Thursday, October 23, 2025
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Jio Financial Services ने लॉन्च की AI-Generated ब्रांड मार्केटिंग फिल्म “Har Ghar #KhushiyonKaDiya”

New Delhi: Jio Financial Services Limited (JFSL) ने दिवाली के अवसर पर एक अनोखी ब्रांड मार्केटिंग फिल्म लॉन्च की है। जिसका उद्देश्य मानव संबंधों, परिवार एवं समुदाय की गरिमा को उजागर करना है। इस फिल्म को पूरी तरह जनरेटिव एआई (Generative AI) की मदद से बनाया गया है और इसे “Har Ghar #KhushiyonKaDiya” कैंपेन के तहत पेश किया गया है। फिल्म में एक दीया-प्रतीक को दिखाया गया है जिसे JioFinance ऐप का आइकन भी माना गया है। यह दीया उम्मीद, नए आरंभ और अपनत्व का प्रतीक है- जैसे JioFinance का लक्ष्य है, सभी भारतीयों को सरल, सहज और स्मार्ट वित्तीय...

एडवांस फीचर्स के साथ Suzuki ने GSX-8R EVO को किया लॉन्च, स्पोर्ट्स बाइक सेगमेंट में मचाएगी धमाल

Desk. Suzuki ने अपनी मिडलवेट स्पोर्ट्स बाइक लाइनअप को और मजबूत करते हुए यूरोप में अपनी लोकप्रिय GSX-8R का नया और ज्यादा ट्रैक-फोकस्ड GSX-8R EVO वर्जन लॉन्च किया है। यह बाइक खास तौर पर उन राइडर्स के लिए बनाई गई है जो स्पीड, परफॉर्मेंस और रेसिंग फील को एक साथ अनुभव करना चाहते हैं।GSX-8R EVO का डिजाइन Suzuki GSX-8R EVO का डिजाइन पहले से कहीं ज्यादा स्पोर्टी और एग्रेसिव है। इसमें फैक्ट्री-फिटेड Akrapovic एग्जॉस्ट सिस्टम दिया गया है, जो बाइक की साउंड और अपील दोनों को बेहतर बनाता है। इसका रियर सेक्शन अब और क्लीन और रेस-रेडी दिखता है क्योंकि...

सामान्य प्रेक्षक ने अमरपुर के विभिन्न मतदान केंद्रों का लिया जायजा, मतदान प्रतिशत बढ़ाने का दिया निर्देश

बांका : बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अमरपुर प्रखंड के विभिन्न मतदान केंद्रों का दिल्ली से आए सामान्य प्रेक्षक रितेश चौहान के द्वारा निरीक्षण किया गया। इस दौरान बीडीओ प्रतिक राज सहित अनेको अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। प्रेक्षक ने रानीकित्ता स्थित मतदान केंद्र संख्या 290, 291 मैनमा मतदान केंद्र संख्या 173 बाछनी सहित अन्य गांवों में पहुंचकर मतदान केंद्रों पर बिजली, पानी, रैंप और शौचालय सहित अन्य सुविधाओं का जायजा लिया और आवश्यक दिशा निर्देश दिया।वैसे मतदान केंद्र जहां वोटिंग प्रतिशत कम रहता है वैसे जगहों पर अधिकारी मतदाताओं से रूबरू होकर जागरूक करें - सामान्य प्रेक्षक रितेश...

Saryu Vs Banna : अब इस मामले में सरयू राय ने मंत्री बन्ना गुप्ता पर लगा दिया बड़ा आरोप…

“Efficient supply chain and cargo logistics service in Bihar and Jharkhand”
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Ranchi Desk : Saryu Vs Banna : विधायक सरयू राय और स्वास्थय मंत्री बन्ना गुप्ता का विवादों से पुराना नाता रहा है। सरयू राय ने फिर से मंत्री बन्ना गुप्ता को एक मामले में घेरा है। सरयू राय ने मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग और झारखण्ड सरकार के प्रधान सचिव से माँग करता हूँ कि वे राज्य सरकार के कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए निविदा से चयनित बीमा कंपनी को शीघ्र कार्यादेश देना सुनिश्चित कराएँ।

Saryu Vs Banna : संचिका मंत्री के पास लंबित रहने का क्या मतलब बनता है

राज्य सरकार के कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने वाली संचिका मंत्री के यहाँ दो महीना से लंबित है। जबकि निविदा में प्रिमियम की न्यूनतम दर वाली बीमा कंपनी को चयन का पत्र दे दिया गया है, निविदा समिति ने उसके चयन की मंज़ूरी दी है। वित्त विभाग और विधि विभाग की सहमति मिल चुकी है।

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परन्तु बीमा कंपनी को कार्यादेश जारी करने के बदले संचिका स्वास्थ्य मंत्री के पास चली गई है और दो महीना से उनके यहाँ पड़ी हुई है। निविदा समिति के निर्णय के बाद संचिका स्वास्थ्य मंत्री के पास जाने और लंबित रहने का क्या कारण हो सकता है ? क्या मंत्री ने संचिका माँगा है ? वित्त और विधि विभाग की स्वीकृति मिलने के बाद भी निविदा की संचिका मंत्री के पास लंबित रहने का क्या मतलब बनता है ?

इससे पहले भी साल 2023 में निविदा निकली थी। इसमें तीन सरकारी बीमा कंपनियों ने निविदा में भाग लिया था। इनमें से एक तकनीकी दृष्टि से अयोग्य घोषित हो गया तो बाक़ी दो में से जिसका दर न्यूनतम था उसे कार्यादेश देने के बदले निविदा को ही रद्द कर दी गई। इस बार तो निविदा समिति, विधि विभाग और वित्त विभाग की सहमति के बावजूद बीमा कंपनी के चयन की संचिका स्वास्थ्य मंत्री के यहां लटकी पड़ी है। क्या स्वास्थ्य मंत्री के यहाँ निविदा दर पर मोल-भाव और रेट निगोसिएशन हो रहा है ?

कौन सी अड़चन है जिसको दूर करने में मंत्री को दो महीने लग गए

स्वास्थ्य मंत्री ने बयान दिया है कि तकनीकी अड़चनों को दूर किया जा रहा है। आखिर निविदा समिति, विधि विभाग की स्वीकृति के बाद कौन सी ऐसी तकनीकी अड़चन है जिसको दूर करने में मंत्री दो महीने से लगे हुए हैं। यह अड़चन तकनीकी है या वित्तीय इसका खुलासा होना ही चाहिए। मंत्री के स्तर पर न्यूनतम दर वाली कंपनी से निगोशिएशन होता है तो इसकी जिम्मेदारी लेने से सचिव सहित अन्य अधिकारी नहीं बच सकते हैं।

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यदि बीमा कंपनी कोई अवैधानिक दर वार्ता में लगी है तो इसका प्रभाव ना केवल कंपनी की साख पर पड़ेगा, बल्कि इससे राज्य सरकार के कर्मचारियों की मेडिकल सुविधा की गुणवता भी प्रभावित होगी। राज्य सरकार को करोड़ों का हो रहा नुक़सान अलग है। स्वास्थ्य सचिव से आग्रह है कि वे मंत्री के यहाँ से शीघ्र संचिका मंगाए और निविदा समिति का निर्णय लागू कराएँ।

मदन सिंह की रिपोर्ट—

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