Concern : काशी के विश्वनाथ धाम में प्रसाद की हुई जांच, तिरुपति प्रसाद प्रकरण के बाद ऐहतियात

डिजीटल डेस्क : Concern काशी के विश्वनाथ धाम में प्रसाद की हुई जांच, तिरुपति प्रसाद प्रकरण के बाद ऐहतियात। इस समय तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में चर्बी मिलने की रिपोर्ट को लेकर पूरे देश और दुनिया में चर्चा हो रही है।

इसी बीच शनिवार को ऐहतियातन काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रसाद की भी आधिकारिक स्तर पर जांच की गई।

प्रसाद की गुणवत्ता परखने काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे डिप्टी कलेक्टर

दक्षिण भारत के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में चर्बी मिलने की रिपोर्ट के बाद सनातनधर्मियों समेत सभी लोगों में आक्रोश है। पूरे प्रकरण के सामने आने के बाद अब काशी में प्रसाद को लेकर सतर्कता शुरू हो गई है।

इसी क्रम में शनिवार की सुबह अचानक काशी विश्वनाथ धाम में बनने वाले प्रसाद की गुणवत्ता परखने के लिए डिप्टी कलेक्टर शंभू शरण पहुंचे। डिप्टी कलेक्टर शंभू शरण ने काशी विश्वनाथ मंदिर में मिलने वाले प्रसाद की मौके पर जाकर गुणवत्ता और शुद्धता की जांच की।

जिस जगह पर प्रसाद बनता है, डिप्टी कलेक्टर ने वहां निरीक्षण कर मुआयना किया। इस दौरान अधिकारी ने दो टूक अंदाज में कहा कि मानकों का सख्ती से पालन किया जाए और उसमें किसी भी स्तर पर कोई शिथिलता या समझौता ना हो।

काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रसाद बनाने में जुटीं महिला वेंडर।
काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रसाद बनाने में जुटीं महिला वेंडर।

तिरुपति प्रसादम में घी में चर्बी और मछली के तेल की लैब जांच में हुई थी पुष्टि

बता दें कि हाल ही में ये अफवाहें तब सामने आईं जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार पर तिरुपति लड्डू बनाने में एनिमल फैट सहित घटिया सामग्री का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

नायडू ने दावा किया कि तिरुपति में प्रतिष्ठित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर भी इन प्रथाओं से अछूता नहीं है।टीडीपी प्रवक्ता अनम वेंकट रमण रेड्डी ने गुजरात स्थित एक लैब की रिपोर्ट पेश करके इन आरोपों का समर्थन किया।

रिपोर्ट में कथित तौर पर टीटीडी द्वारा इस्तेमाल किए गए घी के नमूनों में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल की मौजूदगी की पुष्टि की गई। इस मामले में अब वाईएसआरसीपी के वरिष्ठ नेता वाई वी सुब्बा रेड्डी ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी एक और याचिका दायर की गई है।

बता दें कि तिरुमाला में रोजाना लगभग 3 लाख लड्डू बनाए और बांटे जाते हैं। हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार इन लड्डुओं की बिक्री से लगभग 500 करोड़ रुपये की सालाना कमाई होती है।

प्रत्येक लड्डू का वजन 175 ग्राम होता है। तिरुपति लड्डुओं का इतिहास 300 वर्षों से ज्यादा पुराना है। इनकी शुरुआत साल 1715 से हुई थी। साल 2014 में तिरुपति लड्डू को भौगोलिक संकेत का दर्जा दिया गया।

Trending News

Social Media

157,000FansLike
27,200FollowersFollow
628FollowersFollow
679,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img