहीं लिया है लेकिन बात करने पर गिरफ्तारी का आश्वासन जरूर देती है। वहीं सोमवार की अहले सुबह अपने घर के बाहर बैठे भाजपा के वरिष्ठ नेता मुन्ना शर्मा को बाइक सवार तीन अपराधियों ने गोली मार कर हत्या कर दी। मुन्ना शर्मा हत्या कांड का एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है।
अन्य जिलों में भी हो चुकी पांच नेताओं की हत्या
पिछले चालीस दिनों में राज्य के अन्य हिस्सों में पांच अन्य नेताओं की भी हत्या हो चुकी है। इसमें पश्चिम चंपारण में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के नेता विभव राय, सहरसा में जदयू नेता जवाहर यादव, हाजीपुर में राजद नेता पंकज राय और मुंगेर में भाजपा नेता बंटी सिंह की हत्या अपराधियों ने कर दी। इसके साथ ही बीते सोमवार की ही शाम अरवल में अपराधियों ने सीपीआई एमएल के नेता सुनील चंद्रवंशी की भी गोली मार कर हत्या कर दी।
तीन सांसदों को जान से मारने की धमकी
खगड़िया के लोजपा(रा) सांसद राजेश वर्मा ने फोन पर जान मारने की धमकी दिए जाने की बात कही। उनके निजी सचिव ने 28 अगस्त को खगड़िया के साइबर थाना में मामला भी दर्ज कराया था जिसके बाद पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया था। आरोपी ने पुलिस पूछताछ में नशे में धमकी देने की बात स्वीकार भी की थी।
वहीं वहीं दो सितंबर को अररिया के भाजपा सांसद प्रदीप सिंह ने भी जान से मारने की धमकी का एक मामला नगर थाना में दर्ज कराई थी। वहीं बक्सर के सांसद सुधाकर सिंह ने 2 सितंबर को कैमूर के एक युवक पर जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज कराया उसके बाद फिर उन्होंने 8 सितंबर कैमूर के एक थानाध्यक्ष के खिलाफ भी धमकी देने की शिकायत कैमूर एसपी से की।
सत्ता पक्ष कर रही बचाव
राज्य में बढ़ते आपराधिक घटनाओं पर विपक्ष के हमलों के जवाब में एक तरफ उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने पहले भी कहा था कि राज्य में अगर कुछ अपराध हो रहा है तो पुलिस तत्काल अपराधियों को पकड़ कर सलाखों के पीछे भेज रही है। पिछली सरकारों की तरह संरक्षण नहीं दे रही। वहीं नए डीजीपी आलोक राज के पदस्थापन के बाद विजय सिन्हा ने कहा कि नए डीजीपी आये हैं अब राज्य में कानून व्यस्था और सख्त की जाएगी। वहीं भाजपा और जदयू सामूहिक रूप से 1990 से 2005 के समय की याद भी दिलाने से नहीं चूकते हैं और लालू परिवार भी निशाना साध कर अपना बचाव भी कर रहे हैं।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि भले राजनीतिक रूप में 1990 से 2005 और 2005 से 2024 के समयावधि का जिक्र कर नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर अपना बचाव करते हुए दिखाई दे रहे हैं लेकिन राज्य में आम जनता कितना सुरक्षित है। राज्य में पुलिस की व्यवस्था कितनी कारगर है और राज्य में हो रहे अपराधों में कमी कब तक आएगी। आपराधिक घटनाओं में कमी को लेकर सरकार और पुलिस ने क्या रणनीति बनाई है।
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